(हैरी एम पिल्लई)
तिरुवनंतपुरम, 23 मई (भाषा) केरल के कन्नूर की मूल निवासी और कतर में रहने वाली सफरीना लतीफ पर्वतारोहण में आने से पहले एक बैंकर और बेकर के तौर पर काम करती थीं। लेकिन उनका सपना था: एवरेस्ट चोटी को फतह करना।
सफरीना आखिरकार आठ हजार फुट से अधिक ऊंचे एवरेस्ट पर्वत शिखर पर चढ़ने वाली केरल की पहली महिला बन गई हैं।
सफरीना खुद को ‘हरफनमौला’ बताती हैं, क्योंकि पर्वतारोहण में जाने से पहले उन्होंने बैंकिंग और बेकिंग के क्षेत्र में भी काम किया था।
इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को अपने जीवन की अब तक की सबसे कठिन परीक्षा बताते हुए सफरीना ने कहा कि इस चढ़ाई के लिए न केवल शारीरिक फिटनेस, बल्कि मानसिक ताकत भी बहुत महत्वपूर्ण थी।
सफरीना 19 अप्रैल को एवरेस्ट के आधार शिविर पहुंचीं, इसके बाद 28 अप्रैल को चढ़ाई शुरू की। उन्होंने 12 मई को एवरेस्ट पर्वत शिखर के लिए चढ़ाई शुरू की और 18 मई को शिखर पर पहुंच गईं।
उन्होंने एवरेस्ट पर चढ़ाई के अपने अनुभवों के बारे में कहा, ‘‘ यह एक मानसिक संघर्ष है, क्योंकि हम बहुत सी अप्रत्याशित चीजें देखते हैं, जैसे हिमस्खलन, चट्टानों का गिरना और उन पर्वतारोहियों के शव, जिन्होंने हमारी ही तरह समान आकांक्षाओं और सपनों के साथ इस पर्वत शिखर पर चढ़ने का प्रयास किया था।’’
सफरीना ने नेपाल से ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक संदेश साझा करते हुए कहा, ‘‘चढ़ाई के दौरान रास्ते में पड़ी लाशें आपको हिलाकर रख देती हैं। हो सकता है कि आप भी अगली लाश हों — यह विचार आपके दिमाग में आता है। शिखर तक पहुंचने के लिए आपको इन सबसे लड़ना होता है।’’
हालांकि, 30 वर्ष की उम्र पार कर चुकी सफरीना लतीफ ने कहा कि शिखर तक पहुंचना बेहद रोमांचकारी है, क्योंकि वहां से दृश्य बहुत सुंदर दिखता है।
सफरीना ने कहा, ‘‘आप दुनिया के सबसे ऊपर, बादलों के ऊपर हैं। आपके ऊपर कुछ भी नहीं है, यही एहसास आपको होता है। इसे बयां करना मुश्किल है। आपको इसे अनुभव करना होगा।’’
सफरीना लतीफ पिछले 25 वर्षों से कतर में रह रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपनी खुशी स्वयं ढूंढनी होती है और इसके लिए हम दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकते।’’
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