नई दिल्ली : फिल्म ‘आर्टिकल 15’ को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. बदायूं रेप और मर्डर केस पर आधारित फिल्म में ब्राह्मणों को विलेन के रूप में दिखाने को लेकर एक तबके में गुस्सा है. अखिल भारतीय ब्रह्मण एकता परिषद द्वारा जातीय विद्वेष फ़ैलाने वाली फिल्म ‘आर्टिकल 15’ पर प्रतिबंध लगाने को लेकर प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया जहां पर अखिल भारतीय ब्रह्मण एकता परिषद ने फिल्म में ब्राह्मणों के प्रति इसे दुष्प्रचार का षड्यंत्र बताया है और ब्राह्मणों के चरित्र को ख़राब करने और सामाजिक सद्भावना को बिगाड़ने के लिए फिल्म निर्माताओं को जमकर लताड़ा. आर्टिकल 15 का ट्रेलर आने के बाद से ही ब्रह्मण समाज में विरोध के स्वर खुलकर सामने आ रहे हैं. ‘आर्टिकल 15’ 28 जून को सिनेमा घर में रिलीज़ होगी.
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अनुभव सिन्हा के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘आर्टिकल 15’ में मुख्य भूमिका में आयुष्मान खुराना हैं. फिल्म कथित तौर पर बदायूं रेप और मर्डर केस पर आधारित है. 27 मई 2014 को उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के कटरा सआदतगंज गांव की घटना ने पिछड़ी जाति (शाक्य) की दो बालिकाओं के साथ हुए बलात्कार और उसके बाद हत्या को लेकर तत्कालीन सपा सरकार की खूब किरकिरी हुई थी. आर्टिकल 15 से पहले अनुभव सिन्हा ‘मुल्क’ फिल्म बना चुके हैं.
अखिल भारतीय ब्रह्मण एकता परिषद की राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिलाषा द्विवेदी ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि यह फिल्म भारत की आध्यात्मिक सांस्कृतिक चेतना पर खतरा है. जिस प्रकार से फिल्म में ब्राह्मणों को अत्याचारी दिखाया गया है वह बिलकुल ही गलत है. बदायूं की घटना में आरोपी किसी और जाति से ताल्लुक रखने वाले थे और दिखाया कुछ और गया है.
उन्होंने यह भी कहा करीब तीन दशक से समाज की विघटनकारी शक्तियां समाज को बांटने का काम कर रही हैं. द्विवेदी ने ट्रेलर में दिखाए गए भगवा और नीले झंडे का भी जिक्र किया. जो कि अलग-अलग विचारधारा को दर्शाते हैं. राइटर ने जातिगत मुद्दों आधारित फिल्म बनायी हैं जिसमें कई गलतियां की गईं हैं.
अभिलाषा द्विवेदी ने यह भी कहा कि फिल्म दलितों के प्रति भी विद्वेषपूर्ण है. फिल्म में बलात्कार पीड़ित को दलित दिखाया गया है.
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क्या होता है आर्टिकल 15
संविधान का 15वां अनुच्छेद ही आर्टिकल 15 है. संविधान के मुताबिक किसी भी व्यक्ति से धर्म, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेद-भाव नहीं कर सकते हैं.
1. राज्य, किसी नागरिक से केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी भी आधार पर किसी तरह का कोई भेद-भाव नहीं करेगा.
2. किसी नागरिक को केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर किसी दुकान, सार्वजनिक भोजनालय, होटल और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों जैसे सिनेमा और थिएटर इत्यादि में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता है. इसके अलावा सरकारी या अर्ध-सरकारी कुओं, तालाबों, स्नाघाटों, सड़कों और पब्लिक प्लेस के इस्तेमाल से भी किसी को इस आधार पर नहीं रोक सकते हैं.
3. यह अनुच्छेद किसी भी राज्य को महिलाओं और बच्चों को विशेष सुविधा देने से नहीं रोकेगा.
4. इसके अलावा यह आर्टिकल किसी भी राज्य को सामाजिक या शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष प्रावधान बनाने से भी नहीं रोकेगा.