नई दिल्ली: मॉब लिंचिंग की घटनाओं में लगातार हो रही वृद्धि को लेकर कुछ महीने पहले विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े जानी-मानी 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा था. इस मामले में इन सभी लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है. इन लोगों में जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा भी शामिल हैं. फिल्म निर्देशक मणि रत्नम और अपर्णा सेन समेत सभी 49 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है.
पुलिस ने कहा है कि एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा के तहत दायर की गई है. इसमें राजद्रोह, धार्मिक भावनाओं को आहत करने और सार्वजनिक उपद्रव करना शामिल है.
सुधीर कुमार ओझा ने यह याचिका दायर की थी. दो महीने पहले 20 अगस्त को सीजेएम सूर्य कांत तिवारी ने इस मामले पर फैसला दिया था. इसी फैसले के तहत शुक्रवार को एफआईआर दर्ज की गई है.
इस मामले में शेहला रशीद ने ट्वीट कर कहा कि संविधान के किसी अनुच्छेद में, आईपीसी के किसी धारा में, राज्य के किसी कानून में और संसद के किसी भी नियम में ऐसा कुछ भी नहीं है. जो देश के लोगों को प्रधानमंत्री का सम्मान करने की बात करता हो.
There is no Article of the Constitution, no clause in the IPC, no state law and no Act of the Parliament that requires a citizen of India to respect the Prime Minister! https://t.co/mCtoOI3rk1
— Shehla Rashid شہلا رشید (@Shehla_Rashid) October 4, 2019
‘देश का धर्मनिरपेक्ष तानाबाना बर्बाद हो रहा है’
देशभर में दलितों और मुस्लिमों के साथ चल रही मॉब लिंचिंग के खिलाफ जुलाई में 49 चर्चित हस्तियों ने प्रधानमंत्री को खुला खत लिखा था. पीएम को लिखे खुले खत में विभिन्न क्षेत्रों के सेलिब्रिटी में शास्त्रीय गायिका शुभा मुद्गल, अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा और फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप, मणि रत्नम और अपर्णा सेन शामिल हैं. अपर्णा सेन ने कहा था कि आज देश के जैसे हालात हैं. उससे मैं चिंतित हूं. आज पूरे देश में जिस तरह से लिंचिंग हो रही है जिस तरह से लोगों को ‘जय श्री राम’ बोलने पर मजबूर किया जा रहा है.
अपर्णा सेन ने कहा था कि देश में अल्पसंख्यकों और दलितों के खिलाफ अपराध के मामले देश में तेजी से बढ़े हैं. किसी को हक नहीं है कि किसी सिग्नेचर करने वाले को देशद्रोही या फिर एंटी नेशनल कहे. हम अपनी आवाज उठा रहे हैं. क्योंकि हमारे देश का धर्मनिरपेक्ष तानाबाना बर्बाद हो रहा है.
बता दें कि इन 49 लोगों के जवाब में प्रसून जोशी और कंगना रनौत के नेतृत्व में 61 लोगों ने भी एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में कहा गया था कि प्रधानमंत्री की छवि खराब करने के लिए इस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने लिखा था कि प्रधानमंत्री के बारे में अपनी सुविधा के अनुसार लिखा जाता है.