(गुंजन शर्मा)
(फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन ने भारत के अंतरिक्ष अभियानों से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में सुधारों तक, अपनी अमिट छाप छोड़ी और देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को शानदार तरीके से आगे बढ़ाया।
कस्तूरीरंगन ने शुक्रवार पूर्वाह्न 10:43 बजे बेंगलुरु स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। 2023 में श्रीलंका में दिल का दौरा पड़ने के बाद से कस्तूरीरंगन अस्वस्थ थे और तब से वह सार्वजनिक रूप से कम ही नजर आते थे। वह 84 वर्ष के थे।
उन्होंने 27 अगस्त 2003 को सेवानिवृत्त होने से पहले, इसरो अध्यक्ष, अंतरिक्ष आयोग के प्रमुख और अंतरिक्ष विभाग के सचिव के रूप में नौ वर्षों से अधिक समय तक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को शानदार तरीके से आगे बढ़ाया।
वह भारत के पहले दो प्रायोगिक भू अवलोकन उपग्रहों — भास्कर 1 और 2 के लिए परियोजना निदेशक थे। बाद में, उपयोग में लाये गए पहले भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह, आईआरएस-1 ए को समग्र दिशानिर्देश देने की जिम्मेदारी भी उन्होंने निभाई।
कस्तूरीरंगन ने बंबई विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक और परास्नातक डिग्री हासिल की तथा 1971 में अहमदाबाद के भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में काम करते हुए प्रायोगिक उच्च-ऊर्जा खगोल विज्ञान में पीएचडी की।
उन्हें भारत के महत्वपूर्ण प्रक्षेपण यान, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के सफल प्रक्षेपण और परिचालन तथा अत्यंत महत्वपूर्ण भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) की प्रथम सफल उड़ान परीक्षण का श्रेय दिया जाता है।
भारत की सबसे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष-आधारित उच्च-ऊर्जा खगोल विज्ञान वेधशाला को आकार देना और उससे संबंधित गतिविधियों की शुरुआत करना भी उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों में शुमार है।
कस्तूरीरंगन ने ब्रह्मांडीय एक्स-रे और गामा-रे स्रोतों और निचले वायुमंडल में ब्रह्मांडीय एक्स-रे के प्रभाव के अध्ययन में व्यापक और महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उन्हें पद्म श्री (1982), पद्म भूषण (1992) और पद्म विभूषण (2000) से सम्मानित किया गया। लगभग 35 वर्षों तक इसरो से जुड़े रहने और 1994 से 2003 तक इसका नेतृत्व करने के बाद, कस्तूरीरंगन 2003 से 2009 तक राज्यसभा सदस्य रहे थे और इसी अवधि के दौरान उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के निदेशक के रूप में भी सेवा दी।
वह 2009 से 2014 तक तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के तहत योजना आयोग (नीति आयोग के पूर्ववर्ती) के सदस्य थे। उन्होंने 2008 में कर्नाटक ज्ञान आयोग का भी नेतृत्व किया था।
मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने 2017 में महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मसौदा तैयार करने के लिए कस्तूरीरंगन को नौ सदस्यीय समिति की बागडोर सौंपी थी।
इससे पहले, 2015 में पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम के नेतृत्व में एक और समिति गठित की गई थी, लेकिन इसकी सिफारिशें लागू नहीं हुई थीं।
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी उन्हें एक ‘‘विश्वकोश’’ बताते हैं।
कस्तूरीरंगन को बाद में उस समिति का प्रभार भी दिया गया, जिसने एनईपी पर आधारित नये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे (एनसीएफ) का मसौदा तैयार किया।
वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की और मद्रास तथा भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु जैसे विभिन्न संस्थानों के ‘बोर्ड ऑफ गवर्नर्स’ के सदस्य भी थे।
भाषा सुभाष शफीक
शफीक
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