(भास्कर मुखर्जी)
नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) तिहाड़ जेल प्रशासन ने सुधार एवं पुनर्वास के मकसद से उठाए जा रहे कदमों के तहत जेल संख्या-2 में कैद कम से कम 50 सजायाफ्ता कैदियों को फाइल कवर और फाइल बोर्ड बनाने के काम में लगाया है।
जेल अधिकारियों ने बताया कि कैदियों के बनाए फाइल कवर और फाइल बोर्ड उच्चतम न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय और दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा खरीदे जा रहे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि यह पहल एक व्यापक पुनर्वास कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका मकसद कैदियों में व्यावसायिक कौशल विकसित करना है, ताकि जेल से रिहाई के बाद उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल होने में मदद मिल सके।
एक वरिष्ठ जेल अधिकारी के मुताबिक, फाइल कवर और फाइल बोर्ड बनाने के लिए जेल संख्या-2 में एक समर्पित इकाई स्थापित की गई है, जिसमें 50 से अधिक कैदी काम कर रहे हैं।
अधिकारी ने कहा, “इकाई में कैदियों को फाइल कवर बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है और उनके कौशल के आधार पर अलग-अलग भूमिकाएं सौंपी जाती हैं।”
उन्होंने बताया कि फाइल कवर और बोर्ड के निर्माण में कटाई, अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने, छपाई और रंग सुखाने का काम शामिल है।
अधिकारी के अनुसार, “यह पहल सिर्फ फाइल कवर बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य ‘टीमवर्क’ की भावना विकसित करना है। कुछ कैदी बोर्ड की कटाई में शामिल हो सकते हैं, तो कुछ विभागों के नाम छापने में। वहीं, अन्य को तैयार फाइल कवर को सुखाने और ऑर्डर के हिसाब से उनके गट्ठर बनाने का काम सौंपा जाता है।”
अधिकारी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय और दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों को इन फाइल कवर की आपूर्ति की जा रही है, जो इनका इस्तेमाल नियमित दस्तावेजीकरण और फाइलिंग उद्देश्यों के लिए करते हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘कारागार प्रशासन भी इन उत्पादों के ग्राहकों में से एक है। हम इनका इस्तेमाल अपने कार्यालयों में करते हैं। यह पहल न केवल आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करती है, बल्कि हमारी परिचालन लागत को भी कम करती है।’’
उन्होंने कहा कि फाइल कवर के उत्पादन पर आने वाली लागत जेल प्रशासन वहन कर रहा है और इनकी कीमत काफी कम रखी गई है, ताकि अदालतें और विभाग इन्हें खरीदने के लिए प्रोत्साहित हों।
अधिकारी ने कहा, “हम पेपर बोर्ड, स्याही और कागज खरीदते हैं। छपाई की प्रक्रिया के लिए भी मशीन और मानव बल की आवश्यकता होती है। कीमत न्यूनतम रखने की कोशिश की जाती है, क्योंकि बुनियादी लागत निकालना भी जरूरी है।”
जेल नियमावली के मुताबिक, सजायाफ्ता कैदियों को अलग-अलग काम में लगाना न सिर्फ उनके पुनर्वास के लिए जरूरी है, बल्कि एक नियामक आवश्यकता भी है।
जेल प्रशासन के अनुसार, अलग-अलग जेल में कैद लगभग 2,400 सजायाफ्ता कैदियों को दैनिक आधार पर विभिन्न कार्यों में लगाया जाता है।
अधिकारियों ने बताया कि कैदियों को सरकार के श्रम विभाग के मानदंडों के अनुसार मजदूरी का भुगतान किया जाता है।
भाषा पारुल दिलीप
दिलीप
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