बेंगुलुरु, 11 जून (भाषा) कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने कांग्रेस आलाकमान द्वारा नये सिरे से जातिगत गणना कराने के फैसले को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के लिए ‘‘ शर्मनाक और हार’’ और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के लिए ‘जीत’ करार दिया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)नेता की बुधवार को यह टिप्पणी कांग्रेस के शीर्ष नेताओं द्वारा कर्नाटक में जातिगत आंकड़ों की पुनः गणना की घोषणा के एक दिन बाद आई है, ताकि कुछ समुदायों की चिंताओं का समाधान किया जा सके। इन समुदायों ने शिकायत की थी कि 10 साल पहले किए गए सर्वेक्षण में उन्हें शामिल नहीं किया गया था।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी नेता राहुल गांधी के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया। इस बैठक में मौजूद नेताओं में सिद्धरमैया भी शामिल थे।
अशोक ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि यह कदम मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के लिए ‘शर्मनाक’ और हार’’ है, जबकि शिवकुमार के लिए यह राजनीतिक ‘‘जीत’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी ने इस रिपोर्ट का विरोध किया था। कांग्रेस आलाकमान को भी लगा कि यह रिपोर्ट सही नहीं है। आलाकमान ने सिद्धरमैया के मुंह पर तमाचा मारा है। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा था कि वे रिपोर्ट को लागू करेंगे, चाहे कुछ भी हो जाए, लेकिन अब वे अपने शब्दों से मुकर गए हैं, इसलिए उनके लिए इस्तीफा देना उचित होगा। 160 करोड़ रुपये बर्बाद हो गए हैं और उनके पास दूसरा सर्वेक्षण कराने के लिए भी पैसे नहीं हैं। उन्हें इसके लिए जवाब देना चाहिए।’’
नेता प्रतिपक्ष ने कन्नड़ लोगों की ओर से सिद्धरमैया से सवाल किया कि क्या कोई फैसला तभी पवित्र होता है जब वह आलाकमान से आता है?
उन्होंने याद दिलाया कि जनता के विरोध, धार्मिक नेताओं, समुदाय प्रमुखों और यहां तक कि कई कांग्रेस मंत्रियों और विधायकों की आपत्तियों के बावजूद, जिन्होंने कंथाराजू आयोग की रिपोर्ट को ‘‘अवैज्ञानिक’’ और ‘‘अधूरी’’ कहा था, मुख्यमंत्री ने इसका दृढ़ता से बचाव किया था और इसे मंत्रिमंडल के सामने पेश करने पर जोर दिया था।
अशोक ने आरोप लगाया, ‘‘हालांकि, जैसे ही आलाकमान ने फटकार लगाई, वह (सिद्धरमैया) एक और सर्वेक्षण कराने के लिए सहमत हो गए। इससे एक बात स्पष्ट हो जाती है: उन्हें राज्य के लोगों, धार्मिक नेताओं या समुदाय के प्रमुखों पर कोई भरोसा नहीं है। क्या वह केवल अलाकमान के आदेशों का पालन करने वाले हैं?’’
सिद्धरमैया ने 90 दिनों के भीतर सर्वेक्षण पूरा कराने की बात की है। इसपर निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने जानना चाहा कि सरकार इस तरह की कवायद के लिए किसे तैनात करने का इरादा रखती है।
उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा स्थिति में लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इस तरह का सर्वेक्षण कैसे संभव है। स्कूल पहले ही शुरू हो चुके हैं और इस समय इतने बड़े काम के लिए शिक्षकों का इस्तेमाल करना शैक्षणिक गतिविधियों को पूरी तरह से बाधित कर देगा, जिसका सीधा असर बच्चों के भविष्य पर पड़ेगा। तो, सरकार इन 90 दिनों के भीतर इस सर्वेक्षण को करने के लिए किसे तैनात करेगी?’’
अशोक ने ऑनलाइन सर्वेक्षण के विचार को एक और ‘‘अतार्किक कदम’’ करार देते हुए इसकी व्यवहार्यता पर सवाल उठाया और कहा कि कई साक्षर लोग अब भी डिजिटल प्रणालियों से अपरिचित हैं।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘सूचना और पहचान की सटीकता कैसे सुनिश्चित की जाएगी? गलत जानकारी प्रविष्टियों को रोकने के लिए सरकार क्या उपाय करेगी?जातिगत गणना पर पहले ही खर्च की जा चुकी भारी-भरकम धनराशि के लिए कौन जवाबदेह है?’’
अशोक ने कहा कि इस बात की प्रबल आशंका है कि मुख्यमंत्री और उनका आलाकमान हाल ही में आईपीएल जीत के जश्न के दौरान हुई त्रासदी से ध्यान हटाने के लिए नाटक कर रहे हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘अगर सरकार वाकई प्रतिबद्ध और ईमानदार है तो उसे सबसे पहले इस बात पर सार्वजनिक चर्चा करनी चाहिए कि सर्वेक्षण कैसे किया जाना चाहिए। उसे एक सर्वदलीय बैठक भी बुलानी चाहिए, चर्चा करनी चाहिए और सभी की राय सुननी चाहिए। सभी तैयारियां पूरी करने के बाद, इस शैक्षणिक वर्ष के समाप्त होने के बाद ही शिक्षकों की मदद से सर्वेक्षण कराया जाना चाहिए। यह राज्य के कल्याण के लिए बिल्कुल जरूरी है।’’
इस बीच, उन्होंने एक कांग्रेस सांसद और तीन विधायकों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी का स्वागत किया और कहा कि जब भाजपा ने वाल्मीकि विकास निगम में घोटाले का विरोध किया था, तब मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने अनियमितता होने की बात स्वीकार की थी।
भाषा धीरज माधव
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