नई दिल्ली : भारत में क्रिकेट के साथ-साथ दूसरे खेल भी उभर रहे हैं. फुटबॉल जो कि दुनिया में सबसे चर्चित खेल माना जाता है अब भारत के युवा भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं. थर्ड डिवीजन स्पेनिश फुटबॉल क्लब, सीडी ओलंपिक डि ज़ातिवा स्पेन में भारतीय फुटबॉल के लिए अहम रोल अदा कर रहा है. इससे जुड़े तीन युवा भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी, स्पेन की थर्ड डिवीजन लीग में पहली बार खेलेंगे.
खिलाड़ी, कबीर नाथ (बीआईएफए, गुड़गांव) और कबीर कोहली और गोगो (सुदेवा आवासीय फुटबॉल अकादमी से जुड़े दो) देश और फुटबॉल अकादमी सुदेवा को गौरवान्वित करने के रास्ते पर हैं.
किशोर सुधार गृह और बालश्रम से जुड़े खिलाड़ी
बता दें कि सुदेवा में रहने वाले ये खिलाड़ी जीवन के सभी क्षेत्रों से हैं – कुछ उपेक्षित किशोर जो बाल सुधार व्यवस्था और कुछ बाल श्रम से जुड़े हुए हैं. ये फुटबॉल क्लब सुदेवा से जुड़े हैं जो देश के दूरस्थ क्षेत्रों से फुटबॉल खिलाड़ी खोज कर ला रहा है. संस्थान पूरे भारत के 25 राज्यों के 150 खिलाड़ियों को दिल्ली में अपनी आवासीय प्रशिक्षण सुविधाएं दे रहा है.
पिछले साल उन्होंने स्पेन में क्लब सीडी ओलंपिक डि ज़ातिवा का अधिग्रहण किया और अपने छात्रों को प्रशिक्षण के साथ उनका आशा से भरा भविष्य बनाया. इस साल, 14 से 19 वर्ष की आयु के बीच के 28 भारतीय बच्चों को स्पेन में अपनी आवासीय अकादमी में एडवांस ट्रेनिंग के लिए चुना था.
इसी साल क्लब ने स्पेन के 5 कोचों को आमंत्रित किया और स्पेनिश क्लब के लिए खिलाड़ियों का चयन करने के लिए पूरे भारत के 15 अलग-अलग शहरों में ट्रायल का आयोजन किया. पूर्व- रियल मैड्रिड के खिलाड़ी, ऑस्कर रुबियो भी सुदेवा का एक हिस्सा थे.
19 वर्षीय लंकिम सिगौलुन खोंगसई (गोगो) जो सेंटर मिड प्लेयर के रूप में खेलते हैं, वह मणिपुर के एक छोटे से शहर तुइबोंग से आते हैं. 2014 में, गोगो दिल्ली आए. एक फुटबॉल-प्रेमी परिवार से ताल्लुक रखने वाले गोगो ने राजधानी में अपना फुटबॉल जारी रखा, जहां उन्होंने 2014 में दिल्ली यूथ लीग अंडर -15 में अपनी पहली लीग खेली. वह 2017 में सुदेवा पहुंचे, जहां से अब वह सीडी ओलम्पिक डि ज़ातिवा के साथ एक अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पर निकले हैं.
एक साक्षात्कार के दौरान गोगो ने कहा, ‘यह मेरे लिए एक सपने का सच होना है.’
14 साल की उम्र से खेलते हुए, कबीर कोहली (19- वर्षीय) ने बहुत कम उम्र में फुटबॉल के लिए अपने जुनून की खोज की. कोहली एक गोल कीपर के रूप में खेलते हैं, उन्होंने बीसी रॉय ट्रॉफी और नेशनल इंडिया अंडर -19 टीम जैसे राष्ट्रीय स्तर के शिविरों के साथ विभिन्न लीगों में हिस्सा लिया है.
उनका मानना है कि इन शिविरों ने उन्हें एक खिलाड़ी के रूप में परिपक्व होने और अधिक आत्मविश्वास पाने का मौका दिया है. कोहली फुटबॉल के साथ-साथ अकादमिक विकास में विश्वास करते हैं और स्पेन में खेल विज्ञान में डिग्री हासिल करना चाहते हैं.
बीआईएफए खिलाड़ी, कबीर नाथ (19 वर्षीय), जो एक मिड-फील्डर के रूप में खेलते हैं, जिन्होंने हाल ही में किशोर होते हुए लिगा टू-ए (2a) कैटलाना में पुरुषों के फुटबॉल में जगह बनाई. जबकि उन्होंने कई फुटबॉल टूर्नामेंट खेले और जीते हैं, उन्होंने एफसीबी एस्कोला यू14 (FCB ESCOLA U14) टूर्नामेंट (2014), यूथ लीग टूर्नामेंट (2013), स्कूल लीग (2006-2010) में उच्च स्कोर का रिकॉर्ड बनाया और मलेशिया में आयोजित रॉयल सेलेंगर क्लब इंटरनेशनल टूर्नामेंट में रजत जीता.
नाथ को जर्मनी में भारत के अंडर -17 विश्व कप टीम में चुना गया था, लेकिन चोट के कारण वह बाहर कर दिए गये थे. फुटबॉल की पिच नाथ की थेरेपी है, जिसने उन्हें कभी वापस नहीं लौटने के लिए प्रेरित किया, और अंततः उन्हें यूरोप में खेलने वाले पहले तीन फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक बन गए. नाथ ने कहा, ‘छह साल की उम्र से मेरा एकमात्र मकसद एक पेशेवर फुटबॉलर बनना है.’ नाथ ने कहा, और वह निश्चित रूप से अपने बचपन के सपने को पूरा करने के रास्ते पर हैं.
हाल के दिनों में, फुटबॉल बिरादरी ने भारतीय फुटबॉल को एक वैश्विक मंच पर आगे बढ़ाने और आने वाले फुटबॉल देशों में शामिल करने में काफी तेजी दिखाई है. ये तीन युवा भारतीय फुटबॉलर भारत में इतनी कम उम्र में फुटबॉल के शानदार कौशल का प्रदर्शन कर चुके हैं, जो भारत में फुटबॉल का भविष्य उज्ज्वल कर रहे हैं.