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Wednesday, 23 July, 2025
होमदेशब्लैक बॉक्स निकालने से लेकर ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ बनाने तक, कैसे होगी एयर इंडिया प्लेन क्रैश की जांच

ब्लैक बॉक्स निकालने से लेकर ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ बनाने तक, कैसे होगी एयर इंडिया प्लेन क्रैश की जांच

एक एविएशन सेफ्टी कंपनी के सीईओ का कहना है कि भारतीय एविएशन रेगुलेटर की एक टीम और उन सभी देशों के रेगुलेटर की टीमें जहां यह विमान उड़ाया जाता है, जल्द ही क्रैश साइट पर पहुंचने वाली हैं.

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नई दिल्ली: एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के क्रैश के कारणों का पता लगाने के लिए एविएशन एक्सपर्ट जांच करेंगे, जिसमें ब्लैक बॉक्स की तलाश और उसका विश्लेषण भी शामिल है.

AI विमान, एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, टेकऑफ के 30 सेकंड के भीतर अहमदाबाद के मेघानी नगर स्थित एक मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के हॉस्टल से टकरा गया था. शुक्रवार तड़के एयर इंडिया ने पुष्टि की कि विमान में सवार 242 लोगों में से सिर्फ एक ही व्यक्ति जीवित बचा है.

एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने पहले ही इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) द्वारा तय किए गए अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के तहत औपचारिक जांच शुरू कर दी है.

मार्क मार्टिन, जो एविएशन सेफ्टी फर्म मार्टिन कंसल्टेंसी के फाउंडर और सीईओ हैं, ने दिप्रिंट को बताया कि भारतीय एविएशन रेगुलेटर DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) की एक टीम और उन सभी देशों के रेगुलेटर की टीमें जहां यह विमान ऑपरेट होता है—जैसे NTSB (नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड), EASA (यूरोपियन यूनियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी)—जल्द ही क्रैश साइट पर पहुंचकर जांच शुरू करेंगी.

यह होता है जब कोई हवाई दुर्घटना होती है, तब जांच कैसे की जाती है:

ब्लैक बॉक्स और उसकी जांच 

पानी में मिले FDR और CVR (फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर) की रिकवरी में कई चुनौतियां होती हैं. अगर कोई रिकॉर्डर पानी में मिला है, तो उसे ज़ंग (corrosion) से बचाने के लिए पानी में ही रखा जाता है.

विशेषज्ञ शॉन पेन, जो फ्लाइट रिकॉर्डर से डेटा निकालने और उसका विश्लेषण करने में लगे हैं, उन्होंने ग्लोबल फ्लाइट ट्रैकिंग सर्विस फ्लाइटराडार24 को बताया कि “रिकॉर्डर को डिअयोनाइज्ड पानी में रखना नुकसान को कम करता है जब तक वह लैब नहीं पहुंचता.”

जब फ्लाइट रिकॉर्डर लैब में पहुंचते हैं, तो विशेषज्ञ सबसे पहले उनकी हालत जांचते हैं कि डेटा निकाला जा सकता है या नहीं. अगर रिकॉर्डर सही सलामत हो, तो आमतौर पर डेटा आसानी से डाउनलोड हो जाता है. लेकिन अगर वह डैमेज हो तो ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती ह.

सबसे ज़रूरी हिस्सा होता है क्रैश सेफ मेमोरी यूनिट (CSMU), जिसमें अहम फ्लाइट डेटा होता है. अगर ज़रूरत हो, तो विशेषज्ञ डेटा चिप्स को “गोल्डन चैसिस” नाम के एक खास डिवाइस में शिफ्ट करते हैं, जो डेटा को सुरक्षित रखने और डाउनलोड करने के लिए बनाया गया है.

शॉन पेन ने बताया, “हमारी लैब में हर पश्चिमी देश में बना हुआ फ्लाइट रिकॉर्डर है, जिसे मैन्युफैक्चरर से एक छोटे से बदलाव के साथ मंगवाया गया है—एक ऐसा बदलाव जो रिकॉर्डर में आगे का डेटा लिखना बंद कर देता है.”

फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर में सैकड़ों तरह के पैरामीटर होते हैं जिन्हें जांचकर यह समझने की कोशिश की जाती है कि हादसे से पहले क्या हुआ. वहीं, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) में पायलट की बातचीत और कॉकपिट की बाकी आवाज़ें रिकॉर्ड होती हैं.

जांच का सबसे नाज़ुक हिस्सा होता है CVR को सुनना.

मुख्य मकसद होता है यह पता लगाना कि हादसा रिकॉर्ड हुआ था या नहीं और उससे क्या-क्या जानकारी मिल सकती है. ध्यान देने वाली बात यह है कि CVR की रिकॉर्डिंग कानूनी रूप से सुरक्षित होती है.

फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर में विमान के सिस्टम से जुड़ी सैकड़ों जानकारियां होती हैं, जिनसे जांचकर्ताओं को यह समझने में मदद मिलती है कि हादसे से पहले क्या हुआ था. वहीं, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) पायलट की बातचीत और बाकी ज़रूरी आवाज़ें रिकॉर्ड करता है.

CVR को सुनना जांच का सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है. इसका मुख्य उद्देश्य यह देखना होता है कि क्या हादसे की रिकॉर्डिंग हुई थी और इससे क्या अहम जानकारी मिल सकती है.

जांच पड़ताल

बड़े हादसों के मामले में, जैसे अहमदाबाद में हुआ, एक टीम मलबे की जांच, वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के लिए भेजी जाती है. मलबा जांच के लिए लैब में भी भेजा जाता है. जांच के नतीजों से लैंडिंग के समय के प्रभाव, गति, वेग और कोण जैसी जानकारियाँ मिल सकती हैं.

लेकिन जब विमान पूरी तरह जलकर राख हो जाता है या बहुत ज़्यादा जल जाता है, तो मलबे की जांच से ज़्यादा जानकारी नहीं मिलती. यहां तक कि पैसेंजर सीटें, प्रोपेलर और पंख भी जांचकर्ताओं की मदद कर सकते हैं, ऐसा मार्टिन ने दिप्रिंट को बताया.

कोर्ट ऑफ इंक्वायरी

मार्टिन के अनुसार अगला कदम है ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ यानी जांच अदालत का गठन, जिसमें तीन सदस्य होते हैं. यह समिति मामले की सुनवाई करती है, जिसमें चश्मदीदों के बयान, जीवित बचे लोगों की गवाही, इंजीनियरों, एयरलाइन के सीईओ, एयर ट्रैफिक कंट्रोल और हादसे से जुड़े सभी लोगों की बात सुनी जाती है.

निष्कर्षों पर रिपोर्ट

जब सभी डेटा का विश्लेषण पूरा हो जाता है, तब निष्कर्षों को एक अंतिम रिपोर्ट में शामिल किया जाता है जिसे सार्वजनिक किया जाता है. इस रिपोर्ट में हादसे का तथ्यात्मक सारांश, तकनीकी निष्कर्ष, फ्लाइट डेटा का विश्लेषण, कॉकपिट ऑडियो, आधिकारिक बयान, हादसे का संभावित कारण और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए सुरक्षा सिफारिशों की सूची शामिल होती है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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