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सोमवार, 26 मई, 2025
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सड़क किनारे सीमेंट लगाकर पक्का करने संबंधी उप्र सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करें: एनजीटी

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नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे सड़क के किनारों और पेड़ों के आसपास सीमेंट लगाकर अंधाधुंध तरीके से पक्का करने को रोकने के वास्ते उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का तब तक पालन करें, जब तक उससे संबंधित नये नियम नहीं बना दिये जाते।

न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सड़कों के किनारे और खुले स्थानों को बड़े पैमाने पर सीमेंट लगाकर पक्का करने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

अधिकरण ने 21 मई के आदेश में कहा, ‘‘बड़े पैमाने पर सीमेंट लगाकर पक्का करने से मिट्टी की अभेद्य परत बढ़ जाती है, जिससे भूजल पुनर्भरण में कमी आती है या भूजल पुनर्भरण नहीं होता है। इसके परिणामस्वरूप बरसात के पानी का अपव्यय होता है। यह पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाकर जैव विविधता को भी प्रभावित करता है।’’

इसमें कहा गया है कि सीमेंट लगाकर पक्का करने से ऊष्मा वापस वायुमंडल में परावर्तित हो जाती है, जिससे जलवायु गर्म होती है।

अधिकरण ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अप्रैल 2001 और मार्च 2018 में सड़कों, फुटपाथों जैसे निर्माणों द्वारा शहरी क्षेत्रों के विकास के दौरान सीमेंट का उपयोग करके पक्का करने को रोकने के लिए बुनियादी दिशानिर्देशों के संबंध में आदेश जारी किए थे।

अधिकरण ने कहा कि 2001 के उत्तर प्रदेश सरकार के दिशा-निर्देशों में कहा गया है, ‘‘उद्यानों में, पांच प्रतिशत से अधिक क्षेत्र पर कोई स्थायी निर्माण या स्थायी फुटपाथ नहीं बनाया जाना चाहिए और जहां तक ​​संभव हो, फुटपाथ और पटरियों का निर्माण पारगम्य या अर्ध-पारगम्य छिद्रित ब्लॉक से किया जाना चाहिए।’

इसने कहा कि 2018 में, उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला किया कि ‘उद्यानों में रास्तों में स्थिर मिट्टी, मोटी रेत को प्राथमिकता दी जानी चाहिए’ और ‘उद्यानों की बाहरी दीवारों, फुटपाथ, प्लेटफार्म, बैठने की व्यवस्था आदि का निर्माण कुल उपलब्ध क्षेत्र के पांच प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।’’

अधिकरण ने अपने 80 पृष्ठ के विस्तृत आदेश में कहा, ‘उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल करते हैं और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मूलभूत दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं, जब तक कि किसी संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश द्वारा अलग-अलग दिशा-निर्देश जारी नहीं किए जाते।’’

अधिकरण ने कहा, ‘हम ये निर्देश पूरे भारत में जारी कर रहे हैं और इस आदेश की एक प्रति सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को आवश्यक कार्रवाई और अनुपालन के लिए भेजी जाएगी।’

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘अधिकरण ने हमारी अधिकांश दलीलों को स्वीकार कर लिया है और दलीलों में दम पाया है, खास तौर पर अंधाधुंध तरीके से सीमेंट लगाकर पक्का किये जाने से होने वाले गंभीर पर्यावरणीय खतरों को।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने यह भी दलील दी कि अमेरिका और यूरोप के कई शहर अपनी सड़कों और खुली सतहों को कंक्रीट से मुक्त कर रहे हैं, उन्हें एहसास है कि यह एक बड़ी गलती थी और अब वे सुधार की राह पर हैं।’’

अधिवक्ता ने कहा कि याचिका का निपटारा करने के बाद अधिकरण ने याचिकाकर्ताओं को यह छूट दी कि अगर उन्हें लगता है कि बिना किसी वैध औचित्य के, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अनुचित तरीके से सीमेंट लगाकर पक्का किया जाना अभी भी जारी है, तो वे संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी दे सकते हैं जो ‘सुधार के लिए आवश्यक कदम’ उठाएंगे।

भाषा

अमित माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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