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Thursday, 21 November, 2024
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सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश संबंधी टिप्पणी को लेकर गोवा के राज्यपाल के खिलाफ प्राथमिकी रद्द

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कोच्चि, 21 नवंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने 2018 में अपने भाषण में सबरीमला मंदिर में सभी उम्र वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को लेकर गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी है।

न्यायमूर्ति पीवी कुन्हिकृष्णन ने पिल्लई का अनुरोध स्वीकार करते हुए कहा कि मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-505(1)(बी) (सार्वजनिक शांति, व्यवस्था को भंग करने वाले बयान देना) के तहत अपराध नहीं बनता है, क्योंकि पिल्लई ने युवा मोर्चा की राज्य समिति की बैठक में भाषण दिया था, किसी सार्वजनिक सभा में नहीं।

उच्च न्यायालय ने अपने हालिया फैसले में कहा कि भाषण ने किसी को राज्य या सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराध करने के लिए नहीं उकसाया और इस कारण से भी आईपीसी की धारा-505(1)(बी) के तहत अपराध भी नहीं बनता।

उसने कहा कि पिल्लई मौजूदा समय में गोवा के राज्यपाल हैं और संविधान का अनुच्छेद-361(2) कहता है कि “राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत में कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी या जारी नहीं रखी जाएगी।”

उच्च न्यायालय ने कहा, “इसलिए, याचिकाकर्ता (पिल्लई) संविधान के अनुच्छेद-361 के तहत तब तक छूट के हकदार हैं, जब तक वह गोवा के राज्यपाल पद पर रहेंगे।”

पिल्लई ने अपने भाषण में उच्चतम न्यायालय के उस आदेश की आलोचना भी की थी, जिसके तहत सभी उम्र वर्ग की महिलाओं को सबरीमला के भगवान अयप्पा मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि “कोई फैसला, जो एक सार्वजनिक दस्तावेज है, उसकी निष्पक्ष एवं उचित आलोचना अवमानना ​या आपराधिक अपराध नहीं मानी जाएगी।”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केरल इकाई के तत्कालीन अध्यक्ष पिल्लई के खिलाफ एक पत्रकार की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पत्रकार ने आरोप लगाया था कि पिल्लई ने चार नवंबर को दिए अपने भाषण में कहा था कि “किसी ‘युवती’ (रजस्वला महिलाएं) के आने पर ‘थंथरी’ (मुख्य पुजारी) का ‘सबरीमला नाडा’ (मंदिर के कपाट) बंद करना अदालत की अवमानना ​​नहीं होगा।”

भाषा पारुल संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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