नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) राजद्रोह का दोषी पाये जाने पर एक से तीन साल की जेल सजा हो सकती और हर चार महीने में एक बार शौचालय में सफेदी नहीं कराने वाले कारोबारी को भी इसी तरह की सजा का सामना करना पड़ सकता है। देश के व्यापार अनुपालन विनियमन ढांचे के तहत जुड़े कानूनी प्रावधानों के एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।
‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ (ओबीआर) के मुताबिक, भारत में व्यवसाय से जुड़े पांच में से तीन कानूनी प्रावधान ऐसे हैं, जिनके उल्लंघन पर व्यवसायी को जेल की हवा तक खानी पड़ सकती है।
ओआरएफ ने कहा कि भारत में व्यापार करने को विनियमित करने वाले 69,233 प्रावधानों में से 26,134 खंडों में गैर-अनुपालन की सूरत में दंड के रूप में कारावास हो सकती है। इसके मुताबिक, दूसरे शब्दों में कहें तो पांच में से लगभग दो प्रावधान ऐसे हैं, जिनके उल्लंघन करने पर एक उद्यमी को जेल जाना पड़ सकता है।
ओआरएफ के मुताबिक, भारत के पांच सबसे बड़े औद्योगिक राज्यों – गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु- के व्यवसाय संबंधी कानूनों में 1,000 से अधिक ऐसे प्रावधान हैं, जिनका अनुपालन सुनिश्चित नहीं करने पर जेल तक जाना पड़ सकता है।
इसके मुताबिक, देश में उत्पादन क्षेत्र की एक ऐसी एमएसएमई को हर साल करीब 500-900 ऐसे प्रावधानों का पालन करना पड़ता है, जिसके 150 से अधिक कर्मचारी हैं और इसके चलते कंपनी को इसके अनुपालन पर प्रतिवर्ष 12-18 लाख रुपये खर्च वहन करना पड़ता है।
भाषा शफीक अनूप
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