कोहिमा, छह अगस्त (भाषा) नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने संसद द्वारा हाल में पारित वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक को ‘आदिवासी विरोधी’ करार देते हुए मांग की कि नगालैंड विधानसभा का आपातकालीन सत्र बुलाकर विधेयक के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया जाए।
वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023 देश की सीमाओं के 100 किलीमीटर के भीतर की भूमि को संरक्षण कानूनों के दायरे से छूट देने और वन क्षेत्रों में चिड़ियाघर, सफारी और इको-पर्यटन सुविधाओं की स्थापना की अनुमति देने का प्रावधान करता है। इसे पिछले महीने लोकसभा और दो अगस्त को राज्यसभा ने पारित किया था।
एनपीएफ विधायक दल के नेता कुझोलुज़ो निएनु ने कहा कि विधेयक कानून बनने के बाद इसके प्रावधान कीमती वन भूमि को ‘नुकसान और विनाश के प्रति अधिक संवेदनशील’ बना देंगे।
उन्होंने दावा किया कि विधेयक के प्रावधान अनुच्छेद 371 (ए) के तहत नगालैंड को भूमि और संसाधनों को लेकर दी गई संवैधानिक सुरक्षा से भी टकराते हैं। यह अनुच्छेद पूर्वोत्तरी राज्य के लिए प्रावधान करता है।
उन्होंने कहा कि एनपीएफ की मांग है कि राज्य की एनडीपीपी-भाजपा सरकार को ‘आदिवासी विरोधी और संविधान विरोधी विधेयक’ को खारिज करने के लिए एक अधिनियम या प्रस्ताव पारित करना चाहिए।
निएनु ने कहा कि इसके लिए सरकार को एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए या अगले महीने आयोजित होने वाले विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को उठाना चाहिए।
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नोमान नरेश
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