जयपुर, सात मार्च (भाषा) राजस्थान के जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि माही नदी को लूणी नदी से जोड़ने के लिए पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना की व्यावहार्यता (फिजिबिलिटी) रिपोर्ट बनाने का काम किया जा रहा है।
रावत ने कहा कि यह काम केंद्र सरकार के उपक्रम वैपकॉस द्वारा किया जा रहा है।
मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस सम्बन्ध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना की व्यवहार्यता फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए वैपकॉस को कार्यादेश दिया गया है। इस रिपोर्ट के माध्यम से माही बेसिन के अधिशेष जल को कडाना बांध से सुजलाम-सुफलाम परियोजना के जरिये जालौर जिले को पानी उपलब्ध करवाने का अध्ययन किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि वैपकॉस द्वारा फिजिबिलिटी रिपोर्ट का प्रारंभिक प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया गया है।
रावत ने कहा कि बजट घोषणा वर्ष 2024-25 के तहत ‘रन ऑफ़ वाटर ग्रिड’ स्थापित करने के एक घटक के रूप में माही बेसिन के अधिशेष जल को मार्ग में पड़ने वाले बांधों का पुनर्भरण करते हुए जवाई बांध में प्रवाहित कर जालौर जिले में पहुंचाया जाएगा। इसकी रिपोर्ट डीपीआर व पीएफआर भी वेपकॉस द्वारा बनाई जाएगी।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण द्वारा राजस्थान में संशोधित पार्वती कालीसिंध चम्बल लिंक, शारदा-यमुना लिंक, यमुना-राजस्थान लिंक और राजस्थान साबरमती लिंक के लिए तीन अलग-अलग व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार की गयी है।
केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात और नेपाल के साथ सहमति के विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। साथ ही इस सम्बन्ध में कार्यबल का भी गठन किया गया है।
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