नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष (पीसी घोष ) भारत के पहले लोकपाल बन सकते हैं.
2014 में लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम को अधिसूचित किया गया था. लेकिन किसी को भी इस पद पर नियुक्त नहीं किया गया था. सुप्रीम कोर्ट कॉमन कॉज (एनजीओ) द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है, इसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रशांत भूषण करते हैं. जो सरकार पर नियुक्तियों के लिए जोर दे रहा था.
7 मार्च को भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मोदी सरकार को 15 दिन के भीतर अदालत को सूचित करने के लिए कहा था कि वह नामों को अंतिम रूप कब देगी.
लोकपाल की नियुक्ति में बार-बार देरी के लिए 17 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की खिंचाई की थी.
कौन हैं पीसी घोष
जस्टिस घोष जून 2017 से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं, वे 27 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए थे.
घोष कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं.
एक सूत्र ने कहा कि लोकपाल चयन समिति की बैठक में उनका नाम फाइनल किया गया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, भारत के मुख्य न्यायाधीश गोगोई और वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी शामिल थे.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता वाली आठ-सदस्यीय खोज समिति ने लोकपाल के पद के लिए भारत के किसी पूर्व मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश करने के खिलाफ फैसला किया था. इसने बाद में 20 से अधिक नामों को रखा, जिनमें सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और कई पूर्व सिविल सेवक शामिल थे.