चेन्नई, 15 मार्च (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पूर्ण पीठ ने एक वैवाहिक मुकदमे से उपजे पेचीदा बिंदु को स्पष्ट फैसले के लिए वृह्द पीठ (पांच न्यायाधीशों वाली पीठ) को भेज दिया।
इस मुकदमे से उठा बिंदु यह है कि क्या वैवाहिक विवाद के बाद बच्चे को सौंपे जाना और उसका अभिभावक तय करना उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में है या नहीं?
बच्चे को सौंपे जाने संबंधी मामले में कुटुम्ब अदालत अधिनियम,1984 से जुड़े प्रावधानों को लेकर असंमजस की स्थिति बनी।
मामले के मुताबिक, मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति वी प्रतिभन ने 28 अक्टूबर,2021 को पारित आदेश में वर्ष 1984 में पारिवार अदालत अधिनियम के प्रभावी होने के कारण बच्चों की कस्टडी संबंधी विवादों पर विचार करने और निर्णय लेने के लिए मूल पक्ष के अधिकार क्षेत्र पर संदेह जताया था।
कुटुम्ब अदालत अधिनियम के प्रभावी होने के मद्देनजर बच्चे को सौंपे जाने और अभिभावक तय करने संबंधी मामले उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो गए हैं क्योंकि इस तरह के वैवाहिक मुकदमों में विशेषज्ञ परामर्शदाता और बाल मनोवैज्ञानिक की सहायता उपलब्ध नहीं होती है। केवल परिवार अदालतों के पास ये दोनों सुविधाएं उपलब्ध होती हैं।
भाषा शफीक अनूप
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