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Saturday, 6 July, 2024
होमदेशबिना किसी डर के फ्रंटलाइन में लड़ रही नर्सों ने राहुल गांधी के साथ कोविड की स्थिति पर चर्चा की

बिना किसी डर के फ्रंटलाइन में लड़ रही नर्सों ने राहुल गांधी के साथ कोविड की स्थिति पर चर्चा की

चार भारतीय मूल की नर्सों के साथ एक वीडियो बातचीत में राहुल गांधी ने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा और अन्य देश महामारी से कैसे निपट रहे हैं इस पर चर्चा की.

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नई दिल्ली : नर्सों ने बुधवार को एक वीडियो इंटरैक्शन के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी से अपील की कि कोरोना के संपर्क में आने के बाद मरने वाले स्वास्थ्य पेशेवरों के परिवारों को जल्द मुआवजा मिलना चाहिए.

राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर, राहुल गांधी दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अस्पतालों में काम करने वाली चार भारतीय मूल की नर्सों के साथ बातचीत कर रहे थे.

दिल्ली के एम्स अस्पताल में कार्यरत नर्स विपिन कृष्णन ने कहा, ‘दिल्ली में दो नर्सों की मृत्यु हो गई है. वे दक्षिण भारत से थीं. एम्स में एक सेवानिवृत्त डॉक्टर का निधन हो गया और स्वच्छता विभाग में एक सेवारत व्यक्ति की मृत्यु हो गई. लेकिन, उन्हें दिल्ली सरकार द्वारा घोषित 1 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलना बाकी है.

उन्होंने राहुल गांधी से कहा, ‘आप विपक्ष के नेता हैं. मैं इसे आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं.’

अपनी प्रतिक्रिया में गांधी ने कहा कि वह सरकार को लिखेंगे, मुआवजे की प्रक्रिया में तेजी लाने का अनुरोध करेंगे.

दिप्रिंट ने पहले बताया था कि राहुल गांधी अपने वीडियो इंटरैक्शन की पहुंच को व्यापक बनाने के लिए हिंदी और अंग्रेजी के मिश्रण में भारतीय मूल की नर्सों के साथ बातचीत करेंगे. गांधी ने अप्रैल के बाद से अर्थशास्त्रियों-रघुराम राजन और अभिजीत बनर्जी, स्वास्थ्य विशेषज्ञों- आशीष झा और जोहान गिसेके, उद्योगपति राजीव बजाज के साथ-साथ पूर्व अमेरिकी राजनयिक निकोल्स बर्न्स के साथ बातचीत की एक श्रृंखला आयोजित की है.

बुधवार को बातचीत के दौरान, एम्स की नर्स ने यह मुद्दा उठाया कि भारत में स्वास्थ्य कर्मियों के मुद्दे को सरकार के ‘जोखिम भत्ता श्रेणी’ में शामिल नहीं किया गया है.

उन्होंने कहा, नर्सों और डॉक्टरों को कम से कम इस समय जोखिम भत्ता दिया जाना चाहिए, क्योंकि हम जिंदगी खो रहे हैं. कृष्णन ने कहा, हम थक गए हैं और हम बिना किसी डर के अग्रिम पंक्ति में लड़ रहे हैं.

न्यूजीलैंड, यूके, ऑस्ट्रेलिया की नर्सें

एम्स से कृष्णन के अलावा बातचीत के अन्य नर्सों में न्यूजीलैंड से अनु रागनत, ऑस्ट्रेलिया से नरेंद्र सिंह और यूनाइटेड किंगडम से शेरिलमोल पुरवाडी शामिल थे.

राहुल गांधी ने कहा कि अन्य देशों में महामारी कम हो रही है लेकिन हमारे यहां महामारी बढ़ रही है.

न्यूजीलैंड के नॉर्थलैंड डिस्ट्रिक्ट हेल्थ बोर्ड के साथ काम करने वाले रागनत ने महामारी से निपटने के लिए देश की सरकार की सराहना की.

रागनट ने कहा प्रधानमंत्री जैसिंडा द्वारा आदर्श वाक्य था, जितनी जल्दी हो सके इसपर काबू पाया जा सके, तो उन्होंने पूरी तरह से ठीक किया. इसलिए मुझे लगता है कि इस पर जल्दी काम करना वास्तव में सही बात थी और यह वास्तव में न्यूजीलैंड के कर्व को कम कर रहा था.

रागनत ने कहा, ‘सरकार और स्वास्थ्य सेवा श्रमिकों के बीच संचार वास्तव में अच्छा था.’ न्यूजीलैंड को जून के पहले सप्ताह में ‘कोविद-मुक्त राष्ट्र’ घोषित किया गया था.

पुरवाडी ने कहा कि ब्रिटेन में लोग ‘बहुत सम्मानित’ भी हैं. पुरवाडी ने कहा, ‘हमने एनएचएस कर्मचारियों या देखभाल कर्मचारियों के लिए खरीदारी का समय समर्पित किया है. हर गुरुवार, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि देखभाल करने वालों के लिए ताली बजाई जाए. इसलिए, यह बहुत सहायक है.

‘भारतीय नर्स बहुत मेहनती होती हैं’

नर्सों ने सभी स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा पालन किए जाने वाले आवश्यक चीजों पर भी चर्चा की. सिंह ने कहा, ‘अपने हाथ धोए, ,दिन में शिफ्ट के दौरान जैसे मैं 12 घंटे की शिफ्ट में करता हूं, हम सौ बार धोते हैं, आपको हाथ धोना होगा. एक उचित पीपीई रखो, यह सब करना पड़ता है.

गांधी ने उनसे यह भी पूछा कि भारतीय नर्सें विदेश में ‘इतनी महत्वपूर्ण’ क्यों हैं. राहुल गांधी ने कहा, ‘मैं मिडिल ईस्ट गया और वे मुझे वहां एक अस्पताल ले गए और फिर अस्पताल में उन्होंने कहा कि देखो अगर हमारे पास भारतीय नर्स नहीं हों तो हम अपना अस्पताल नहीं चला सकते हैं.’ पुरवाडी ने कहा, क्योंकि भारतीय नर्स बहुत मेहनती हैं.

आप जानते हैं. वे समर्पित हैं, पेशे के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं. वे अपने बारे में परवाह नहीं करते हैं. वे मरीजों को उनके सामने उनके माता-पिता, उनके बच्चों, उनकी मां, उनके भाई या बहन के रूप में देखते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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