(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली/बेंगलुरु, 25 अप्रैल (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की करीब एक दशक तक बागडोर संभालने वाले इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
परिवार के सूत्रों ने बताया कि वह 84 वर्ष के थे और उनके परिवार में दो बेटे हैं। पिछले कुछ महीने से वह वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे।
अधिकारियों ने बताया, ‘‘आज सुबह बेंगलुरु स्थित उनके आवास पर के. कस्तूरीरंगन का निधन हो गया। अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को 27 अप्रैल को रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) में रखा जाएगा।’’
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कस्तूरीरंगन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह जानकर दुख हुआ कि डॉ. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन अब नहीं रहे। इसरो के प्रमुख के रूप में उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।’’
मुर्मू ने कहा, ‘‘उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने में सहायता की, जो अगली पीढ़ी को आकार देने का काम कर रही है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कस्तूरीरंगन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत की वैज्ञानिक और शैक्षिक यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले डॉ. के. कस्तूरीरंगन के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कस्तूरीरंगन ने इसरो में बहुत लगन से काम किया और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाया जिसकी वजह से अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली।
मोदी ने कहा, ‘‘उनके नेतृत्व में महत्वाकांक्षी उपग्रह प्रक्षेपित हुए और नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया गया।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मसौदा तैयार करने में डॉ. कस्तूरीरंगन के प्रयासों तथा शिक्षा को अधिक समग्र एवं दूरदर्शी बनाने की उनकी कोशिशों को लेकर राष्ट्र हमेशा उनका आभारी रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, छात्रों, वैज्ञानिकों और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।’’
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत का परचम लहराने वाले प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक कस्तूरीरंगन का निधन स्तब्ध कर देने वाला है।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक में रह रहे डॉ. कस्तूरीरंगन को इस राज्य से बहुत प्रेम था।
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘इसरो के अध्यक्ष और केंद्र की अंतरिक्ष परिषद के निदेशक के रूप में डॉ. कस्तूरीरंगन की दीर्घकालिक सेवा ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।’’
उन्होंने कहा कि डॉ. कस्तूरीरंगन के परिवार के सदस्यों और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।
कस्तूरीरंगन भारत के पहले दो प्रायोगिक भू अवलोकन उपग्रहों — भास्कर 1 और 2 के लिए परियोजना निदेशक थे। बाद में, उपयोग में लाये गए पहले भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह, आईआरएस-1 ए को समग्र दिशानिर्देश देने की जिम्मेदारी भी उन्होंने निभाई।
उन्हें पद्म श्री (1982), पद्म भूषण (1992) और पद्म विभूषण (2000) से सम्मानित किया गया।
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने भी कस्तूरीरंगन के निधन पर दुख जताया। उन्हें एक प्रख्यात वैज्ञानिक, विज्ञान प्रशासक और शिक्षाविद् बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत के वैज्ञानिक विकास में अंतरिक्ष वैज्ञानिक के योगदान को लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर मसौदा समिति के अध्यक्ष रहे कस्तूरीरंगन ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और कर्नाटक नॉलेज कमीशन के अध्यक्ष के रूप में भी सेवा दी थी।
उन्होंने राज्यसभा सदस्य (2003 से 2009 तक) और योजना आयोग (नीति आयोग के पूर्ववर्ती) के सदस्य के रूप में भी सेवाएं दी थीं।
कस्तूरीरंगन अप्रैल 2004 से 2009 तक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, बेंगलुरु के निदेशक भी रहे थे।
पूर्व इसरो प्रमुख का जन्म 24 अक्टूबर 1940 को केरल के एर्नाकुलम में सी. एम. कृष्णास्वामी अय्यर और विशालाक्षी के घर हुआ था।
तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाला उनका परिवार त्रिशूर जिले के चालाकुडी में बस गया था। उनकी मां पलक्कड़ अय्यर परिवार से थीं।
कस्तूरीरंगन ने 27 अगस्त 2003 को सेवानिवृत्त होने से पहले, इसरो अध्यक्ष, अंतरिक्ष आयोग के प्रमुख और अंतरिक्ष विभाग के सचिव के रूप में नौ वर्षों से अधिक समय तक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को शानदार तरीके से आगे बढ़ाया।
भाषा सुभाष पवनेश
पवनेश
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