नई दिल्ली:56 वर्षीय शाजी जॉन बवाना की एक निजी कंपनी में काम करते थे. उन्होंने किडनी की बीमारी के कारण जनवरी से ही ऑफिस जाना बंद कर दिया था. डायलिसिस के लिए उन्हें सप्ताह में दो बार अस्पताल जाना पड़ा था.
मई के अंत में, उन्हें सांस लेने में समस्या होने लगी और डॉक्टरों ने उन्हें कोविड -19 की जांच कराने की सलाह दी. वह कोविड 19 से संक्रमित पाए गए, तो जॉन को 3 जून को लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल (LNJP) में भर्ती कराया गया. 26 जून को रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई और उन्हें उनकी पत्नी और दो बेटियों के साथ घर वापस भेज दिया गया.
हालांकि, अपनी किडनी की बीमारी के कारण, उन्हें अभी भी अपनी डायलिसिस के लिए अस्पताल जाना पड़ता, जिसके लिए उन्हें दो कोविड-निगेटिव रिपोर्ट की जरूरत थी. जब परिवार जांच के लिए एक अस्पताल गए तो उनकी रिपोर्ट फिर से पोजिटिव आई.
जॉन को 1 जुलाई को फिर से एलएनजेपी अस्पताल में भरती कराया गया, जहां दो दिन बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी.
3 जुलाई को, जब उनकी छोटी बेटी अलीज़ा ने उन्हें लगभग 11.45 बजे फोन किया, तो डॉक्टर ने उनका फोन उठाया और कहा कि उनकी हालत गंभीर है.
अलीज़ा ने दिप्रिंट को बताया, ‘डॉक्टर ने हमें बताया कि उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है, हम कल सुबह डायलिसिस करेंगे.’
लगभग आधे घंटे बाद, अलीज़ा को अपने पिता का फोन आया, जिन्होंने कहा कि उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है. ‘मैंने उन्हें कहा, आप चिंता न करें, प्रार्थना करें और सो जाएं,’ उन्होंने बताया. ‘अगली सुबह, हमें सूचित किया गया कि मेरे पिता का निधन हो गया है.’
दिप्रिंट के प्रवीण जैन और मनीषा मोंडल, जॉन के अंतिम संस्कार के लिए मंगोलपुरी में अल्फा ओमेगा क्रिश्चियन वेलफेयर सेमेट्री में गए, जो राष्ट्रीय राजधानी में कोविड रोगियों के लिए एकमात्र ईसाईयों के दफनाए जाने का मैदान है.
अल्फा ओमेगा क्रिश्चियन वेलफेयर सेमेट्री में जॉन के दफन के लिए खोदे गए गड्ढे के पास पुष्पांजलि की गई थी.
जॉन के पार्थिव शरीर को दफनाए जाने से पहले कॉफिन में रखा जा रहा है.
जॉन के शरीर को दफनाए जाने से पहले प्रीस्ट (पुजारी) शरीर के पास प्रार्थना करते हुए.
एक छोटी सी प्रार्थना के बाद ताबूत को जमीन में उतारे जाने से पहले बाइबल पढ़ने का एक छोटा सा समारोह किया गया.
शाजी जॉन के परिवार में उनकी मृत्यु के बाद पत्नी और दो बेटियां हैं. बाएं से दाएं: अलीजा शाजी (जॉन की छोटी बेटी), शेरिल शाजी (उनकी विधवा) और एंजल शाजी (उनकी बड़ी बेटी).
जॉन की मृत्यु के बाद शोक संतप्त परिवार उनकी कॉफीन को देखता हुआ.
अलीजा आखिरी इंसान थी जिनसे जॉन ने अपनी मृत्यु से पहले बात की थी.
ताबूत को जमीन में उतारा जा रहा है. मंगोलपुरी कब्रिस्तान, कोविड के मरीजों के लिए विशेषतौर पर रखा गया है.यहां अभी तक 19 शव दफनाए जा चुके हैं.
जॉन के कॉफिन को गड्ढे में रखे जाने के बाद प्रीस्ट आखिरी विदाई के लिए प्रार्थना करता हुआ.
रिचुअल के पूरा होने के बाद, जॉन की कब्र को मैदान में समतल कर दिया गया.