scorecardresearch
Friday, 17 May, 2024
होमदेशलिचिंग से लेकर गोली मारने तक, क्यों पंजाब में बेअदबी को लेकर बढ़ रहा 'इंस्टेंट जस्टिस' का चलन

लिचिंग से लेकर गोली मारने तक, क्यों पंजाब में बेअदबी को लेकर बढ़ रहा ‘इंस्टेंट जस्टिस’ का चलन

पंजाब में बेअदबी के मामले गंभीर होते जा रहे हैं, केवल एक महीने के में दो आरोपियों की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया.

Text Size:

चंडीगढ़: एक सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में लाल टी-शर्ट में एक लंबा युवक कथित तौर पर पंजाब के राजपुरा में दुखनिवारन साहिब गुरुद्वारे में घूमता हुआ दिखाई दे रहा है, जो देखने में भटकता हुआ सा लगता है. पल भर बाद, उन्हें सिख भक्तों के एक छोटे समूह द्वारा तेजी से दूसरे कमरे में ले जाया गया. मोबाइल फुटेज, जो कि कहा जाता है कि बाद में ले लिया गया, में उसी आदमी को जमीन पर खून से लथपथ बुदबुदाते हुए देखा गया.

सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे इन तस्वीरों के बारे में कहा जाता है कि ये साहिल नाम के एक व्यक्ति की हैं, जिसे कथित तौर पर पिछले हफ्ते राजपुरा गुरुद्वारे में दो बार जूते पहनकर और बिना सिर ढके प्रवेश करने के लिए बुरी तरह पीटा गया था क्योंकि इस काम को सिखों द्वारा अपवित्र करने वाला माना जाता है.

साहिल को तब से बेअदबी करने के संदेह में गिरफ्तार किया गया, लेकिन उसके परिवार वालों का कहना है कि वह डिप्रेशन में था और पटियाला के एक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था.

मीडियाकर्मियों से बात करते हुए साहिल की मां ने कहा, “जब इन लोगों ने मेरे बेटे को पीटना शुरू किया तो उसके पहले क्या उनकी ड्यूटी नहीं थी कि वे कम से कम एक बार उससे पूछ लेते कि वह वहां क्या कर रहा था?”

उन्होंने कहा, “अगर वह जवाब नहीं दे पा रहा था, तो उन्हें उसे पुलिस को सौंप देना चाहिए था और पुलिस तय करती कि उसने कुछ गलत किया है या नहीं. लेकिन यहां बिना कुछ जाने लोगों ने उसे पीटना शुरू कर दिया.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

पिछले मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए, आरोपी के भाई सागर ने कहा कि साहिल शायद अवसाद (डिप्रेशन) की स्थिति में गुरुद्वारे में घूमता रहा, उसे अपने आसपास के बारे में पूरी तरह से जानकारी तक नहीं थी. उन्होंने कहा कि उनका परिवार नियमित रूप से उसी गुरुद्वारे में जाता है, लंगर में सहयोग देता है और सेवा करता है. उन्होंने सवाल किया कि किसी ने यह पता लगाने की भी ज़हमत क्यों नहीं उठाई कि साहिल के ऐसे व्यवहार के पीछे क्या कारण है.

हालांकि, साहिल की जान तो बच गई, पर अन्य लोग जिन पर “बेअदबी” का आरोप लगा है वे इतने भाग्यशाली नहीं रहे.

14 मई को, राजपुरा की घटना से कुछ दिन पहले, कुलविंदर कौर (शुरुआत में परविंदर कौर के रूप में पहचान की गई) नाम की एक अधेड़ उम्र की महिला को पटियाला में गुरुद्वारा दुखनिवारन साहिब के परिसर के अंदर कथित तौर पर शराब पीते हुए देखा गया था.

बेअदबी करते हुए पाए जाने के बाद उसे पुलिस को सौंप दिया गया. जब पुलिस उसे घटनास्थल से हटा रही थी, तो गुस्से से आग बबूला हो रहे एक श्रद्धालु ने बंदूक निकाल ली. उसने पांच गोलियां चलाईं, जिसमें कुलविंदर की मौत हो गई और एक अन्य श्रद्धालु घायल हो गया. कथित हत्यारे निर्मलजीत सिंह सैनी को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया.

जहां तक कुलविंदर कौर का संबंध है, पटियाला पुलिस ने मीडियाकर्मियों को बताया कि वह तलाकशुदा थी, ज़ीरकपुर में एक सैलून में काम करती थी और एक नशामुक्ति केंद्र में शराब का नशा छुड़वाने के लिए उसका इलाज चल रहा था. उन्होंने और ब्योरा या जानकारी देने से इनकार कर दिया ताकि कहीं उनके परिवार वालों की पहचान उजागर हो जाने पर उन्हें भी न निशाना बनाया जाए.

बेअदबी करने का मामला सामने आने के तुरंत बाद माहौल काफी अशांत हो गया और एक गुस्साए श्रद्धालु ने एक बंदूक निकाली, उसने पांच गोलियां चलाईं, जिसमें कुलविंदर की मौत हो गई और एक अन्य श्रद्धालु घायल हो गया. कथित हत्यारे निर्मलजीत सिंह सैनी को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया.

जहां तक कुलविंदर कौर का संबंध है, पटियाला पुलिस ने मीडियाकर्मियों को बताया कि वह तलाकशुदा थी, जीरकपुर में एक सैलून में काम करती थी, और एक नशामुक्ति केंद्र में शराब की लत के लिए उसका इलाज चल रहा था. उन्होंने और ब्योरा देने से इनकार कर दिया, कहीं ऐसा न हो कि उनके परिवार के सदस्य भी निशाना बन जाएं.

पटियाला पुलिस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि महिला के परिवार द्वारा उसकी पहचान किए जाने के बाद पुलिस ने महिला के शव का अंतिम संस्कार कर दिया.

इस बीच, आरोपी निर्मलजीत सिंह के कथित बेअदबी के लिए ‘तत्काल न्याय’ देने के काम को पंजाब में गुरुद्वारों की शासी निकाय शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) से मान्यता मिली, और उसके माता-पिता को सिरोपा (सम्मान की पोशाक) प्रदान की गई.

एसजीपीसी ने यह भी घोषणा की कि निर्मलजीत को हत्या का मुकदमा लड़ने के लिए मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की जाएगी. जिस दिन निर्मलजीत को कोर्ट में पेश किया गया, उस दिन बहुत से सिख इकट्ठे हुए और उन पर फूलों की वर्षा की.


यह भी पढ़ेंः पटियाला के गुरुद्वारे में ‘शराब पीने’ के लिए महिला की गोली मारकर हत्या, SGPC ने साजिश का आरोप लगाया


दिप्रिंट से बात करते हुए, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में समाजशास्त्र विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. मनजीत सिंह ने कहा कि बेअदबी के मामलों में लोगों द्वारा मौके पर ही ‘न्याय’ देने की कोशिश करने की घटनाओं में वृद्धि हुई है.

प्रोफेसर सिंह ने आगे कहा, “इसका संबंध काफी हद तक इस भावना से है कि पुलिस और सरकार बेअदबी के मामलों में आरोपियों के साथ पर्याप्त कठोर व्यवहार नहीं करती है और उन्हें खुला घूमने देती है.”

उन्होंने इस प्रवृत्ति के बारे में गंभीर चिंता भी व्यक्त की.

उन्होंने कहा, “तत्काल न्याय (Instant Justice) के ये काम लंबे समय में सिख धर्म को केवल नुकसान ही पहुंचाएंगे. सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी ने बातचीत को बढ़ावा दिया. लेकिन अब सिखों के बीच एक असहिष्णु कट्टरपंथी प्रवृत्ति उभर रही है.”

यहां कुछ हाई-प्रोफाइल बेअदबी के मामलों पर एक नजर डालते हैं और ऐसा क्यों लगता है कि ऐसे मामलों में प्रतिक्रिया के तौर पर खुद से ‘न्याय’ देने की एक प्रथा बनती जा रही है.

साज़िश करार देना, घातक परिणाम

पिछले हफ्ते कुलविंदर कौर की गोली लगने से हुई मौत के बाद, SGPC के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने दावा किया कि बेअदबी के जो अलग अलग मामले देखने में आए हैं वे एक बड़ी सिख विरोधी साजिश का हिस्सा थे.

अगर आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की गई तो कोई भी इस तरह का काम करने की हिम्मत नहीं करता. अगर सरकार गंभीर होगी और अपनी जिम्मेदारी निभाएगी तो ऐसी घटनाएं नहीं होंगी.

इस बीच, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद खन्ना ने धामी के बयान की आलोचना की.

उन्होंने ट्वीट किया, “पटियाला के गुरुद्वारा दुखनिवारन साहिब में बेअदबी का कृत्य ‘काफी दर्दनाक’ था, लेकिन यह ‘और भी दर्दनाक’ था कि धामी इस घटना को राजनीतिक और सांप्रदायिक रंग दे रहे थे.”

उन्होंने कहा, “धामी साहब इस घटना को एक साजिश करार दे रहे हैं, जबकि अपराधी मानसिक रूप से अस्थिर था.”

इस महीने की दो घटनाएं अप्रैल में रूपनगर जिले के मोरिंडा में बेअदबी की एक और घटना के बाद हुई हैं. इन घटनाओं को भी सिख आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा बड़ी साजिश बताया गया है.

24 अप्रैल को मोरिंडा के रहने वाले जसबीर सिंह जस्सी ने शहर के ऐतिहासिक कोतवाली साहिब गुरुद्वारे में कथित तौर पर गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान किया और ग्रंथियों पर हमला किया.

उसे भक्तों ने दबोच लिया, पीटा और गुरुद्वारे के एक कमरे में तब तक घसीटा, जब तक कि उसे पुलिस को नहीं सौंप दिया गया. लेकिन यह यहीं खत्म नहीं हुआ.

इसके बाद, सैकड़ों सिख पुरुषों ने मोरिंडा पुलिस स्टेशन को घेर लिया और मांग की कि आरोपियों को उन्हें सौंप दिया जाए ताकि वे “त्वरित न्याय” दे सकें.

जब पुलिस ने इसका पालन नहीं किया, तो गुस्साई भीड़ जसबीर के घर गई और तोड़फोड़ की, यहां तक कि उसका परिवार छिप गया.

28 अप्रैल को, जब जसबीर को रोपड़ की एक अदालत में पेश किया गया, तो साहिब सिंह नामक एक वकील ने उसे गोली मारने की कोशिश की. 1 मई को आरोपी ने सीने में दर्द की शिकायत की और उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई.

पुलिस के मुताबिक, जसबीर सिंह का परिवार अपनी जान के डर से मोरिंडा में अपने टूटे हुए घर में अभी तक नहीं लौटा है.

इस बीच, सिखों के सर्वोच्च निकाय अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, ने मोरिंडा की घटना के बाद दावा किया था कि इस खेल में “कुछ बड़ी ताकतें” शामिल हैं.

Akal Takht Jathedar Giani Harpreet Singh | ANI file photo
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह / एएनआई फाइल फोटो

एक वीडियो मैसेज में, अकाल तख्त के जत्थेदार ने यह भी कहा कि जब सिखों ने उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए जाने के बाद प्रतिक्रिया व्यक्त की, तो उनके ऊपर “शांति भंग करने का आरोप लगाया” गया, आगे उन्होंने कहा कि ‘पिछले बेअदबी कृत्यों के दोषियों को यदि उचित सजा दी गई होती’, तो ऐसी घटनाएं होनी जारी नहीं रहतीं.”

प्रोफेसर मनजीत सिंह के अनुसार, यह बयान सिख श्रद्धालुओं और उसे इन घटनाओं को देखने वालों की “व्यापक भावना” को दर्शाता है, जो उन व्यक्तियों के बारे में कानून अपने हाथों में लेते हैं, जिनके बारे में उन्हें लगता है कि उन्होंने पवित्र स्थान को अपवित्र करने का कृत्य किया है.

प्रोफेसर ने दिप्रिंट को बताया, “सिख गुरु ग्रंथ साहिब को जीवित गुरु मानते हैं. गुरु ग्रंथ साहिब के निवास स्थान गुरुद्वारा के अलावा प्रतीक चिह्नों सहित गुरु से जुड़ी हर चीज सिखों के लिए पवित्र है. गुरु, गुरुद्वारा, या इसके प्रतीकों के प्रति कोई भी अनादर सिख भक्तों की भावना को भड़काता है और वे कड़ी प्रतिक्रिया देने को मजबूर होते हैं.”

उन्होंने कहा कि, अतीत में, बेअदबी करने वालों को आमतौर पर गुरुद्वारा प्रबंधन द्वारा पुलिस को सौंप दिया जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में तत्काल ‘न्याय’ के लिए सतर्कता के मामलों में वृद्धि हुई है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट, ‘क्राइम इन इंडिया 2021‘ के अनुसार, देश में विशेष रूप से पंजाब में “धार्मिक अपराधों” से संबंधित मामलों को सबसे ज्यादा दर्ज किया गया है.

धर्म से संबंधित अपराध धारा 295 (पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना या अपवित्र करना), 296 (धार्मिक सभा में उत्पात मचाना), और 297 (दफन करने के स्थानों में गैर-कानूनी तरीके घुसना) के तहत आते हैं.

पंजाब की अपराध दर- या प्रति लाख जनसंख्या पर मामले- धार्मिक अपराधों के लिए 0.6 प्रतिशत है, इसके बाद गोवा में 0.5 प्रतिशत और कर्नाटक, मध्य प्रदेश और हरियाणा में 0.3 प्रतिशत है. भारत में धार्मिक अपराधों के लिए कुल अपराध दर 0.1 प्रतिशत है.

2015 के फरीदकोट मामले में जड़ें

जून 2015 में, एक बीर (भौतिक प्रति) गुरु ग्रंथ साहिब फरीदकोट गांव के गुरुद्वारे से चोरी हो गया था और उसके पन्ने फाड़कर पास के स्थान पर बिखेर दिए गए थे. बाद में पाया गया कि अधिकांश आरोपी विवादास्पद धर्म गुरु गुरमीत राम रहीम के फॉलोवर थे.

फरीदकोट मामले ने बेअदबी के मामलों में त्वरित और निर्णायक कार्रवाई नहीं करने के लिए पुलिस और तत्कालीन अकाली नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ लोगों में व्यापक और लंबे समय तक चलने वाले गुस्सा देखा गया.

प्रोफेसर मनजीत सिंह ने कहा,”पंजाब में, 2015 के फरीदकोट बेअदबी मामले के बाद से – जिसके बारे में माना जाता है कि पहले पंजाब पुलिस की कई एसआईटी (विशेष जांच दल) और बाद में सीबीआई द्वारा गड़बड़ किया गया – बेअदबी के आरोपियों को न्याय देने वाले कानून को लेकर अविश्वास बढ़ गया है,”

फरीदकोट बेअदबी मामले में दो दर्जन से अधिक आरोपियों में से चार की तब से हत्या कर दी गई है, जबकि मामला अदालत में काफी आगे बढ़ चुका था.

पिछले साल 10 नवंबर को, 36 वर्षीय प्रदीप सिंह उर्फ राजू ढोढ़ी, जिन्हें डेरा सच्चा सौदा के फॉलोवर राजू ढोढ़ी के नाम से भी जाना जाता है, को कोटकपूरा में मोटरसाइकिल सवार छह लोगों ने गोली मार दी थी. प्रदीप फरीदकोट बेअदबी मामले के आरोपियों में से एक था और सरकारी सुरक्षा कवर होने के बावजूद सुबह अपनी दुकान खोलते समय मारा गया.

CCTV visuals of when Dera Sacha Sauda follower Pradeep Singh, an accused in the Bargari Sacrilege incident, was shot dead in Faridkot, Punjab by unidentified assailants | Twitter/@ANI
पंजाब के फरीदकोट में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी प्रदीप सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। ट्विटर/@ANI

कनाडा स्थित गैंग्स्टर सतविंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ ने हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया कि यह बेअदबी का बदला है. अदालत में चल रहे इस मामले में बराड़ के गैंग के सोलह सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है.

फरीदकोट की घटना के मुख्य आरोपी, डेरा सच्चा सौदा की राज्य समिति के सदस्य मोहिंदरपाल बिट्टू की जून 2019 में नाभा जेल में हत्या कर दी गई थी. बिट्टू को मामले में शामिल होने के आरोप में 2018 में गिरफ्तार किया गया था.

संदिग्ध हत्यारे, गुरसेवक सिंह, उर्फ भूत, और मनिंदर सिंह, उर्फ जम्मू, जो एक अन्य हत्या के लिए जेल की सजा काट रहे थे, ने कथित तौर पर हत्या करने के लिए लोहे की छड़ों का इस्तेमाल किया. फिलहाल पटियाला कोर्ट में केस चल रहा है.


यह भी पढ़ेंः ‘बादल साहब की बात अलग थी’ – प्रकाश सिंह बादल को पीएम मोदी ने ऐसे लिख कर दी श्रद्धांजलि


एक अन्य डेरा अनुयायी, गुरदेव सिंह, जो फरीदकोट की घटना में कथित रूप से शामिल थे, की जून 2016 में हत्या कर दी गई थी. फरीदकोट में उनकी दुकान में घुसकर तीन लोगों ने उन पर हमला किया था. पिछले फरवरी में, गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी, अशोक कुमार वोहरा उर्फ आमना और जसवंत सिंह उर्फ काला को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था.

नवंबर 2020 में इस मामले के एक अन्य आरोपी जतिंदरपाल उर्फ जिम्मी के पिता मनोहर लाल की बठिंडा के एक गांव में हत्या कर दी गई थी. 2021 में, पुलिस ने हत्या के सिलसिले में खालिस्तान टाइगर फोर्स के दो कथित सदस्यों और एक कथित शार्पशूटर को गिरफ्तार किया.

लिंचिंग के मामलों की बाढ़

दिसंबर 2021 में, मुक्तसर के भुंदर गांव के डेरा फॉलोवर चरण दास को 2018 के बेअदबी के एक अलग मामले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए मार दिया गया था. ग्रामीणों ने दावा किया कि चरण दास और उनकी बहन ने गुरु ग्रंथ साहिब को उठाया था, जिससे उनकी गिरफ्तारी हुई. जब उसकी हत्या हुई तब वह जमानत पर बाहर था.

अक्टूबर 2021 में सिंघू बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान बेअदबी के एक कथित कृत्य के लिए “ऑन द स्पॉट जस्टिस” की एक और घटना ने राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं.

लखबीर सिंह, तरनतारन के एक 35 वर्षीय दलित सिख, को निहंग सिंहों द्वारा कथित रूप से बेरहमी से मार डाला गया और एक बैरिकेड पर लटका दिया गया. लखबीर सिंह पर सिखों के पवित्र ग्रंथ सरबलो ग्रंथ का अपमान करने का आरोप लगाया गया था.

उनके हत्यारों ने मारने से पहले उनके साथ गंभीर हिंसा की, जिसमें उनकी हत्या करने से पहले उनके हाथ काट दिए गए और उनके पैर तोड़ दिए गए. उनकी हत्या के लिए चार निहंग सिखों, अर्थात् सरबजीत सिंह, नारायण सिंह, भगवंत सिंह और गोविंद प्रीत सिंह को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस द्वारा हिरासत में लेने से पहले इन चारों को अन्य निहंगों द्वारा सिरोपा देकर सम्मानित किया गया.

हालांकि, सिख उपदेशक रणजीत सिंह ढदरियावाले ने हत्या की कड़ी निंदा की थी.

कुछ महीने बाद, दिसंबर 2021 में, एक अज्ञात व्यक्ति को अमृतसर में कथित रूप से स्वर्ण मंदिर में गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान करने की कोशिश करने के आरोप में पीट-पीटकर मार डाला गया था. वह व्यक्ति गर्भगृह को अलग करने वाली रेलिंग को फांद गया था और कृपाण लेने की कोशिश की थी.

एसजीपीसी के कर्मचारियों ने उसकी पिटाई की और बाद में गुस्साए श्रद्धालुओं को सौंप दिया, जिन्होंने उसे पीट-पीटकर मार डाला. वह आज तक अज्ञात है. उसे मारने वाली भीड़ में से किसी पर भी मामला दर्ज नहीं किया गया था.

स्वर्ण मंदिर में घटना के कुछ दिनों के भीतर, कपूरथला के एक गांव के गुरुद्वारे में संदिग्ध चोरी और ‘अपवित्रीकरण’ के लिए एक और अज्ञात युवक की हत्या कर दी गई थी.

गुरुद्वारा अमरजीत सिंह के ग्रन्थी (गुरु ग्रंथ साहिब का औपचारिक तौर पर पाठ करने वाले) ने पहले अज्ञात युवक को पकड़ा और एक कमरे में बंद कर दिया.

फिर उन्होंने घटना के बारे में जानकारी फैलाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया और गुरुद्वारे में एक सिख संगत, या सामूहिक सभा बुलाई. हालांकि एक एसजीपीसी सदस्य ने कथित तौर पर युवक को पुलिस को सौंपने का सुझाव दिया क्योंकि उसका व्यवहार “असामान्य” लग रहा था, लेकिन इकट्ठे हुए लोगों ने इनकार कर दिया. फिर वे उस कमरे में घुस गए जहां युवक बंद था और उसकी हत्या कर दी.

A photo of Lakhbir Singh | Suraj Singh Bisht | ThePrint
लखबीर सिंह की एक तस्वीर | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

अपनी जांच में, पुलिस ने पाया कि युवक, जो अभी भी अज्ञात है, भोजन चुराने और बेअदबी न करने के इरादे से गुरुद्वारे में दाखिल हुआ था. पुलिस ने ग्रंथी अमरजीत सिंह और सौ से अधिक अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. ग्रंथी फिलहाल गुरदासपुर जेल में है.

विशेष रूप से, दमदमी टकसाल जत्था के प्रमुख बरजिंदर सिंह परवाना को बाद में कपूरथला मामले में भीड़ को हिंसक होने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था.

खालिस्तान विरोधी मार्च को लेकर पटियाला में पिछले मई में हुई हिंसक झड़पों में परवाना मुख्य आरोपी है. उन्हें मई 2022 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन दिसंबर में जमानत मिल गई थी.

‘इनका सच कभी सामने नहीं आता’

इस बुधवार, राजपुरा गुरुद्वारे में साहिल पर हमला होने के तुरंत बाद, बरजिंदर सिंह परवाना ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश जारी किया. उसने अपने अनुयायियों को “सूचित” किया कि युवक को बुरी तरह पीटा गया था और उसके साथ ऐसा व्यवहार किया गया जिसे वह कभी नहीं भूल पाएगा.

परवाना वीडियो संदेश में कहते हैं, ‘देखते हैं कि वह इस पिटाई से बच पाते हैं या नहीं.’

प्रोफेसर मंजीत सिंह के अनुसार, सिखों में एक प्रचलित भावना है कि पुलिस ने बेअदबी के आरोपियों को यह दावा करते हुए छोड़ दिया कि वे मानसिक रूप से अस्थिर थे और इस तरह उनके काम के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी.

उन्होंने कहा, “कि हो सकता है कि एक मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति ने बेअदबी की हो, लेकिन इससे गुस्साई भीड़ को कोई फर्क नहीं पड़ता,” उन्होंने कहा. “राजपुरा की घटना के बाद मैंने भीड़ में से एक व्यक्ति को एक न्यूज रिपोर्टर को यह कहते हुए सुना कि यदि कोई व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान है या डिप्रेशन का इलाज करवा रहा है तो वह गुरुद्वारे में ही क्यों आता है? वे कभी मंदिरों में प्रवेश क्यों नहीं करते या घर में समस्याएं क्यों नहीं खड़ी करते?”

प्रोफेसर सिंह कहते हैं कि इस दृष्टिकोण की वजह से सच्चाई का पता लगाने के लिए बहुत कम संभावना बचती है.

उन्होंने कहा, “समस्या यह है कि आरोपी की मौके पर ही मौत हो जाती है और उनका सच कभी सामने नहीं आता.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः महिला वकील के साथ ‘शर्मनाक हरकत’ को लेकर पंजाब के महाधिवक्ता निशाने पर, विपक्ष ने की जांच की मांग


 

share & View comments