कोच्चि: अपनी खुद की आर्मी के साथ घातक हथियारों से लैस, भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, फ्लोटिंग एयरफील्ड आईएनएस विक्रांत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया. यह विमानवाहक पोत 13 साल की लंबी यात्रा के शिखर का प्रतीक है.
विक्रांत जिसका अर्थ है ‘विजयी’ और ‘वीर’ – भारत में ही डिजाइन और निर्मित अब तक का सबसे बड़ा जहाज है. इसका वजन 42,800 टन है. भारत अब छठा ऐसा देश बन गया है जिसके पास खुद विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता है.
विक्रांत के डिजाइन का काम 1999 में शुरू हुआ था. भारत के तत्कालीन विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के नाम पर जहाज की कील या इसका महत्वपूर्ण हिस्सा 2009 में रखा गया था. 2013 में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने इसे पानी में उतारा और 2022 में भारतीय नौसेना को इसकी डिलीवरी दे दी गई.
तत्कालीन आईएनएस विक्रांत को 1961 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. इसने 1961 के गोवा लिबरेशन वॉर और 1971 के बांग्लादेश लिबरेशन वॉर दोनों ही युद्धों को देखा था. 1997 में इसे सेवा से हटा दिया गया.
चार 22 मेगावाट गैस टरबाइन इंजन से चलने वाले नए आईएनएस विक्रांत में 7,500 समुद्री मील (लगभग 13,900 किमी) की दूरी तय करने की क्षमता है. यानी यह पोत ईंधन भरने के लिए रुके बिना ही, एक बार में भारत से ब्राजील की समुद्री यात्रा पूरी कर सकता है.
यह युद्धपोत एक बार में 30 एयरक्राफ्ट ले जा सकता है. इसमें फाइटर जेट, और हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं. आईएनएस विक्रांत 262.5 मीटर लंबा और 62.5 मीटर चौड़ा है. इसकी अधिकतम स्पीड 28 नॉट्स तक है यानी लगभग 52 किमी प्रति घंटा. इसकी सामान्य गति 18 नॉट्स यानी लगभग 33 किमी प्रति घंटे है.
इसका STOBAR (शॉर्ट टेक-ऑफ और अरेस्ट लैंडिंग) सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि मिग-29K विमान 90 मीटर से भी कम समय में और दो सेकंड के भीतर 250 से 0 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से रुक सके.
लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों और इसके साथ चलने वाली अपनी खुद की आर्मी के अलावा, आईएनएस विक्रांत 32 मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (MRSAM), पूरी तरह से स्वचालित नौसैनिक रोटरी कैनन क्लोज-इन वेपन सिस्टम AK-630 और स्टेबलाइज रिमोट कंट्रोल गन (SRCG) से सुस्सजित है.
आईएनएस विक्रांत जब पूरी तरह से चालू हो जाएगा यानी अगले साल तक MRSAM, एमएफ-स्टार रडार के साथ इसमें शामिल कर लिया जाएगा.
विक्रांत में RAN-40L 3D वायु निगरानी रडार और DRDO द्वारा विकसित शक्ति इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट शामिल है जो आधुनिक रडार और एंटी-शिप मिसाइलों और रेजिस्लर-ई एविएशन कॉम्प्लेक्स के अलावा अन्य प्रणालियों और रडारों के खिलाफ रक्षा की एक इलेक्ट्रॉनिक परत प्रदान करेगा.
अपनी आत्मरक्षा के लिए, INS विक्रांत में टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम के साथ कवच चैफ (एंटी-मिसाइल) डिकॉय सिस्टम भी है.
एक तैरता हुआ शहर
विमानवाहक पोत के वास्तविक आकार के बारे में जानकारी देते हुए, नौसेना के अधिकारियों ने कहा कि पोत की ऊंचाई 61.6 मीटर (कील से पोल मस्तूल) है. यह 14 मंजिलों जितना लंबा है और इसका फ्लाइंग डेक लगभग 12,500 वर्ग मीटर है. मोटे तौर पर इसका आकार हॉकी के ढाई मैदान या 10 ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल जितना है.
उन्होंने यह भी बताया कि जहाज में इस्तेमाल होने वाली पूरी केबल 2,600 किमी लंबी है और जहाज से पैदा होने वाली बिजली वास्तव में एक छोटे से शहर को रोशन कर सकती है.
आईएनएस विक्रांत में लगभग 2400/2200 स्पेस और कंपार्टमेंट हैं. यह इतना बड़ा है कि जहाज के पैसेज और लॉबी लगभग 11 किमी तक फैला है.
फ्लाइट डेक के नीचे पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए कई केबिन और गलियारे हैं जो 10 स्तरों से नीचे जाते हैं. जहाज 1600 से अधिक के चालक दल को ले जा सकता है जिसमें अग्निवीर योजना के तहत भर्ती किए गए पुरुष और महिला दोनों अधिकारी और नाविक शामिल होंगे.
बोर्ड पर इतने बड़े चालक दल के साथ, जहाज का अपना अस्पताल, फिटनेस सेंटर, किचन, लॉन्ड्री और एक डिसैलिनेशन और आरओ प्लांट है, जो कपड़े धोने और रहने वाले क्वार्टर से अलग है.
नौसेना के अधिकारियों ने कहा कि रसोई में एक दिन में औसतन 16,000 चपाती और 6,000 इडली का मंथन करने वाली तीन ऑटोमेटिड गैलियों के साथ एक दिन में 4,800 मील तैयार करने की क्षमता है.
उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉम्प्लेक्स, तीन डेक पर 45 कम्पार्टमेंट में फैला हुआ है और इसमें 16-बेड वाला वार्ड है. मेडिकल टीम में पांच अधिकारी और 15 नाविक शामिल हैं. इसके सेटअप में एक 64-स्लाइस सीटी स्कैन सेंटर, दो ऑपरेशन थिएटर, एक डेंटल सेंटर, एक्स-रे और स्कैनिंग सुविधा के साथ-साथ एक लैब, एक फिजियोथेरेपी विभाग और ब्लड फ्युजन की सुविधाएं शामिल है.
नौसेना के अधिकारियों का कहना है कि जहाज के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट इतने बेहतरीन हैं कि ट्रीटेड वाटर को आराम से इस्तेमाल में लाया जा सकता है. इसके अलावा इसके रिवर्स ऑस्मोसिस प्लांट हर दिन 4 लाख लीटर से अधिक का पानी को साफ करते हैं और इसकी दो लॉन्ड्री हर दिन 1,700 से ज्यादा व्यक्तियों की जरूरत को पूरा कर सकती है.
76 फीसदी हिस्सा देश में मौजूद संसाधनों से बना
आईएनएस विक्रांत को 76 प्रतिशत स्वदेशी संसाधनों के साथ तैयार किया गया है जिसमें स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई विशेष स्टील शामिल है.
इस विमानवाहक पोत के निर्माण के लिए 500 से ज्यादा उप-ठेकेदारों और सहायक उद्योगों के अलावा, 100 से अधिक एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) और स्वदेशी मूल उपकरण मैन्युफैक्चरर (ओईएम) को शामिल किया गया था.
स्टील के अलावा, वाहक की लड़ाकू प्रबंधन प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, डेटा नेटवर्क, बिजली वितरण प्रणाली और एकीकृत मंच प्रबंधन प्रणाली सभी स्वदेशी रूप से बनाए गए हैं.
कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम को टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स ने, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और डेटा नेटवर्क को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने तैयार किया है. जबकि एलएंडटी ने पावर नेटवर्क और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स ने एकीकृत प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम बनाया.
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