नयी दिल्ली, 30 मई (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने 13 वर्षीय बेटी से कई बार दुष्कर्म करने और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के जुर्म में पिता को 20 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
अदालत ने कहा कि पीड़िता अंतहीन पीड़ा से गुजर रही है और अपराध के कई साल बाद भी वह इस डर में जी रही है कि अगर उसके पिता को सजा हुई, तो समाज उसे ही इसका दोषी ठहराएगा।
यह आदेश 28 मई को पारित किया गया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनु अग्रवाल ने गहरी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि किशोरी के साथ उसके घर में ही जघन्य अपराध किया गया, और वह भी उसके पिता द्वारा, जिस पर उसने सबसे अधिक विश्वास किया था।
अदालत ने 19 मई को आरोपी को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत गंभीर यौन शोषण तथा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत दुष्कर्म, अप्राकृतिक यौन कृत्य और आपराधिक धमकी देने का दोषी करार दिया।
सजा की अवधि पर बहस के दौरान अतिरिक्त लोक अभियोजक अरुण के वी ने कहा कि दोषी को इस जघन्य अपराध के लिए कोई रियायत नहीं मिलनी चाहिए।
इसके बाद अदालत ने दोषी को पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने पीड़िता को 16 लाख रुपये मुआवजा भी देने का आदेश दिया।
यह मामला 30 जून, 2018 को सामने आया, जब पीड़िता ने अपने पड़ोसी को अपने साथ हुए अपराध की जानकारी दी, जिसके बाद पड़ोसी ने पुलिस को इसकी सूचना दी।
जांच के बाद पुलिस पीड़िता के घर पहुंची, जहां किशोरी ने अपनी आपबीती सुनाई। उस समय पीड़ित की उम्र 14 वर्ष थी और वह लखनऊ के एक मदरसे में पढ़ती थी।
जून 2018 में गर्मी की छुट्टियों के दौरान अपराधी पिता उसे राष्ट्रीय राजधानी ले आया। पहले वे एक रिश्तेदार के घर पर रुके, उसके बाद उसने एक अलग कमरा किराए पर ले लिया, जहां अपराध को अंजाम दिया गया।
भाषा योगेश अविनाश
अविनाश
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