नई दिल्ली: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बीके कुठियाला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस ने सोमवार को कुठियाला को गिरफ्तारी से आंतरिक सुरक्षा मुहैया कराई है. पूर्व कुलपति के ख़िलाफ़ तीन सदस्यों की एक समिति की रिपोर्ट के आधार पर आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में मामला दर्ज कराया गया है जिसके तहत उनकी गिरफ्तारी होने वाली थी.
कुठियाला पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संस्था से जुड़े लोगों से जुड़ी कई अवैध नियुक्तियां करने और विश्वविद्यालय के फंड का ग़लत इस्तेमाल करने के आरोप हैं. पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी के अलावा वरिष्ठ वकील पुरुशेंद्र कौरव ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मध्य प्रदेश की वर्तमान सरकार राजनीतिक कारणों से कुठिलाया को परेशान कर रही है.
मध्य प्रदेश सरकार का पक्ष पेश कर रहे स्थायी वकील राहुल कौशिक ने पूर्व वीसी के बेल का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें घोषित अपराधी करार दिया जा चुका है. इस पर गंभीरता से टिप्पणी करते हुए न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा, ‘हत्या और रेप के असाधारण मामलों में भी मैंने इस तरह की असाधारण प्रतिक्रिया नहीं देखी.’ उन्होंने कहा कि वो राज्य द्वारा कुठियाला को घोषित अपराधी करार दिए जाने के तरीके पर भी गौर करेंगे.
क्या है पूरा मामला
2010-2018 के बीच माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रोफेसर बृज किशोर कुठियाला पर गंभीर आरोप लगे हैं. ये आरोप उस समिति की जांच के बाद सामने आए जिसे वर्तमान कमलनाथ सरकार ने गठित किया था. हालांकि, दिप्रिंट से पहले इस मामले पर हुई बातचीत में कुलपति कुठियाला ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज किया था और जांच में सहयोग की बात कही थी.
इस समिति ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपनी रिपोर्ट सात मार्च को सौंप दी थी. कमलनाथ सरकार ने कुलपति तिवारी के रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही करने को कहा था. उन्हें इकनॉमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) से इसकी जांच कराने को कहा गया जिसके बाद उन्होंने इसे ईओडब्ल्यू को सौंप दिया गया.
वीसी कुठियाला सहित 20 पर हैं आरोप
विश्वविद्यालय में पिछले सालों के दौरान हुईं नियुक्तियों और अन्य प्रशासनिक फैसलों से जुड़े मामले में की गई शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने पूर्व कुलपति ब्रजकिशोर कुठियाला सहित 20 लोगों के खिलाफ 14.04.2019 को एक मामला दर्ज किया था.
विश्वविद्यालय की शिकायत के परीक्षण के बाद ईओडब्ल्यू ने कुठियाला सहित 20 लोगों और अन्य को प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए धारा आपराधिक उल्लंघन (409), धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति के वितरण को प्रेरित करना (420), आपराधिक षडयंत्र (120बी) के तहत केस दर्ज किया गया था.
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विश्वविद्यालय की ओर से की गई शिकायत में कहा गया था कि साल 2010 से 2018 के बीच कुठियाला ने कुलपति के पद पर रहते हुए कई नियुक्तियां यूजीसी के मानकों का अवहेलना कर की गईं. इसके साथ ही कुठियाला ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध तरीके से विश्वविद्यालय की राशि को अपने और अपने परिवार पर ख़र्च किया.
ईओडब्ल्यू में की गई शिकायत में कहा गया था कि साल 2003 से साल 2018 के बीच जिन शिक्षकों की नियुक्तियां की गईं, कथित रूप से वो यूजीसी के नियमों के विपरीत थीं और उनके ज़रिए लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. आरोप है कि कुठियाला ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को, श्री श्री रविशंकर के आश्रम, भारतीय शिक्षण मंडल आदि को कार्यक्रमों के लिए पैसे दिये थे.
रिपोर्ट में पूर्व कुलपति कुठियाला पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने कथित रूप से विश्वविद्यालय के सारे नियमों को ताक पर रखते हुए राज्य के बाहर और एक विशेष राजनैतिक विचारधारा (आरएसएस) से जुड़े हुए संस्थानों को पैसा बांटा. उनपर शराब खरीद और पत्नी को लंदन यात्रा पर भेजने के लिए विश्वविद्यालय के पैसे ख़र्च करने के आरोपों के अलावा संघ विचारक और राज्यसभा सांसद को कथित रूप से नियमों को ताक पर रखकर नौकरी देने के आरोप भी हैं.