मुंबई: महाराष्ट्र के जालना में मराठाओं के लिए आरक्षण की मांग कर रहे आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच शुक्रवार शाम हिंसा भड़क उठी. हिंसा तेज होने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. पुलिस ने 250 लोगों के खिलाफ FIR भी दर्ज की है. प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर पुलिसकर्मियों पर पथराव किया था और कम से कम दो बसों में आग लगा दी थी.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं. हालांकि, विपक्ष ने सरकार की आलोचना की है और लाठीचार्ज की निंदा की है. इसके बाद यह मामला राजनीतिक रंग ले लिया है.
शुक्रवार शाम करीब 6.30 बजे जालना जिले के बीड के पास अंबाद तालुका के अंतरवाली सारथी में झड़प की सूचना मिली, जब पुलिस ने एक स्थानीय मराठा नेता, मनोज जारांगे के नेतृत्व में एक आंदोलन को रोकने की कोशिश की. शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर जारांगे पिछले सोमवार से भूख हड़ताल पर हैं. पुलिस ने कहा कि अंतरवाली सारथी के आसपास के 123 गांव के लोगों ने हड़ताल का समर्थन किया है.
जालना के एसपी तुषार दोशी ने शनिवार को दिप्रिंट को बताया, “वह सही मायनों में भूख हड़ताल कर रहे थे. वह कुछ भी नहीं खा पी रहे थे. उनकी तबीयत बिगड़ रही थी इसलिए हमारा इरादा उन्हें बचाने का था. हमने उससे बात करने की कोशिश की, लेकिन वह अपने इरादे से टस से मस नहीं हो रहे थे.”
उन्होंने कहा, “शुक्रवार को जब हम उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए वहां गए तो उनके समर्थकों ने हमें घेर लिया और पथराव शुरू कर दिया. अफरा-तफरी के बीच जारांगे के समर्थक उन्हें वहां से ले गये.”
पुलिस ने बताया कि करीब 40 पुलिसकर्मी और दर्जनों नागरिक घायल हो गये. पुलिस के अनुसार, 307 (हत्या का प्रयास), 120 (बी) (आपराधिक साजिश) और 143 (गैरकानूनी सभा) सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ दंगा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप के तहत मामला दर्ज किया गया है. हालांकि, FIR की कॉपी प्रेस के साथ शेयर नहीं किया गया है.
आंदोलन का समन्वय कर रहे छत्र संगठन मराठा मोर्चा के समन्वयक वीरेंद्र पवार ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा, “मराठा समुदाय आरक्षण के अपने अधिकार के लिए सालों से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन सरकार ने लाठीचार्ज और हिंसा का सहारा लिया. सरकार को इसका गंभीर परिणाम भुगतना होगा.”
गृह मंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने शुक्रवार को मुंबई में मीडिया को बताया कि सरकार प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत कर रही है और उनसे भूख हड़ताल खत्म करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि चूंकि मराठा आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में है, इसलिए इसे एक दिन में नहीं सुलझाया जा सकता.
उन्होंने कहा, “लेकिन यह प्रशासन की ज़िम्मेदारी है कि अगर भूख हड़ताल पर बैठे किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जाए. इसी के तहत प्रशासन उनसे बातचीत करने गया था. लेकिन दुर्भाग्य से, प्रदर्शनकारियों की भीड़ हिंसक हो गई और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया.”
यह भी पढ़ें: ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ BJP का ‘ब्रह्मास्त्र’ है, यह राज्यों के चुनाव को ‘मोदी बनाम कौन’ में बदलना चाहती है
विपक्ष ने की निंदा
इसे परेशान करने वाली घटना बताते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने शुक्रवार देर रात एक्स पर पोस्ट किया, “राज्य में केवल तानाशाही है. जालना में जो हुआ उसके लिए गृह विभाग जिम्मेदार है और मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं.”
शिव सेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने एक्स पर पोस्ट किया कि सभी उम्र की महिलाओं और पुरुषों को लाठीचार्ज का शिकार होते देखना “दिल दहला देने वाला” था. उन्होंने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की.
उन्होंने शुक्रवार को लिखा, “शत्रुतापूर्ण, अक्षम शासन और अपने अधिकार मांगने वाले किसी भी व्यक्ति के प्रति पूर्ण असहिष्णुता केवल महाराष्ट्र और भारत में बड़े पैमाने पर लोकतंत्र के बारे में सवाल उठाती है. अगर उनमें थोड़ी भी शर्म या जिम्मेदारी की भावना होती तो अवैध रूप से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे लोग और उनके मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया होता.”
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने मांग की कि आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा हटाई जाए. उन्होंने कहा, “हम आरक्षण की मांग कर रहे मराठा प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज की निंदा करते हैं. बीजेपी मराठों को आरक्षण नहीं देना चाहती. हम मांग करते हैं कि 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा को हटाया जाना चाहिए.”
(संपादन: ऋषभ राज)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: जातीय नफरत या गैंगवार? जाटों द्वारा दलित युवकों को कार से कुचलने के बाद राजस्थान में माहौल गर्म हो गया है