नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) प्रतिष्ठित फिल्म निर्माण स्कूलों – भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई), पुणे और सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एसआरएफटीआई), कोलकाता – को मानद विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। शिक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
इस नये दर्जे से उन्हें डिप्लोमा के बजाय डिग्री प्रदान करने तथा डॉक्टरेट कार्यक्रम की पेशकश करने का अधिकार होगा।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘ एफटीआईआई पुणे और एसआरएफटीआई कोलकाता को यूजीसी अधिनियम की धारा तीन के तहत मानद विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की अनुशंसा के बाद दर्जे को अधिसूचित किया गया है।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘ दोनों संस्थान डॉक्टरेट, अनुसंधान और नवीन शैक्षणिक कार्यक्रम शुरू करेंगे। वे एनआईआरएफ रैंकिंग में भी भाग लेंगे और ‘अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’(एबीसी) के साथ एकीकृत होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप यह ऐतिहासिक निर्णय फिल्म और मीडिया शिक्षा में अधिक स्वायत्तता, नवाचार और अकादमिक उत्कृष्टता का मार्ग प्रशस्त करेगा।’’
एफटीआईआई की स्थापना केन्द्र सरकार ने 1960 में पुणे के तत्कालीन प्रभात स्टूडियो के परिसर में की थी। ‘भारतीय फिल्म संस्थान’ के नाम से जाना जाने वाला एफटीआईआई सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का एक विभाग था।
वर्ष 1971 में एफटीआईआई को ‘फिल्म और टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ के रूप में जाना जाने लगा और जल्द ही इसने भारत के सार्वजनिक प्रसारक दूरदर्शन के लिए इन-सर्विस प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू कर दिए। टेलीविजन प्रशिक्षण विंग, जो पहले नयी दिल्ली में काम कर रहा था वह 1974 में पुणे में स्थानांतरित हो गया। इसके बाद, संस्थान को सूचना और प्रसारण मंत्रालय से पूरी वित्तीय सहायता मिलनी शुरू हो गई।
कोलकाता में स्थित और महान कलाकार सत्यजीत रे के नाम पर स्थापित ‘सत्यजीत रे फिल्म और टेलीविजन संस्थान’ सिनेमा शिक्षा का दूसरा राष्ट्रीय केंद्र था। भारत सरकार ने इसकी स्थापना 1995 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त शैक्षणिक संस्थान के रूप में की थी।
भाषा शोभना पवनेश
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