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Thursday, 7 August, 2025
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बिहार में लोकतंत्र की नींव पर हमला: पूर्व नौकरशाह

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नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर 90 से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने अपनी चिंता व्यक्त की है और इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए कहा है कि इससे बड़ी संख्या में लोग मताधिकार से वंचित हो जाएंगे। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिनके पास अपनी नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज नहीं हैं।

तीन अखिल भारतीय और केंद्र सरकार की विभिन्न सेवाओं के 93 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने एक खुले पत्र में आरोप लगाया है कि बिहार में मतदाता सूची के ‘‘निरर्थक’’ एसआईआर को जारी रखना तथा इस प्रक्रिया को देश के बाकी हिस्सों में विस्तारित करना ‘‘भारतीय लोकतंत्र के सामने सबसे बड़े खतरों में से एक है।’’

ये पूर्व अधिकारी ‘कॉन्स्टिट्यूशन कंडक्ट ग्रुप’ (सीसीजी) का हिस्सा हैं।

पत्र में कहा गया है, “ हम यह पत्र लिखकर अपनी चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि यह हमारे लोकतंत्र की बुनियाद – सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की प्रणाली – यानी नागरिकों के वोट देने के अधिकार – पर हमला प्रतीत होता है। यह कपटी हमला है, जिसमें मतदाता सूचियों में सुधार करने के कथित प्रयास से मतदाताओं का एक बहुत बड़ा हिस्सा, खासकर ऐसे गरीब और हाशिए पर पड़े लोगों के मताधिकार से वंचित होने की संभावना है, जिनके पास अपनी नागरिकता के प्रमाण के रूप में बहुत कम या कोई आधिकारिक दस्तावेज नहीं है।”

इसमें कहा गया है, ‘‘ अब तक, मतदाता सूची तैयार करते समय नागरिकता की दस्तावेजी पुष्टि के लिए उदार और लचीला रुख अपनाया जाता था, जबकि यह अच्छी तरह से पता था कि अधिकतर भारतीयों के पास अपनी नागरिकता की स्थिति स्थापित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज और प्रमाणपत्र नहीं हैं।”

पत्र के मुताबिक, यह भी माना गया कि गरीब लोग आधिकारिक दस्तावेज़ों तक पहुंच से विशेष रूप से वंचित हैं और इसलिए उनके समावेशन को सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता है।

इसमें दावा किया गया है कि अब इस प्रक्रिया को उलट दिया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दस्तावेज़ों तक कम पहुंच रखने वालों को मतदाता के रूप में उनके अधिकारों से वंचित किया जा सके।

पूर्व सिविल सेवकों ने कहा कि निर्वाचन आयोग (ईसी) ने मतदाताओं पर अपनी नागरिकता साबित करने का दायित्व डालकर लंबे समय से चली आ रही परंपरा को उलट दिया है, और बिना किसी संवैधानिक अधिकार के नागरिकता का अधिकार देने या छीनने की शक्ति खुद को दे दी है, तथा अधिकारियों को मतदाताओं के नाम हटाने या जोड़ने के लिए ‘‘असाधारण विवेकाधीन शक्तियां’’ प्रदान कर दी हैं।

भाषा नोमान नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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