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Friday, 15 November, 2024
होमदेशकॉमेडियन मुनव्वर फारुकी की ज़मानत से इनकार करने वाले MP हाई कोर्ट के पूर्व जज रोहित आर्य BJP में शामिल

कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी की ज़मानत से इनकार करने वाले MP हाई कोर्ट के पूर्व जज रोहित आर्य BJP में शामिल

रोहित आर्य को एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोपी व्यक्ति को इस शर्त पर ज़मानत देने के लिए भी जाना जाता है कि वो उनसे राखी बंधवाए और उनकी रक्षा करने का वादा करे.

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भोपाल: इस साल 27 अप्रैल को सेवानिवृत्त हुए हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रोहित आर्य शनिवार को मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला की मौजूदगी में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए.

मध्य प्रदेश में हाई कोर्ट के न्यायाधीश के पद पर अपने दस साल के कार्यकाल में रोहित आर्य को कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी और नलिन यादव को ज़मानत देने से इनकार करने के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है, जब उन्हें 2021 में इंदौर के एक कॉमेडी शो में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने की शिकायत पर जेल भेजा गया था.

भारतीय दंड संहिता के समकक्ष नई भारतीय न्याय संहिता के क्रियान्वयन पर आयोजित पार्टी के एक कार्यक्रम में डॉ. राघवेंद्र शर्मा द्वारा भाजपा में शामिल किए गए आर्य ने अपने संबोधन में कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईपीसी की जगह बीएनएस लाकर एक बड़ा काम किया है.”

उन्होंने कहा, “हम केंद्र सरकार के प्रति आभार प्रकट करते हैं. इससे आने वाले समय में निश्चित रूप से सुधार आएगा, क्योंकि जब भारतीयों पर आईपीसी थोपी गई थी, तो उसका उद्देश्य उन्हें दंडित करना था. अब न्याय की भावना से भारतीय न्याय संहिता बनाई गई है.”

आर्य ने कहा कि न्याय की भावना राम और महाभारत काल से ही भारत के ताने-बाने का हिस्सा रही है. अंग्रेज़ों को भारतीयों की संस्कृति और आध्यात्मिकता से झटका लगा था, इसलिए उन्होंने भारतीय संस्कृति को खत्म करने और अंग्रेजी को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रणाली पर हमला किया था.

आर्य के राजनीतिक दल में शामिल होने से कुछ महीने पहले कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने 5 मार्च को इस्तीफा दे दिया था और दो दिन बाद भाजपा में शामिल हो गए थे. गंगोपाध्याय को भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल की तामलुक सीट से टिकट दिया था और उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के देबांग्शु भट्टाचार्य को हराया था.

सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के राजनीतिक दलों में शामिल होने की प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए, सुप्रीम कोर्ट के एक वकील अमित पई ने दिप्रिंट से कहा, “पूर्व न्यायाधीशों द्वारा की जाने वाली ऐसी हरकतें न्यायपालिका के राजनीतिक दलों से स्वतंत्र होने में लोगों के विश्वास को कम करती हैं. भले ही उन्होंने जिन भी मामलों की अध्यक्षता की हो, उन सभी पर उनके फैसले कानूनी रूप से सही हो सकते हैं, लेकिन यह निश्चित रूप से संदेह पैदा करता है.”


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कानूनी करियर, मुकदमे

रोहित आर्य अगस्त 1984 में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए और अगस्त 2003 में वरिष्ठ अधिवक्ता बन गए.

इंदौर हाई कोर्ट में कार्यरत एक अधिवक्ता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “रोहित आर्य मध्य प्रदेश में एक अपवाद थे, क्योंकि वे 41 वर्ष की आयु में वरिष्ठ अधिवक्ता बन गए थे, जबकि सामान्य तौर पर अधिवक्ताओं को वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के लिए 50 वर्ष की आयु तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है.”

2007 में रोहित आर्य को भारत के सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ पैनल अधिवक्ता के रूप में सूचीबद्ध किया गया था.

1999 से 2012 के बीच, उन्होंने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में आयकर विभाग के स्थायी अधिवक्ता के रूप में कार्य किया.

उनके अभ्यास के क्षेत्रों में सिविल कानून, सेवा और श्रम कानून, संवैधानिक, प्रशासनिक और कराधान कानून, कॉर्पोरेट और वाणिज्यिक कानून, और मध्यस्थता और अपीलीय सिविल मुकदमे शामिल थे.

उक्त इंदौर हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के अनुसार, जनवरी 2013 में रोहित आर्य के पिता बी.एन. आर्य की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और उनके नौकर जितेंद्र प्रधान पर उन्हें गोली मारने का आरोप लगाया गया था, लेकिन बाद में सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया था. बाद में 12 सितंबर 2013 को आर्य ने हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली.

अपने सबसे उल्लेखनीय मामले में आर्य ने जनवरी 2021 में कॉमेडियन फारुकी और यादव को ज़मानत देने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि ‘‘ज़मानत के लिए कोई मामला नहीं बनता’’ और प्रथम दृष्टया सबूत बताते हैं कि फारुकी का धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा था. हालांकि, फारुकी को फरवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत दे दी, जिसके बाद यादव को भी ज़मानत मिल गई.

जुलाई 2020 में एक और विवादास्पद फैसले में आर्य ने एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोपी विक्रम बागरी को इस शर्त पर ज़मानत दी कि वो अपनी पत्नी, मिठाई के डिब्बे और राखी के साथ उनके घर जाए और अपनी पूरी क्षमता से उनकी रक्षा करने का वादा करे. 2021 में इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.

आर्य के समक्ष पेश होने वाले वकीलों के अनुसार, इंदौर में बतौर हाई कोर्ट जज आर्य ने अपनी अदालत में वकीलों और अन्य लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए ख्याति अर्जित की, लेकिन ग्वालियर में उनके कार्यकाल को अधिक अनुकूल माना जाता है.

हाई कोर्ट जज के रूप में कार्य करते हुए, आर्य वकीलों के व्यवहार को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा में आ गए थे. ऐसी ही एक सुनवाई के दौरान, आर्य ने एक महिला वकील को ‘या’ शब्द का इस्तेमाल करने के लिए डांटा और कहा, ‘‘अगर आपने एक बार और ‘या’ का इस्तेमाल किया, तो मैं आपकी फाइल बंद कर दूंगा और आपको वापस भेज दूंगा. आप कैफे कॉफी डे में नहीं बैठी हैं.’’

जनवरी 2024 में एक अन्य मामले में ग्वालियर हाई कोर्ट में जज के रूप में कार्य करते हुए आर्य ने कोर्ट की अध्यक्षता करते समय विजिटर्स दीर्घा में बैठे एक लॉ स्टूडेंट को पानी की बोतल से पानी पीने के लिए डांटा. लॉ स्टूडेंट का पता पूछने पर आर्य ने कहा, ‘‘यह कोई कैफेटेरिया नहीं है. आप अपनी बोतल खोलकर पानी नहीं पी सकते. अगर आपको कुछ लेना है तो बाहर जाएं. मेरे कोर्ट रूम में पानी, कॉफी आदि पीने की अनुमति नहीं है.’’ यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगीं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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