नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) बिहार के मधुबनी के रहने वाले राघवेंद्र कुमार ने अपनी पुश्तैनी जमीन बेच दी ताकि वह बिना सुरक्षा गियर के दुपहिया वाहन चलाने वालों में 50,000 से ज्यादा हेलमेट बांट सकें।
व्हीलचेयर के सहारे चलने वाले हरमन सिंह सिद्धू ने सभी राजकीय और राष्ट्रीय राजमार्गों पर शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अभियान का नेतृत्व किया और पंजाब के फिरोजपुर जिले में लेक्चरर दीपक शर्मा एक संगठन चलाते हैं जो कम उम्र के बच्चों में ड्राइविंग के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता है।
इन तीनों में साझा बात त्रासदियों में व्यक्तिगत क्षति है जिसने उन्हें सड़क सुरक्षा योद्धा में बदल दिया। कुमार ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मैंने चार साल पहले एक सड़क दुर्घटना में अपने दोस्त और रूममेट को खो दिया था। कड़वी सच्चाई यह है कि अगर उसने हेलमेट पहना होता तो उसे बचाया जा सकता था। मैंने तब संकल्प लिया कि मैं हेलमेट नहीं पहनने वालों को इसके खिलाफ आगाह कर सकता हूं और उनकी जान बचा सकता हूं। यह मेरे लिए एक सबक है।’’
त्रासदी के बाद से कुमार ने 50,000 से अधिक हेलमेट वितरित किए हैं और उन्हें ‘‘हेलमेट मैन ऑफ इंडिया’’ के रूप में जाना जाता है। हेलमेट के उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाने के रास्ते में आने वाली कठिनाइयों के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हेलमेट खरीदने के लिए पहले कुछ गहने बेचे जो मेरे पास घर पर थे, लेकिन वह पर्याप्त नहीं था। फिर मैंने अपनी पुश्तैनी जमीन बेचने का फैसला किया।’’
शर्मा को मोटरसाइकिल दुर्घटना में अपने 16 वर्षीय बेटे मयंक को खोए हुए पांच साल हो चुके हैं, लेकिन पछतावा करते हुए कहते हैं, ‘‘मुझे उसे रोकना चाहिए था।’’ उन्होंने कहा कि इस दुर्घटना ने उन्हें एक सड़क सुरक्षा कार्यकर्ता में बदल दिया, जो माता-पिता को कम उम्र में ड्राइविंग के खिलाफ जागरूक करते हैं।
इंदौर में रंजीत सिंह एक यातायात पुलिसकर्मी हैं और लगभग 17 वर्षों से मध्य प्रदेश के शहर में यातायात को नियंत्रित करने के लिए दिवंगत पॉप गायक माइकल जैक्सन के ‘मूनवॉक’ का उपयोग कर रहे हैं। यह सब एक सड़क दुर्घटना से शुरू हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे एक संदेश मिला कि एक दुर्घटना हुई है और जब मैं मौके पर पहुंचा और भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, तो मैंने अपने दोस्त को खून से लथपथ देखा। मैंने तब फैसला किया कि मुझे सड़क सुरक्षा में लोगों को शामिल करने के लिए कुछ अनोखा करना होगा।’’
सिद्धू के लिए 1996 की सड़क दुर्घटना एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में आई। हालांकि वह लगभग 50 फीट नीचे गिरने से बच गए, लेकिन घटना में वह गर्दन से नीचे लकवाग्रस्त हो गए और हमेशा के लिए व्हीलचेयर पर आश्रित हो गए।
उन्होंने सड़क सुरक्षा का मुद्दा उठाया और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की, जिसमें राष्ट्रीय और राजकीय राजमार्गों पर सभी शराब की दुकानों को बंद करने की अपील की गई क्योंकि ऐसी दुर्घटनाएं शराब पीकर गाड़ी चलाने का एक प्रमुख कारण हैं।
आखिरकार, राजमार्गों पर शराब की दुकानों के खिलाफ वर्षों के अभियान के बाद उनके प्रयासों को बढ़ावा मिला और दिसंबर, 2016 में उच्चतम न्यायालय ने राजमार्गों के किनारे शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया।
भाषा सुरभि रंजन
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