वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा और वरुणा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. बीते बुधवार की सुबह दस बजे के बाद गंगा खतरे का निशान पार कर गई. यहां खतरे का निशान 71.26 मीटर है, लेकिन अब गंगा 71.28 मीटर पर पहुंच चुकी है. गंगा के खतरे के निशान के ऊपर आने के बाद इसकी सहायक नदी वरुणा ने भी रौद्र रूप धारण कर लिया है. लगातार पानी बढ़ने की वजह से स्थिति भयावह हो गई है. गंगा में उफान के कारण गंगा के तटवर्ती इलाकों के साथ-साथ वरुणा के तटवर्ती इलाकों में स्थित रिहायशी इलाकों में पानी घुस गया है.
वाराणसी जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों में हजारों लोग बेघर हो गए हैं. गंगा के साथ तेजी से बढ़ रहे वरुणा के जलस्तर से शहर के कई इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. लगभग 53 गांव बाढ़ की चपेट में हैं. कोनिया, सामने घाट, सरैया, डोमरी, नगवा, रमना, बनपुरवा, शूलटंकेश्वर के कुछ गांव, फुलवरिया, सुअरबड़वा, नक्खीघाट, सरैया समेत कई इलाकों में बाढ़ ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है. इन सभी इलाकों में लोगों के घरों में पानी घुस गया है. आवागमन पूरी तरह से ठप है.
रोजी-रोटी बंद होने की वजह से लोगों की नज़र प्रशासन से मिलने वाली मदद की तरफ हैं. लोग घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. लोगों ने पलायन शुरू कर दिया है. कुछ लोग अपने घरों का सामान लेकर रिश्तेदारों और परिचितों के यहां जा रहे हैं. कुछ लोग शेल्टर होम और शिविर में रह रहे हैं.
गंगा और वरुणा नदी में आई बाढ़ की वजह से शहर के दर्जन भर मोहल्लों में लूम और करघों की धड़कन बंद हो गई हैं. बुनकरों के हालत यह है कि उन्हें अब दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है. घरों में पानी घुसने से बिजली की सप्लाई के साथ-साथ करघे और लूम भी शांत हो गया है.
यह भी पढ़ें : कैसे नदियों का होगा 2074-75 में स्वरूप, तब भी आएगी बाढ़
नक्खीघाट की सकीला के घर में करीब एक फीट तक पानी भर गया है. सकीला के घर में जाने के लिए कोई भी रास्ता नहीं बचा है. करीब पांच फीट पानी भर जाने की वजह से आसपास के कुछ लोग यहां से पलायन कर चुके हैं. सकीला बताती हैं कि, ‘घर में पानी भर जाने की वजह से रोजी-रोटी ठप पड़ा हुआ है. पेट चलाने के लिए उधार लेकर काम चला रहे हैं.’
हिदायतनगर के जावेद अख्तर बताते हैं कि, ‘हर तीन साल में ऐसी भीषण बाढ़ आती है. इससे पहले 2013 और 2016 में ऐसी ही भयानक बाढ़ आई थी. पिछली बार बाढ़ की वजह से करीब एक महीने तक कारख़ाना बंद पड़ा रहा था, जिसकी वजह से हमारी बरसों की बनाई हुई गृहस्थी उजड़ गई थी.’
सिधवा इलाके के नवाब अंसारी बताते हैं कि, ‘पिछले सप्ताह गुरुवार को अचानक वरुणा फुंफकारें मारने लगी. कुछ ही घंटों में हमारे साथ-साथ हमारे सारे पड़ोसियों की सारी गृहस्थी इसमें डूब गई. लूम और करघों पर चढ़ीं साड़ियां काली पड़ गई हैं.
नवाब कहते हैं कि, ‘नुकसान की भरपाई कैसे होगी, यह बात हमारी समझ में नहीं आ रही है.’
नक्खीघाट में प्रशासन ने तीन नावों की व्यवस्था की है. लोग नाव से अपने घर जा रहे हैं लेकिन स्थिति भयावह बनी हुई है. लोग दाने-दाने को तरस रहे हैं. नाव से अपने घर की तरफ जा रही महिला बुनकर अजीजुन्निशा ने शिकायत करते हुए कहा कि, ‘पहले तो बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी आश्रय घर स्कूलों और मदरसों में प्रशासन खोलता था. इस बार भी वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हमारे घरों में पानी आ गया है जिससे हमारे लूम भी बंद हो गए हैं. हम अब दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं.’
जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह लगातार बाढ़ से प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि बाढ़ का पानी रिहायशी इलाकों में घुस गया है. ऐसे में प्रभावितों को सुरक्षित राहत शिविर में ले जाया जा रहा है. क्षेत्र के प्रभारी, नगर मजिस्ट्रेट को निर्देशित किया है कि बाढ़ प्रभावितों को राहत कैम्पों में सुरक्षित पहुंचाने के लिए नाव सहित राहत सामाग्री की व्यवस्था करें.
गुरुवार को जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह खुद राहत सामग्री बांटते नज़र आए, इस दौरान वो दुर्घटना का शिकार हो गए. इस दुर्घटना में डीएम समेत एनडीआरएफ़ के एक सदस्य को चोटें आई हैं.
जिले के बाढ़ प्रभारी (एडीएम फाइनेंस) सतीश पाल ने बताया कि, ‘गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. ऐसे में शहरी क्षेत्र में 12 शरणार्थी कैम्प एक्टिवेट किये गए हैं.’ उन्होंने बताया कि इन शेल्टर्स में शहर के बाढ़ प्रभावित 370 परिवारों के 2235 लोगों को सुरक्षित रखा गया है. साथ ही उनके खाने पीने का इंतज़ाम किया जा रहा है. बाढ़ रिलीफ टीम हर समय अपनी नज़र बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के साथ बाढ़ प्रभावितों पर बनाये हुए हैं.
यह भी पढ़ें : नदियां किसी की बपौती नहीं होती, इन पर मालिकाना हक नहीं हो सकता
बाढ़ प्रभारी ने बताया कि, ’53 गांव बाढ़ के पानी से प्रभावित हैं. सभी बाढ़ प्रभावित गांवों के ग्राम प्रधान हमारे संपर्क में हैं. इसके अलावा हमने शासन द्वारा जारी एडवाइज़री, बाढ़ में क्या करें और क्या न करें इस सम्बन्ध में ग्राम प्रधानों और डीपीआरओ को अवगत कराया जा चुका है.’
बाढ़ प्रभावितों को सकुशल निकालने के लिए बाढ़ प्रभारी सतीश पाल ने बताया कि, ‘एनडीआरएफ की तीन नाव सामने घाट लंका पर मुस्तैद है. इसके अलावा 2 नाव कोनिया घाट और एक नाव वरुणा नदी में कलेक्टर हाउस के समीप सर्विलांस मोड पर है. इसके अलावा ज़रूरत के हिसाब से एनडीएआरएफ और पीएससी की बाढ़ राहत नाव उपलब्ध हैं.’
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार की शाम वाराणसी पहुंचे. सीएम योगी ने वाराणसी के बाढ़ प्रभावित इलाकों का भी स्टीमर से दौरा किया. दौरे के बाद लौटे सीएम योगी सीधे गोयनका संस्कृत विद्यालय में बनाए गए शिविर में पहुंचे. वहां उन्होंने प्रभावित परिवारों को ढांढस बंधाया और कहा कि अगले 24 घंटों में बाढ़ का पानी उतरने की उम्मीद जताई जा रही है. उन्होंने कहा कि हर परिस्थिति में केंद्र और प्रदेश की सरकार प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है.
(रिज़वाना तबस्सुम स्वतंत्र पत्रकार हैं)