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Thursday, 3 October, 2024
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डच कंपनी का फोर्टिफाइड चावल के साथ ’90 करोड़ जरूरतमंद भारतीयों’ तक पहुंचने का लक्ष्य कैसे होगा पूरा

रॉयल डीएसएम के वरिष्ठ अधिकारी फ्रांस्वा शेफलर का कहना है कि उनकी कंपनी विटामिन ए फोर्टिफाइड चावल के उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार, गैर सरकारी संगठनों और चावल मिलर्स के साथ काम कर रही है.

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नई दिल्ली: पोषण, स्वास्थ्य और सस्टेनेबल लिविंग के क्षेत्र में सक्रिय डच बहुराष्ट्रीय कंपनी रॉयल डीएसएम विटामिन ए वाले फोर्टिफाइड चावल के अपने उत्पादन को बढ़ाने पर विचार कर रही हैं. कंपनी का ये कदम उस समृद्ध बाजारों को एक तरफ रखते हुए उठाया गया है, जहां लोग अपने लिए जरूरी पोषक तत्वों की खुराक तक पहुंचने में सक्षम है.

ह्यूमन न्यूट्रिशन एंड केयर, एशिया पैसिफिक एंड प्रेसिडेंट, डीएसएम एशिया पैसिफिक, रीजनल वाइस प्रेसिडेंट फ्रांस्वा शेफलर के अनुसार, इससे भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे 90 करोड़ से ज्यादा लोगों के पोषण में सुधार होगा.

दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में शेफलर ने कहा कि रॉयल डीएसएम भारत में अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार, गैर सरकारी संगठनों और चावल मिल मालिकों के साथ मिलकर काम कर रहा है.

शेफलर ने कहा, ‘भारत में हर साल लगभग 10 करोड़ टन चावल की खपत होती है. यह ग्लोबल वर्ल्ड राइस खपत का पांचवां हिस्सा है. और हमारे पास जो योजनाएं हैं, उससे हम सिर्फ 40 लाख टन चावल को ही फोर्टिफाइड कर पाएंगे. यह उसका पांच प्रतिशत भी नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘हमारा एक लक्ष्य है जो हमने खुद तय किया है. हम 2030 तक लगभग 85 करोड़ लोगों तक पहुंचकर, उनकी पोषण की स्थिति में सुधार करना चाहते हैं. हम लोगों तक एक फोर्टिफिकेशन यानी कृत्रिम रूप से मिलाए गए मल्टीविटामिन वाले खाने को उन तक पहुंचाएंगे. फोर्टिफिकेशन जिसे तेल, आटा और चीनी के लिए प्रीमिक्स के तौर पर जाना जाता है.’

पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 तक सभी केंद्र सरकार की योजनाओं के जरिए लोगों तक फोर्टिफाइड राइस उपलब्ध कराने की योजना की घोषणा की थी.

शेफलर ने कहा, ‘हम बहुत आभारी हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने केंद्रीय योजनाओं में चावल के फोर्टिफिकेशन को अनिवार्य कर दिया. डीएसएम मल्टीविटामिन का सही मिश्रण बनाने पर काम कर रहा है जिसमें विटामिन ए और ई के साथ आयरन भी हो.’


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भारत में फोर्टिफाइड राइस और कुपोषण के मुद्दे

फोर्टिफाइड चावल भारतीय खाद्य नियामक खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार बनाया जाता है. साधारण चावल में निर्धारित तीन सूक्ष्म पोषक तत्वों – आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 की मात्रा को कृत्रिम तरीके से बढ़ाया जा सकता है.

FSSAI के अनुसार, भारत में चावल को ‘एक्सट्रूज़न तकनीक’ के जरिए फोर्टिफाइड किया जाता है. इस प्रक्रिया में पहले सूखे चावल को पीसकर आटा बनाया जाता है. फिर उसमें सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाए जाते हैं. उसके बाद एक्सट्रूडर मशीन की मदद से सुखाकर इस मिक्सचर को चावल का आकार दिया जाता है, जिसे फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) कहा जाता है. तैयार होने के बाद इन्हें आम चावलों में मिला दिया जाता है. नियमों के अनुसार इन्हें साधारण चावल में 1:5 से 1: 200 के अनुपात में मिलाया जाता है. परिणामस्वरूप फोर्टिफाइड राइस सुगंध, स्वाद और बनावट में पारंपरिक चावल के लगभग समान होते हैं.

दक्षिण एशियाई देशों में भारत में क्लिनिकल और सबक्लिनिकल वीएडी (विटामिन ए की कमी) का फैलाव सबसे ज्यादा है. एक अध्ययन में पाया गया कि भारत में 62 फीसदी प्रीस्कूल उम्र के बच्चे विटामिन ए की कमी से जूझ रहे हैं. इसे बच्चों की उच्च मृत्यु दर का कारण बताते हुए जानकारी दी गई कि विटामिन ए की कमी से हर साल 33,000 बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. अनुमानों ने पुष्टि की कि 31 प्रतिशत से 57 प्रतिशत प्रीस्कूल की उम्र वाले बच्चे सबक्लिनिकल वीएडी के शिकार हैं. अध्ययन में पाया गया कि प्रसव की उम्र की महिलाओं में रतौंधी की समस्या काफी आम थी, जिनमें 5 फीसदी गर्भवती महिलाओं में सबक्लिनिकल वीएडी पाया गया.

शेफलर बताते हैं कि 20 से ज्यादा सालों से तेल, चीनी और आटा फोर्टिफाइड की दुनिया में काफी जाना-पहचाना नाम है. एनजीओ, सरकारें और उद्योग इस तरह के प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं. चावल दुनिया भर में लगभग तीन अरब लोगों की आबादी का मुख्य भोजन है. उसके बावजूद इसे लंबे समय से अनदेखा किया जाता रहा है. उन्होंने कहा, ‘चावल में कैलोरी ज्यादा और पौष्टिक तत्व काफी कम होते हैं. बस इसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू बढ़ाने के लिए हमने काम किया है. पिछले पांच सालों में हमने चावल के लिए फोर्टिफिकेशन के कई तरीके तैयार किए हैं.’

छह साल के शोध के दौरान काफी काम किया गया. काफी सारा समय तो यह सुनिश्चित करने में चला गया कि चावल का स्वरूप और स्वाद फोर्टिफिकेशन के बाद साधारण चावल के समान रह पाता है या नहीं. शेफलर ने कहा, ‘ अगर आप फोर्टिफाइड चावल को उबालते हैं या किसी अन्य तरीके से पकाते हैं तो भी इसके स्वाद वैसा ही बना रहेगा और उसके अंदर डाले गए पोषक तत्व भी नष्ट नहीं होंगे.’ उनके मुताबिक, इस तरह से वो लोगों की थाली में पोषण परोस रहे हैं.

‘कुपोषण सिर्फ वंचित तबके तक सीमित नहीं’

शेफलर ने समझाया, हालांकि कोविड-19 महामारी ने न्यूट्रास्यूटिकल्स की जागरूकता और मांग को काफी बढ़ाया है. लेकिन सप्लीमेंट का पहले से एक फलता-फूलता बाजार रहा हैं. एक खास वर्ग के लोगों के बीच उनकी खासी डिमांड रही है.

उन्होंने कहा कि फोर्टिफाइड करने का काम चुनौतीपूर्ण है, इससे समाज के सबसे वंचित तबके को फायदा पहुंचेगा, जिनके लिए चावल कैलोरी की मात्रा का प्रमुख स्रोत है.

उन्होंने बताया, ‘यह काम काफी मुश्किल था. DSM टीम अभी-अभी भारत के पूर्वी हिस्से में गई और हजारों किलोमीटर की यात्रा करने में तीन सप्ताह का समय बिताया है. हमने अभी सिर्फ 29 राइस मिल मालिकों से मुलाकात की है. हमारा मकसद उन्हें चावल के फोर्टिफिकेशन के योग्य बनाने के लिए शिक्षित करना और इसके बारे में समझाना था.’ वह आगे कहते हैं कि पूरे भारत में हजारों चावल मिलर हैं.

ह्यूमन न्यूट्रिशन एंड केयर, डीएसएम, साउथ एशिया डायरेक्टर आनंद दीवानजी के मुताबिक, राशन की दुकानों या सरकारी योजना के जरिए जरूरतमंद आबादी तक पहुंच बनाने के अलावा, डीएसएम रेगुलर बाजार भी नजर बनाए हुए है. जहां अभी चावल के फोर्टिफिकेशन को अनिवार्य नहीं किया गया है.

दीवानजी ने कहा, ‘हमें लगता है कि कुपोषण समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तक ही सीमित नहीं है.’

शेफलर ने कहा कि इस भागती-दौड़ती जिंदगी में फास्ट फूड तेजी से शामिल हुआ है. यहां तक कि विकसित देशों में भी महिलाओं और बच्चों में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी पाई गई है.

उन्होंने कहा, ‘ फूड फोर्टिफिकेशन में आपको हमेशा सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क पर फोकस करने की ज़रूरत नहीं है. लगभग सभी उपभोक्ताओं को इसकी दरकार है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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