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मंगलवार, 20 मई, 2025
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जिला न्यायाधीशों के लिए फ्लैट: उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार व डीडीए को फटकार लगाई

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नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने जिला न्यायिक अधिकारियों के लिए सरकारी आवासों के निर्माण में प्रगति न होने के लिए बृहस्पतिवार को दिल्ली सरकार और डीडीए को फटकार लगाई और कहा कि वे ‘अदालत के धैर्य की परीक्षा न लें।’

मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा, ‘न्यायिक आदेश में अदालत ने डीडीए से अनुरोध किया था। हमारे अनुरोध पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।’

अदालत ने इस बात पर अफसोस जताया कि उसे ‘वस्तुतः भीख मांगनी पड़ी।’

पीठ ने कहा, ‘हम सरकारी अधिकारियों से अपेक्षा करते हैं कि वे न्यायिक अधिकारियों की सभ्य जीवन स्थितियों की जरूरतों को समझें और इसे अपेक्षित संवेदनशीलता के साथ देखें… हमें मजबूर न करें। सुनिश्चित करें अन्यथा ये मीठी बातें मदद नहीं करेंगी।’

अदालत ने कहा, ‘हम अधिकारियों को अभी नहीं बुला रहे हैं और हर विभाग हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहा है और यह कुछ दूरी पर ही है। यह केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के लिए है। सभी विभागों और अधिकारियों को इस बारे में अवगत कराएं। उन्हें इस तरह से अदालत के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।’

उच्च न्यायालय ने कहा कि हालांकि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने पहले कहा था कि शाहदरा में सीबीडी ग्राउंड में फ्लैटों के निर्माण के लिए भूमि आवंटित कर दी गई है, लेकिन इस संबंध में कोई औपचारिक पत्र जारी नहीं किया गया।

इसमें कहा गया है कि औपचारिक आवंटन पत्र के अभाव में दिल्ली सरकार फ्लैटों के निर्माण के लिए अपेक्षित धनराशि पर निर्णय नहीं ले सकी।

जब डीडीए के वकील ने कहा कि दो हफ्ते में औपचारिक आवंटन पत्र जारी कर दिया जाएगा, जिसकी सूचना अदालत और सरकार को दे दी जाएगी, तो पीठ ने कहा कि पत्र जारी होने के बाद धनराशि जारी कर दी जाएगी।

अदालत न्यायिक सेवा एसोसिएशन द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली न्यायिक सेवा अधिकारियों और दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा अधिकारियों को सरकारी आवास की उपलब्धता में तेजी लाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।

भाषा नोमान माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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