नई दिल्ली: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है जो मणिपुर राज्य में और अधिक हिंसा को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
मणिपुर के मुख्यमंत्री ने कहा कि एडिटर्स गिल्ड के तीन सदस्यों- सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. एडिटर्स गिल्ड ने अभी तक अपने सदस्यों के खिलाफ दायर एफआईआर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
मीडिया को संबोधित करते हुए सीएम बीरेन सिंह ने कहा, “मैं एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों को चेतावनी देता हूं कि वो ऐसे काम नहीं करें. इस संगठन का गठन किसने किया? अगर आप कुछ करना चाहते हैं तो मौके पर जाइए, जमीनी हकीकत देखिए, सभी समुदायों के प्रतिनिधियों से मिलिए और फिर जो मिला उसे प्रकाशित कीजिए. अन्यथा केवल कुछ लोगों से मिलकर किसी नतीजे पर पहुंचना बेहद निंदनीय है.”
सीएम ने कहा, “राज्य सरकार ने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है जो मणिपुर राज्य में और अधिक झड़पें पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.”
2 सितंबर को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ‘मणिपुर में जातीय हिंसा पर मीडिया की रिपोर्ट पर तथ्य-खोज मिशन’ की एक रिपोर्ट जारी की थी.
गिल्ड के सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट की गई अपनी रिपोर्ट में गिल्ड ने दावा किया था, “इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि संघर्ष के दौरान राज्य का नेतृत्व पक्षपातपूर्ण हो गया. उसे जातीय संघर्ष में किसी का भी पक्ष लेने से बचना चाहिए था लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहा. यह एक लोकतांत्रिक सरकार का कर्तव्य नहीं है.”
शुक्रवार को असम राइफल्स के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर ने कहा था, “पहले के विपरीत, मणिपुर में इस समय चल रहे जातीय झड़पों की एक ‘अभूतपूर्व’ स्थिति देखी जा रही है. दोनों समुदायों के पास बड़ी संख्या में हथियार हैं, जो राज्य सरकार को मुश्किल में डाल रहे हैं. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.”
डीजी ने कहा, “मणिपुर में हम जिस स्थिति का सामना कर रहे हैं, वह अभूतपूर्व है. हमने कभी इस तरह की किसी चीज़ का सामना नहीं किया है. 90 के दशक की शुरुआत में कुछ ऐसा ही हुआ था जब नागा और कुकी के बीच लड़ाई हुई थी और फिर 90 के दशक के अंत में कुकी समूहों के भीतर भी लड़ाई हुई थी. आज, सबसे बड़ी चुनौती दोनों समुदायों के भीतर बड़ी संख्या में हथियार हैं. इसके साथ-साथ दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे की जान लेने पर उतारू हैं. आज जो रहा है उसे रोकने की सख्त जरूरत है.”
उन्होंने कहा, “लोगों को यह अहसास कराने की जरूरत है कि आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता शांति है.”
पिछले तीन महीने से अधिक समय से पूरे राज्य में हिंसा फैली हुई थी और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए केंद्र सरकार को अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा था.
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