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Thursday, 25 September, 2025
होमदेश‘आत्मरक्षा में गोली चलाई’—लेह हिंसा में 4 की मौत, आंदोलन के लिए MHA ने वांगचुक को ठहराया ज़िम्मेदार

‘आत्मरक्षा में गोली चलाई’—लेह हिंसा में 4 की मौत, आंदोलन के लिए MHA ने वांगचुक को ठहराया ज़िम्मेदार

राज्य का दर्ज़ा और लद्दाख में छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर बुधवार को हुआ प्रदर्शन हिंसक. प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय बीजेपी दफ्तर और पुलिस वैन को आग के हवाले किया.

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नई दिल्ली: बुधवार को लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन में लेह में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए. प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय बीजेपी दफ्तर और एक पुलिस वैन में आग लगा दी.

गृहमंत्रालय ने बुधवार को पुष्टि की कि पुलिस ने “आत्मरक्षा” में फायरिंग की, जिससे कुछ लोगों की मौत हुई.

हिंसा के बाद लेह जिला प्रशासन ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी है. गृहमंत्रालय ने कहा कि शाम 4 बजे तक हालात काबू में आ गए थे.

लद्दाख के निर्दलीय सांसद मोहम्मद हनीफा ने दिप्रिंट से कहा कि हिंसा शायद इसलिए बढ़ गई क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं और लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) के युवाओं में टकराव हुआ. एलएबी के युवा 10 सितंबर से अनशन पर बैठे थे. हालांकि, पुलिस ने इस बात की पुष्टि नहीं की है. लद्दाख के कई बीजेपी नेताओं से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल पाया है.

हनीफा ने कहा, “मंगलवार को युवाओं ने बंद का आह्वान किया था, क्योंकि अनशन पर बैठे एक पुरुष और महिला की तबीयत बिगड़ गई थी. वे भावुक थे और कल शाम अस्पताल में भी झड़प हो गई.”

सांसद ने तीन लोगों की मौत होने की बात कही, लेकिन सुरक्षा सूत्रों और स्थानीय निवासियों ने दिप्रिंट को बताया कि मृतकों की संख्या इससे अधिक भी हो सकती है. देर शाम तक पुलिस की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था.

लेह के डिप्टी कमिश्नर रोमिल सिंह डोंक और एसएसपी श्रुति अरोड़ा से संपर्क नहीं हो सका है. लद्दाख के डीजीपी एस.डी. सिंह जमवाल ने भी मौतों और घायलों की संख्या पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

सोनम वांगचुक, जो लेह में अनशन पर बैठे थे, उन्होंने बाद में अनशन समाप्त कर दिया. वांगचुक करीब दो साल से राज्य का दर्ज़ा और अन्य मांगों को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं.

एलएबी लगातार केंद्र से तत्काल बातचीत बहाल करने की मांग कर रहा है. मई से बातचीत ठप है. गृहमंत्रालय ने शनिवार को घोषणा की थी कि लद्दाख पर गठित उच्चस्तरीय समिति की अगली बैठक 6 अक्टूबर को दिल्ली में होगी.

वांगचुक ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “जब 72 और 62 साल के दो प्रदर्शनकारी अनशन के दौरान बीमार हो गए, तो गुस्सा और बढ़ गया. युवा, जिन्हें हम जेन ज़ी कहते हैं, कई सालों से बेरोज़गार बैठे हैं. इसने सरकार के खिलाफ गुस्से को और हवा दी.” हालांकि, बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने हिंसा के लिए जेन ज़ी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया है.

लद्दाख: प्रदर्शनकारियों ने लेह में बीजेपी दफ्तर को आग लगाई | फोटो: एएनआई
लद्दाख: प्रदर्शनकारियों ने लेह में बीजेपी दफ्तर को आग लगाई | फोटो: एएनआई

सज्जाद कारगिली, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस से जुड़े नेता, ने हिंसा की वजह लोगों में “निराशा और अलगाव की भावना” को बताया.

उन्होंने कहा, “हमारी हिल काउंसिल्स को अधिकारहीन बना दिया गया है. असुरक्षा का माहौल है. यही वजह है और सरकार की नाकाम नीतियां, थोपे गए फैसले और जबरन लागू की जा रही नीतियां ही गुस्से की असली जड़ हैं.”

सज्जाद कारगिली ने दिप्रिंट से कहा, “कोई सुरक्षा तंत्र नहीं है. आपने हिमाचल और उत्तराखंड की स्थिति देखी है. लद्दाख पारिस्थितिक रूप से बेहद नाज़ुक इलाका है और यहां हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “हमारी आगे की योजना है कि सरकार जिम्मेदारी से प्रतिक्रिया दे. बातचीत फिर से शुरू हो. बात होनी चाहिए. हालात पर एक बार फिर से काबू पाया जाए, सामान्य स्थिति बनी रहे और हम चाहते हैं कि बातचीत सार्थक हो.”

2019 में जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन के बाद लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था. 2020 में लद्दाख स्वायत्त हिल काउंसिल के चुनाव से पहले बीजेपी ने वादा किया था कि लद्दाख में छठी अनुसूची लागू की जाएगी, लेकिन वांगचुक और अन्य कार्यकर्ताओं का आरोप है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने यह वादा तोड़ दिया. उनका कहना है कि छठी अनुसूची से मिलने वाला सुरक्षा कवच न होने के कारण यह क्षेत्र “बाहरी” अधिकारियों की मनमानी पर निर्भर हो गया है, जिन्हें इलाके की ज़रूरतों की समझ नहीं है.

छठी अनुसूची आदिवासी समुदायों को प्रशासन में कुछ हद तक स्वायत्तता देती है, ताकि वे अपने संसाधनों और स्थानीय मामलों का खुद प्रबंधन कर सकें.

बुधवार शाम जारी एक बयान में गृहमंत्रालय ने अशांति के लिए वांगचुक को ज़िम्मेदार ठहराया. मंत्रालय ने आरोप लगाया कि उनके “उकसाऊ भाषणों” ने भीड़ को हिंसा के लिए भड़काया. इसके अलावा मंत्रालय ने कहा कि वांगचुक ने 6 अक्टूबर को होने वाली उच्चस्तरीय समिति की बैठक तय होने के बावजूद और 25 व 26 सितंबर की अतिरिक्त बैठकों से पहले भी, अपने अनशन को “अरब स्प्रिंग जैसे आंदोलन या जेन ज़ी क्रांति” का हवाला देकर जारी रखा.

गृहमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “24 सितंबर को सुबह करीब 11:30 बजे, उनके भड़काऊ भाषणों से उकसाई गई भीड़ अनशन स्थल से निकलकर एक राजनीतिक दल के दफ्तर और मुख्य कार्यकारी पार्षद (सीईसी) लेह के सरकारी दफ्तर पर चढ़ाई कर दी. उन्होंने इन दफ्तरों में आग लगा दी, सुरक्षा बलों पर हमला किया और पुलिस वाहन को भी फूंक दिया. उपद्रवी भीड़ ने पुलिस और सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया, जिसमें 30 से ज्यादा पुलिस/सीआरपीएफ जवान घायल हुए. भीड़ सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाती रही और पुलिस पर हमले करती रही.”

प्रवक्ता ने आगे कहा, “खुद को बचाने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें दुर्भाग्य से कुछ लोगों की मौत हुई.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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