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सोमवार, 21 अप्रैल, 2025
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कुछ लोगों के लिए धार्मिक पहचान नफरत वाली राजनीति को आगे बढ़ाने का आधार: कुरैशी

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नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के ‘‘मुस्लिम आयुक्त’’ वाले बयान पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी ने सोमवार को कहा कि वह भारत को लेकर ऐसी अवधारणा में विश्वास करते हैं, जहां व्यक्ति की पहचान उसके योगदान से होती है।

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद दुबे के बयानों पर पलटवार करते हुए यह भी कहा कि ‘‘कुछ लोगों के लिए, धार्मिक पहचान उनकी नफरत वाली राजनीति को आगे बढ़ाने का मुख्य आधार है।’’

कुरैशी ने कहा कि भारत हमेशा अपनी संवैधानिक संस्थाओं और सिद्धांतों के लिए खड़ा रहा, खड़ा है और खड़ा रहेगा तथा लड़ता रहेगा।

कुरैशी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैंने निर्वाचन आयुक्त के संवैधानिक पद पर अपनी सर्वोत्तम क्षमता से काम किया और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में मेरा लंबा एवं संतोषजनक कॅरियर रहा। मैं भारत को लेकर ऐसी अवधारणा में विश्वास करता हूं, जहां व्यक्ति को उसकी प्रतिभा और योगदान से परिभाषित किया जाता है, न कि उसकी धार्मिक पहचान से।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मुझे लगता है कि कुछ लोगों के लिए धार्मिक पहचान उनकी नफरत वाली राजनीति को आगे बढ़ाने का मुख्य आधार है। भारत हमेशा अपनी संवैधानिक संस्थाओं और सिद्धांतों के लिए खड़ा रहा और खड़ा रहेगा, लड़ता रहेगा।’’

इससे पहले सुबह के समय, बिना किसी संदर्भ के, कुरैशी ने पोस्ट किया, ‘‘मैंने बहुत पहले ही सीख लिया था कि सूअर के साथ कभी कुश्ती नहीं लड़नी चाहिए। आप गंदे हो जाते हैं, और इसके अलावा, सूअर को यह पसंद है – जॉर्ज बर्नार्ड शॉ। महान लेखक का एक बहुत ही बुद्धिमानी भरा उद्धरण!’’

इस बीच, दिल्ली प्रशासनिक अधिकारी एकेडमी फोरम के मानद अध्यक्ष आईएएस के. महेश ने कुरैशी का समर्थन किया और कहा कि निर्वाचन आयुक्त एवं मुख्य निर्वाचन आयुक्त, दोनों ही पदों पर रहते हुए उन्होंने अद्भुत तरीके से काम किया।

महेश ने कहा, ‘‘उन्होंने इन महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को बहुत ही आत्मविश्वास और विशिष्टता के साथ संभाला तथा कई सुधारों को लागू करके निर्वाचन आयोग की संस्था को समृद्ध किया। उदाहरण के लिए, उन्होंने मतदाता शिक्षा प्रभाग, व्यय नियंत्रण प्रभाग की स्थापना की और उन्होंने भारत अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनाव प्रबंधन संस्थान की भी स्थापना की थी।’’

उन्होंने कहा कि कुरैशी ने हरियाणा कैडर के सदस्य के रूप में अन्य पदों को भी बहुत ही विशिष्टता के साथ संभाला और भारत को उनके जैसे आईएएस अधिकारी पर गर्व है।

महेश ने कहा, ‘‘डॉ. गोपालकृष्ण गांधी ने भी इस बात को स्वीकार किया है, जो महात्मा गांधी और सी राजगोपालाचारी (पहले भारतीय गवर्नर जनरल) के वंशज हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘गोपालकृष्ण गांधी ने डॉ. कुरैशी के बारे में कहा था कि वह हमारे अब तक के सबसे उल्लेखनीय सीईसी में से एक हैं।’’

कई राजनीतिक नेताओं और दलों ने भी कुरैशी का समर्थन किया और दुबे की टिप्पणी की आलोचना की।

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दुबे पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें ऐसे पूर्व संवैधानिक अधिकारी पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए, जिन्होंने देश की विशिष्ट सेवा की है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दुबे पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें ऐसे पूर्व संवैधानिक अधिकारी पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए, जिन्होंने देश की विशिष्ट सेवा की है।

उन्होंने सोमवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “जिसको उसी के तथाकथित अपने दल ने यह कहकर ख़ारिज कर दिया हो कि उसका विचार व्यक्तिगत है और इस लायक नहीं कि उसकी पुष्टि या समर्थन किया जाए, वह संवैधानिक पद पर सेवाएं दे चुके एक सेवानिवृत्त उच्चाधिकारी के बारे में मुँह न खोले, उसी में उसकी इज़्ज़त है।”

भाकपा महासचिव डी राजा ने दुबे की टिप्पणी की निंदा की और आरोप लगाया कि भाजपा संविधान का कोई सम्मान नहीं करती।

उन्होंने कहा, ‘‘एसवाई कुरैशी एक चुनाव आयुक्त थे, लेकिन यह आदमी उन्हें मुस्लिम आयुक्त कहता है, यह अत्यधिक निंदनीय है। श्री मोदी, श्री नड्डा इस मुद्दे पर क्या कहेंगे?’’

राजा ने कहा, ‘‘यह भाजपा की परंपरा बन गई है, वे अपने वफादारों को भड़काऊ बातें बोलने की इजाजत देते हैं। जब वे पकड़े जाते हैं, तो वे कहते हैं कि पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है… आप क्या कार्रवाई कर रहे हैं?’’

शिवसेना (उबाठा) के नेता संजय राउत ने कहा कि कुरैशी टीएन शेषन के बाद देश के सर्वश्रेष्ठ चुनाव आयुक्तों में से एक थे।

उन्होंने कहा, ‘‘वह सर्वश्रेष्ठ लोगों में से एक हैं। मैंने उन्हें काफी करीब से देखा है, जब वह आयुक्त थे, तब शिवसेना-भाजपा गठबंधन था, उस समय भी हमारा नजरिया यही था।’’

राउत ने कहा, ‘‘मोदी-शाह ने इस देश में कैसी भाषा फैलाई है? ये लोग इस देश में रहने के लायक नहीं हैं, जो देश को तोड़ने की कोशिश करते हैं।’’

जद (यू) प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि दुबे ने कुरैशी के खिलाफ जो कुछ भी कहा है, भाजपा उससे असहज है और भाजपा अध्यक्ष ने टिप्पणी से पार्टी को अलग कर लिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस टिप्पणी को भी उसी श्रेणी में देखा जाना चाहिए। अत्यंत महत्वपूर्ण पद पर रह चुके एसवाई कुरैशी पर धार्मिक टिप्पणी करना उचित नहीं है।’’

प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ अपनी टिप्पणी से विवाद खड़ा करने के बाद भाजपा सांसद दुबे ने रविवार को पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) कुरैशी पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह निर्वाचन आयुक्त नहीं बल्कि ‘‘मुस्लिम आयुक्त’’ थे।

कुरैशी जुलाई 2010 से जून 2012 तक देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त थे।

दुबे ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त पर कटाक्ष करने से एक दिन पहले उच्चतम न्यायालय और प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना पर तीखा हमला किया था तथा उन्हें भारत में ‘‘धार्मिक युद्धों’’ के लिए जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद भाजपा ने उनकी आलोचना को खारिज किया था और विवादास्पद टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया था।

कुरैशी ने कुछ दिन पहले वक्फ (संशोधन) अधिनियम की आलोचना करते हुए इसे ‘‘मुसलमानों की भूमि हड़पने की सरकार की भयावह और बुरी योजना’’ करार दिया था।

उन्होंने 17 अप्रैल को ‘एक्स’ पर कहा था, ‘‘वक्फ अधिनियम निस्संदेह मुस्लिम भूमि हड़पने की सरकार की एक भयावह और बुरी योजना है। मुझे यकीन है कि उच्चतम न्यायालय इस पर सवाल उठाएगा। शरारतपूर्ण प्रचार तंत्र द्वारा फैलाई गई गलत सूचना ने अपना काम बखूबी किया है।’’

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दुबे ने कहा, ‘‘आप निर्वाचन आयुक्त नहीं थे, आप मुस्लिम आयुक्त थे। झारखंड के संथाल परगना में आपके कार्यकाल में सबसे अधिक बांग्लादेशी घुसपैठियों को मतदाता बनाया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस देश को एकजुट करो, इतिहास पढ़ो। पाकिस्तान का निर्माण देश को बांटकर हुआ था। अब कोई बंटवारा नहीं होगा।’’

दुबे झारखंड के गोड्डा से चौथी बार लोकसभा सदस्य हैं।

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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