प्रयागराज (उप्र), 10 मार्च (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानपुर नगर में लंबित रंगदारी के एक आपराधिक मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी और उसके भाई रिजवान सोलंकी को सोमवार को जमानत दे दी।
हालांकि 2022 के मामले में दोनों को जमानत दे दी गई है, लेकिन अन्य लंबित आपराधिक मामलों के कारण वे जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे।
याचिकाकर्ताओं की ओर से जमानत की अर्जी छह फरवरी, 2022 को दर्ज एक आपराधिक मामले में दायर की गई थी। यह मामला कानपुर के जाजमऊ पुलिस थाना में भारतीय दंड संहिता की धारा 386 (मृत्यु का भय दिखाकर व्यक्ति से रंगदारी मांगना) के तहत दर्ज किया गया था।
प्राथमिकी में शिकायतकर्ता अकील अहमद ने आरोप लगाया था कि आरोपी व्यक्ति कुछ गरीब लोगों की जमीन पर कब्जा करना चाहते थे और इस पर उसने आपत्ति की जिसके बाद आरोपियों ने उसे धमकी देकर 10 लाख रुपये रंगदारी मांगी।
सोलंकी के वकील ने दलील दी कि उनका मुवक्किल निर्दोष है और राजनीतिक दुश्मनी के चलते उसे झूठा फंसाया गया है। घटना के समय इरफान विधायक था। सोलंकी चार जनवरी, 2023 से जेल में है।
याचिकार्ताओं को जमानत देते हुए न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने कहा, ‘याचिकाकर्ता इरफान सोलंकी पहले ही दो साल से अधिक की सजा काट चुका है और नौ मामलों का उसका पिछला आपराधिक इतिहास है और इस मामले के बाद उसे और नौ मामलों में संलिप्त दिखाया गया है।’
अदालत ने कहा, ‘‘प्रभाकर तिवारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार, 2020 के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि एक आरोपी के खिलाफ कई आपराधिक मामले लंबित होना जमानत से मना करने का अपने आप में आधार नहीं हो सकता। आरोपों की प्रकृति पर विचार करते हुए याचिकाकर्ता की जमानत अर्जी केवल आपराधिक इतिहास के आधार पर खारिज नहीं की जा सकती।’’
रंगदारी के मौजूदा मामले में इरफान सोलंकी और उसके भाई रिजवान को जमानत दे दी गई है, लेकिन वे जेल से बाहर नहीं निकल सकेंगे क्योंकि इनके खिलाफ अन्य आपराधिक मामले लंबित हैं और इन मामलों में जमानत मिलनी बाकी है।
भाषा राजेंद्र सिम्मी
सिम्मी
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