नई दिल्ली: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को आश्वासन दिया है कि प्रस्तावित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के बारे में भारत की चिंता को ‘ध्यान में रखा जाएगा’. पिछले दो दिनों तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच चली अनौपचारिक वार्ता में कई मुद्दों पर बात हुई. इस बैठक के बारे भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने मीडिया से बातचीत की और बताया दोनों नेताओं के बीच करीब 90 मिनट तक अकेले में बातचीत हुई लेकिन इस बातचीत में ‘कश्मीर मुद्दे का ज़िक्र नहीं हुआ.’
गोखले ने कहा कि वैसे कश्मीर मामले में हमारी हमारी स्थिति साफ है कि यह भारत का ‘आंतरिक’ मामला है. हालांकि दोनों देशों वैश्विक आतंकवाद और कट्टरपंथ पर चर्चा की और इससे निपटने के उपायों पर भी सलाह मशविरा किया. ‘
बता दें कि दो दिवसीय इस अनौपचारिक सम्मिट में शी- जिनपिंग और नरेंद्र मोदी ने करीब छह घंटे एक दूसरे के साथ समय बिताया.
Vijay Gokhale,Foreign Secy: Both leaders agreed that it was important to deal with challenges of terrorism & radicalisation in an increasingly complex world. Both are leaders of countries which are not only large in terms of areas & population but also in terms of diversity. pic.twitter.com/rH27NY0WhE
— ANI (@ANI) October 12, 2019
विदेश सचिव गोखले ने मीडिया से बातचीत में बताया, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की दो दिनों की अनौपचारिक मुलाकात में व्यापार के अलावा जिन मुद्दों को छुआ, उनमें से एक आरसीइपी अहम मुद्दा था. भारत और चीन के बीच आगे भी अनौपचारिक बातचीत इस मामले में होती रहेगी.’
बता दें कि 2020 में अगले साल दोस्ती के 70 हो जाएंगे इस मौके पर दोनों देशों के बीच 70 कार्यक्रम आयोजित किए जाने की बात भी की.
अगली बैठक चीन में
इस दौरान राष्ट्रपति जिनपिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीन आने का ‘न्योता’ दिया है जिसे उन्होंने ‘स्वीकार’ कर लिया है. गोखले ने कहा कि चीन भारत के साथ कारोबारी रिश्तों को नई ऊचाईं पर ले जाने को गंभीर है.
गोखले ने मीडिया ने बातचीत में बताया कि अगली अनौपचारिक बैठक चीन में होगी, इस बैठक की तारीखों की घोषणा बाद में की जाएगी. भारत-चीन के बीच व्यापार, निवेश और सेवाओं पर चर्चा के लिए एक नए तंत्र की स्थापना की जाएगी. इस बैठक का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी जबकि चीन का प्रतिनिधित्व जहां वाइस प्रीमियर हु चुन्हुआ करेंगे.
भारत चीन के नेताओं की बैठक के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा आरसीइपी मामले पर चीन और भारत इस पर आगे चर्चा करने के लिए तैयार हैं और इस बातचीत में भारतीय चिंता को ध्यान में रखा जाएगा.
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गोखले की टिप्पणी भारत और चीन ने तटीय शहर मामल्लपुरम में हुई दूसरी अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के समापन के बाद आई.
Vijay Gokhale, Foreign Secretary: President Xi spoke of greater facilitation for yatris going to the Mansarovar Yatra and Prime Minister suggested a number of ideas on the connection between state of Tamil Nadu and the Fujian province of China. pic.twitter.com/AlH9wMadxa
— ANI (@ANI) October 12, 2019
बता दें कि आरसीइपी के तहत छह भागीदारों के बीच एक प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता है, जिसका नाम पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (ACFTA), कोरिया गणराज्य (AKFTA), जापान (AJCEP), भारत (AIFTA) और ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड (AANZFTA) ने शामिल है.
अब तक आरसीइपी मामले में 28 राउंड की विशेष स्तरीय वार्ता हो चुकी है. इसके अलावा, बैंकाक में मंत्रिस्तरीय बैठक का नौवां दौर चल रहा है. बैंकाक में 4 नवंबर को आयोजित होने वाले तीसरे लीडर्स समिट से पहले यह आखिरी मंत्रिस्तरीय बैठक होगी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की उम्मीद है.
मानसरोवर दर्शनार्थियों को मिलेगी नई सुविधा
विदेश सचिव ने कहा, ‘कैलाश मानवसरोवर जाने वाले यात्रियों को चीन विशेष सुविधा देने की बात कही है. भारत ने चीन को दवा और आईटी क्षेत्र में निवेश का न्योता दिया है.
चेन्नई शिखर बैठक से भारत-चीन सहयोग का नया दौर शुरू होगा’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि पिछले साल के वुहान शिखर सम्मेलन से चीन के साथ संबंधों में स्थिरता बढ़ी थी और संबंधों को एक नई गति मिली थी. लेकिन ‘चेन्नई समिट’ से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग के एक नए दौर की शुरुआत होगी. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन अपने प्रारंभिक बयान में मोदी ने कहा कि वुहान शिखर सम्मेलन से दोनों पक्षों के बीच रणनीतिक संवाद बढ़ाने में मदद मिली है.
उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष अपने मतभेदों को विवेकपूर्ण तरीके से दूर करने पर सहमत हुए हैं, और वे उन्हें विवाद नहीं बनने देंगे, एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशील रहेंगे और भारत-चीन संबंध अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को स्थिरता और शांति प्रदान करेंगे. मोदी ने कहा कि ये दोनों पक्षों की प्रमुख उपलब्धियां हैं और हमें इस दिशा में आगे बढ़ने के प्रयास करने चाहिए. उन्होंने कहा कि हम दोनों ने अपने चेन्नई समिट के दौरान महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा की है.
मोदी ने कहा, ‘वुहान में हुई बैठक ने हमारे संबंधों को नई गति दी थी और भरोसा बढ़ाया था. चेन्नई समिट से द्विपक्षीय सहयोग का नया दौर शुरू होगा.’
मामल्लापुरम में स्वागत से अभिभूत शी
वहीं, शी ने कहा कि वह मामल्लापुरम में हुए स्वागत से अभिभूत हैं. उन्होंने कहा, ‘हम भारत सरकार और राज्य और तमिलनाडु के लोगों द्वारा ईमानदारी से किए गए हमारे स्वागत से चीनी सरकार और चीन के लोगों के प्रति मित्रतापूर्ण भावना को समझ सकते हैं.’
शी ने महाबलीपुरम की यात्रा को यादगार बताया. उन्होंने कहा कि चीनी मीडिया ने दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संबंधों पर बहुत सारे लेख प्रकाशित किए हैं.
शी ने कहा कि पिछले साल मोदी ने अनौपचारिक शिखर सम्मेलन का प्रारूप प्रस्तावित किया था, जो उन्होंने वुहान में आयोजित किया था. उन्होंने कहा कि चीन और भारत ने अपने संबंधों को बनाए रखा और उसका विकास जारी रखा है.
मामल्लापुरम में दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के दौरान, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधान मंत्री मोदी ने तटीय ऐतिहासिक शहर में विभिन्न मुद्दों पर वन टू वन चर्चा की. उन्होंने व्यापार और अर्थव्यवस्था से संबंधित मामलों पर भी चर्चा की. इस बैठक के बाद शी जिनपिंग नेपाल के लिए रवाना हो गए.
(एएनआई के इनपुट्स के साथ)