नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के एक सितंबर को दिए गए आदेश का पालन करते हुए नॉर्थ दिल्ली मुनसिपल कॉरपोरेशन (एनडीएमसी) आख़िरकार बृहस्पतिवार को अपने प्राथमिक शिक्षकों को एक महीने की सैलरी दे देगा. कोर्ट ने एनडीएमसी को 10 सितंबर तक शिक्षकों को एक महीने की सैलरी देने को कहा था.
शिक्षकों की सैलरी देने के लिए एनडीएमसी को दिल्ली सरकार से पैसे मिले हैं. उत्तरी दिल्ली नगर निगम शिक्षक संघ के जनरल सेकेरेट्री राम निवास सोलंकी ने दिप्रिंट को बताया, ‘बुधवार को उतरी दिल्ली नगर निगम में शिक्षकों को जून माह की सैलरी का बजट दे दिया गया है. हमें बृहस्पतिवार को हमारी तनख़्वाह मिल जाएगी.’
एनडीएमसी के वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टी की कि शिक्षकों को एक महीने यानी जून की सैलरी बृहस्पतिवार को दे दी जाएगी. तीन महीने की सैलरी का इंतज़ार कर रहे एनडीएमसी के शिक्षकों को कोर्ट की दख़लअंदाजी के बाद जून की सैलरी तो मिल जाएगी, लेकिन उन्हें जुलाई और अगस्त की सैलरी का फ़िर भी इंतज़ार करना पड़ेगा.
कोरोना महामारी के चलते दिल्ली में स्कूल, कॉलेज से लेकर अस्पताल तक सैलरी की समस्या जूझ रहे हैं. इससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे ही नहीं स्थायी कर्मचारी भी प्रभावित हैं.
अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार द्वारा 100% फंडेड दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों के कर्मचारियों को मई से सैलरी का इंतज़ार है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित उत्तर दिल्ली नगर निगम के हज़ारों शिक्षक, पेंशनर और हिंदू रॉव जैसे अस्पतालों के स्वास्थ्यकर्मी अपने पैसों का दो से तीन महीने से इंतज़ार कर रहे हैं.
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) के अध्यक्ष राजीव रे ने दिप्रिंट से कहा, ‘टीचिंग-नॉन टीचिंग स्टाफ़ को मिला लें तो इन कॉलेजों में सैलरी की समस्या से कम से कम 3000 लोग प्रभावित हैं.’
जिन कॉलेजों में ये परेशानी बनी हुई है उनमें डॉक्टर भीम राव अंबेडकर कॉलेज, दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ फिज़िकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंसेस, केशव महाविद्यालय, भास्कर कॉलेज ऑफ़ अप्लाइड साइंस, महाराजा अग्रेसन कॉलेज, अदिति महाविद्यालय और आचार्य नरेंद्र देव जैसे कॉलेज शामिल हैं.
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मनीष सिसोदिया ने लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप
सैलरी की समस्या पर 7 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने इन कॉलेजों पर भ्रष्टाचार और राजनीति करने का आरोप लगाया था.
उन्होंने ये भी कहा था कि भ्रष्टाचार की वजह से इन कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी नहीं बनने दी जा रही है और इनमें दिल्ली सरकार के लोगों को शामिल नहीं किया जा रहा है. इन आरोपों का यूनिवर्सिटियों ने खंडन किया था. वहीं, डूटा प्रेसिडेंट रे का कहना है कि अगर किसी स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ भी हो तो सबकी सैलरी कैसे रोक सकते हैं?
इस विषय में दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया जानने के लिए दिप्रिंट ने सिसोदिया और दिल्ली के शिक्षा सचिव एच. राजेश प्रसाद को व्हाट्सएप और फ़ोन कॉल के जरिए संपर्क किया लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया. जवाब आने पर स्टोरी अपडेट की जाएगी.
नॉर्थ एमसीडी के शिक्षकों की सैलरी की समस्या अप्रैल से बनी हुई है. जून में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) ने 15 दिन के भीतर इनकी एक महीने की सैलरी देने को कहा जिसके बाद इन्हें अप्रैल तक की सैलरी मिली. इसके बाद इन्हें मई की सैलरी और मिली लेकिन इनकी जून, जुलाई और अगस्त की सैलरी बाकी है.
राम निवास सोलंकी ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमें पिछले तीन महीने से सैलरी नहीं मिली. कोर्ट के दख़्ल के बाद एक महीने के सैलरी मिली है. आप ही बताएं कि शिक्षक स्कूली काम पर ध्यान दें या सैलरी के लिए कोर्ट-कोर्ट करते रहें? सिर्फ़ स्कूल टीचर की सैलरी ही नहीं बल्कि हज़ारों की संख्या में पेंशनर की भी 5 महीने से पेंशन नहीं आई.’
सोलंकी ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद जून की सैलरी तो मिल गई. लेकिन एनडीएमसी की हालत से साफ़ है कि वो आगे भी सैलरी देने की स्थिति में नहीं होंगे. उन्होंने कहा, ‘ऐसे में हमने पहले से कोर्ट जाने के लिए अपनी कमर कस ली है.’
नॉर्थ एमसीडी की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार हिंदू रॉव जैसे अस्पतालों की डॉक्टरों की भी पिछले 2 महीने की सैलरी नहीं आई. हिंदू रॉव अस्तपाल के रेज़िडेंट वेलफ़ेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सागरदीप बावा ने दिप्रिंट से कहा, ‘जून की सैलरी महीने के अंत में आई थी. हम इंतज़ार कर रहे हैं कि जुलाई और अगस्त की सैलरी सिंतबर में देर से ही सही लेकिन आ जाए. अगर ऐसा नहीं होता हम फ़िर से लिखित में इसकी शिकायत करेंगे.’
इससे तकरीबन 300-400 स्वास्थ्य कर्मियों के प्रभावित होने की जानकारी देते हुए बावा ने कहा कि एनडीएमसी के कस्तूरबा हॉस्पिटल, रंजन बाबू टीबी हॉस्पिटल और गिरिधारी लाल हॉस्पिटल में भी सैलरी नहीं मिलने से यही आलम है.
शिक्षकों और स्वास्थ्यकर्मियों की सैलरी की समस्या से जुड़े सवालों पर नॉर्थ एमसीडी के मेयर अवतार सिंह ने कहा, ‘हमने आज दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के नेतृत्व में एक प्रदर्शन किया और दिल्ली सरकार से हमारे फंड जारी करने की मांग की. उन्होंने हमारे पैसे रोक रखे हैं जिसकी वजह से हम सैलरी नहीं दे पा रहे हैं.’ हालांकि, रोके गए फंड के ब्यौरे से जुड़ी डीटेल की जानकारी से जुड़े सवाल सिंह टाल गए.
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एनडीएमसी में वित्त के मामलों से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इनके द्वारा कलेक्ट किया जाने वाला रेवेन्यू इन्हीं के साथ रहता है. इस रेवेन्यू को नॉन-प्लैन्ड एक्सपेंडिटर पर ख़र्च किया जाता है. वहीं, इन्हें दिल्ली सरकार की तरफ़ से ‘ग्रांट इन एड’ दिया जाता है और इस पैसे को प्लान्ड और नॉन प्लान्ड एक्सपेंडिचर के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
अधिकारी ने कहा, ‘नॉन-प्लान्ड ग्रांट इन एड का इस्तेमाल पूरी तरह से सैलरी देने में किया जाता है. हमारी अपनी इनकम भी नॉन प्लान कैटगरी में आती है जिसे मुख्यत: सैलरी देने (90%) और अन्य ज़रूरी ख़र्च (10%) के लिए इस्तेमाल किया जाता है.’
अधिकारी ने ये भी बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सैलरी देने के निर्देश के बाद इस मामले को ‘केंद्र सराकर में उच्च स्तर’ तक उठाया गया है. उन्होंने कहा, ‘दिल्ली सरकार ने भी रेवेन्यू में कमी की वजह से (ग्रांट देने में) अपनी असमर्थता जताई है. हमारे रेवेन्यू में भी भारी कमी आई है. इसकी वजह से हम पिछले 4-5 महीने से सैलरी और पेंशन नहीं दे पाए हैं.’
स्वास्थ्यकर्मियों की सैलरी के विषय पर दिप्रिंट ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से भी फ़ोन और व्हाट्सएप मैसेज के जरिए संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका कोई जवाब नहीं मिला है.
इतनी भारी संख्या में लोग भले ही सैलरी के लिए त्रस्त हों, लेकिन इनकी समस्या सुलझाने के बजाय मामले पर राजनीति जारी है. दिल्ली भाजपा के प्रदर्शन के जवाब में आप के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने मीडिया से कहा, ‘भाजपा एक हफ्ते के अंदर कर्मचारियों को वेतन दे या फिर कुर्सी छोड़े.’