नयी दिल्ली, दो जनवरी (भाषा) भारत में लगभग पांच प्रतिशत महिलाएं हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय निकालने की शल्यक्रिया) करा चुकी हैं। यह शल्यक्रिया कराने वाली महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान भारी रक्तस्राव सबसे आम समस्या रही। यह जानकारी वर्ष 2015-16 के दौरान एकत्रित आंकड़ों के विश्लेषण से मिली।
अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान, मुंबई और राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान, नयी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के चौथे दौर के दौरान एकत्र किए गए 25-49 वर्ष की आयु की 4.5 लाख से अधिक ग्रामीण और शहरी महिलाओं के आंकड़ों का विश्लेषण किया।
‘जर्नल ऑफ मेडिकल एविडेंस’ में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि ‘‘25-49 वर्ष की आयु की महिलाओं में हिस्टेरेक्टॉमी का प्रचलन 4.8 प्रतिशत है, जो दर्शाता है कि 25-49 वर्ष की आयु की प्रत्येक 100 भारतीय महिलाओं में से लगभग पांच ने हिस्टेरेक्टॉमी करायी।’’
इसमें यह भी पाया गया कि कृषि क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं में अन्य व्यवसायों में काम करने वाली महिलाओं की तुलना में इस शल्यक्रिया से गुजरने की संभावना 32 प्रतिशत अधिक थी। इसके अलावा, अध्ययन के लेखकों ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और बिहार जैसे राज्यों में हिस्टेरेक्टॉमी की दरें अधिक पाईं।
उन्होंने कहा कि ‘‘ये राज्य भारत में अनावश्यक हिस्टेरेक्टोमी के लिए बहस का केंद्र रहे हैं।’’ उन्होंने बिहार, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में गर्भाशय-निकालने की सर्जरी की उच्च संख्या, विशेष रूप से निम्न आय वाली महिलाओं में, और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में प्रजनन आयु की महिलाओं के बीच उच्च स्तर के स्वास्थ्य बीमा कवरेज की पिछली रिपोर्ट का हवाला दिया।
अध्ययन के लेखकों ने कहा कि पिछले अध्ययनों से पता चला है कि मासिक धर्म से संबंधित वर्जनाएं, स्त्री रोग संबंधी मुद्दों की अनभिज्ञता तथा अस्वास्थ्यकर यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य प्रथा जैसे कारक यह बता सकते हैं कि इन राज्यों में हिस्टेरेक्टॉमी की दर अधिक क्यों है।
अन्य स्पष्टीकरण जिनका विश्लेषण किया गया उनमें मासिक धर्म के दर्द से बचना, कैंसर होने का भय, तथा प्रसव के बाद गर्भाशय को निकाले जाने योग्य अंग के रूप में देखना शामिल है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि भारत भर में लगभग दो-तिहाई गर्भाशय निकलवाने संबंधी सर्जरी निजी क्लीनिक या अस्पतालों में की गई, जिससे पता चलता है कि इस बढ़ती प्रवृत्ति के पीछे लाभ कमाने की मंशा भी कारक हो सकती है।
भाषा अमित नरेश
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