अहमदाबाद, 22 अप्रैल (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की जरूरत का आकलन करने के उद्देश्य से गठित पांच सदस्यीय समिति के गठन को चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि इस समिति में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भी शामिल किए जाने की जरूरत है।
इस साल चार फरवरी को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने यूसीसी की आवश्यकता का आकलन करने और इसके लिए एक विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए समिति के गठन की घोषणा की थी।
यूसीसी समिति की संरचना को चुनौती देते हुए सूरत निवासी अब्दुल वहाब सोपारीवाला ने अपनी याचिका में कहा कि इसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों के सदस्य नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे हितधारकों को शामिल करना यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण था कि यूसीसी के निर्माण में विचारों और प्रथाओं की विविधता पर विचार किया जाए।
सोपारीवाला के वकील जमीर शेख ने बताया कि यह मामला सोमवार को न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी मेयी की अदालत में सुनवाई के लिए आया और सरकार की ओर से महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी की अदालत में पांच मई को इस पर चर्चा होगी।
याचिका में कहा गया है कि गुजरात में समान नागरिक संहिता की जरूरत की जांच के लिए गठित समिति में अल्पसंख्यक समुदायों का एक भी विद्वान नहीं है।
इसमें कहा गया है कि प्रत्येक समुदाय और संबंधित हितधारकों के उचित प्रतिनिधित्व के बिना, यह समिति भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (भेदभाव का निषेध), और 25 (धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।
याचिकाकर्ता ने 16 मार्च को मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन दिया, जिसके बाद उन्होंने गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
भाषा ब्रजेन्द्र खारी
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