नयी दिल्ली, 28 सितंबर (भाषा) पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी कपिल देव और उनकी पत्नी ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम के उन प्रावधानों को चुनौती दी है, जो आवारा कुत्तों की ‘‘घातक कक्षों’’ में जान लेने और किसी भी कानून के तहत पशु की हत्या की अनुमति देते हैं।
यह याचिका मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई, जिसने याचिकाकर्ताओं के वकीलों को कुछ फैसलों को रिकार्ड में रखने के लिए समय दिया।
मामले में अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी।
याचिकाकर्ताओं कपिल देव, उनकी पत्नी रोमी देव और पशु अधिकार कार्यकर्ता अंजलि गोपालन ने कहा कि याचिका पशुओं के साथ बार-बार किये जाने वाले बर्बर व्यवहार को लेकर दायर की गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कृत्य मानवता के सर्वाधिक बर्बर और निर्मम चेहरे को उजागर करते हैं। साथ ही, यह कानून और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के शिथिल रवैये को भी प्रदर्शित करता है।
याचिका में, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 11 को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह बगैर प्रतिरोध के और मनमाना है क्योंकि यह जीवन को महत्वहीन करता है और तुच्छ कृत्यों से पशुओं की हत्या कर उनके किसी भी सार्थक अस्तित्व से इनकार करता है। यह 10 रुपये से भी कम का अर्थदंड लगाने के जरिये उनकी मौत का मखौल बनाता है।
धारा 11 पशुओं के साथ क्रूर व्यवहार से संबंधित है और इसमें जुर्माने का प्रावधान है, जो 10 रुपये से कम नहीं होगा, लेकिन पहली बार अपराध करने पर 50 रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। वहीं, दूसरी बार या पहले अपराध के तीन साल के भीतर फिर से अपराध करने पर सजा के रूप में जुर्माने की राशि 25 रुपये से कम नहीं होगी, लेकिन इसे 100 रुपये तक बढ़ाया जा सकता है या अधिकतम तीन महीने की कैद, या दोनों हो सकते हैं।
याचिका में कहा गया है, ‘‘धारा 11, पीसीए अधिनियम के तहत, अपवाद के रूप में और भी अनुचित है, जो धारा 11 (3) (बी) (घातक कक्षों में आवारा कुत्तों का खात्मा), धारा 11 (3) में उल्लेखित उद्देश्यों के लिए पशुओं के प्रति क्रूरता की अनुमति देता है।’’
इसमें कहा गया है कि इनके अलावा धारा 11 (3) (सी) अभी लागू किसी भी कानून के प्राधिकार के तहत पशु के खात्मे की अनुमति देता है।
भाषा सुभाष अविनाश
अविनाश
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