नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) वरिष्ठ अधिवक्ता आदिश सी अग्रवाल ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से स्पष्टीकरण मांगा कि इस साल बार एसोसिएशन की नई मतदाता सूची तैयार होने के बाद प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के पात्र कौन होंगे।
अग्रवाल ने कोलकाता में एक चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या मामले पर एक प्रस्ताव को लेकर एससीबीए अध्यक्ष कपिल सिब्बल के खिलाफ अपना विरोध जताया था।
सिब्बल इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व भी कर रहे हैं।
एससीबीए के पूर्व अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि वह और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के कुछ सदस्य सिब्बल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं और चाहते हैं कि शीर्ष अदालत यह स्पष्ट करे कि कौन सी मतदाता सूची वैध होगी।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में एससीबीए अध्यक्ष कपिल सिब्बल द्वारा जारी प्रस्ताव ने विवाद खड़ा कर दिया है। बार के प्रतिद्वंद्वी नेताओं ने कई आपत्तियां उठाई हैं, जिनमें ‘‘एससीबीए की कार्यकारिणी समिति की कोई ऑनलाइन या भौतिक बैठक आयोजित किए बिना’’ इसे जारी करने का आरोप भी शामिल है।
बाद में अग्रवाल ने सिब्बल को पत्र लिखकर प्रस्ताव वापस लेने को कहा।
उन्होंने यह भी दावा किया कि एससीबीए की कार्यकारिणी समिति के कई निर्वाचित सदस्यों ने सिब्बल को एक पत्र लिखा था, जिसमें ‘‘21 अगस्त के कथित प्रस्ताव को एससीबीए के ‘लेटरहेड’ पर और पूरी कार्यकारिणी समिति की ओर से समिति के समक्ष रखे बिना या कार्यकारिणी समिति के किसी सदस्य के साथ चर्चा किए बिना जारी करने पर कड़ी आपत्ति जताई गई थी।’’
अग्रवाल ने कहा कि प्रस्ताव वापस न लेने की स्थिति में सिब्बल के खिलाफ बार निकाय में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा।
अग्रवाल ने बुधवार को एससीबीए के लंबित 2003 के मामले में एक अंतरिम आवेदन दायर कर शीर्ष अदालत के पिछले आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा था।
अग्रवाल ने अपने आवेदन में कहा, ‘‘आज तक वरिष्ठ अधिवक्ता और एससीबीए के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने एससीबीए की ईमानदारी और विश्वसनीयता में सदस्यों का विश्वास बहाल करने की दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘उपर्युक्त परिस्थितियों के मद्देनजर, एससीबीए के ज्यादातर सदस्यों ने सिब्बल के नेतृत्व में विश्वास खो दिया है… इसलिए, आवेदक सम्मानित सदस्यों के साथ, सिब्बल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं।’’
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देवेंद्र माधव
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