नई दिल्ली: मनदीप कौर, एक सिख महिला, जिसने कथित तौर पर आठ साल तक घरेलू हिंसा सहने के बाद पिछले महीने न्यूयॉर्क में आत्महत्या कर अपनी जान दे दी थी, का परिवार अब उसकी दो नाबालिग बेटियों – जिनकी उम्र चार और छह साल है – की कस्टडी (संरक्षण के डायित्व) के लिए जोर लगा रहे हैं. उनका दावा है कि दोनों बच्चियां फ़िलहाल अपने पिता के साथ न्यू जर्सी, यूएस में हैं.
मनदीप कौर के भाई संदीप सिंह, जो उत्तर प्रदेश में रहते हैं, ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने भारत सरकार से बच्चियों को भारत वापस भेजने और उन्हें हमारे संरक्षण में देने की अपील की है. हमारी प्राथमिकता वे बच्चे ही हैं क्योंकि इस समय वे सुरक्षित हाथों में नहीं हैं. वे अपने पिता के साथ न्यू जर्सी में हैं और वह उनका भी शोषण कर रहा होगा.’
हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों ने दिप्रिंट को बताया कि इस परिवार के लिए मनदीप के बच्चों की कस्टडी पाना आसान नहीं होगा, क्योंकि उनका पिता अमेरिका का स्थायी निवासी है, जबकि उनके मां का परिवार भारत में रहता है और दोनों देशों के कानूनों और अधिकार क्षेत्र से जुड़े नियमों का पालने करने की आवश्यकता होगी.
पिछले 3 अगस्त को, 30 वर्षीय मनदीप कौर ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें उसके हाथों पर चोट के निशान दिखाई दे रहे थे और उसने खुद के द्वारा कथित तौर पर सही गयी घरेलू हिंसा के बारे में भी बताया था. इसके तुरंत बाद उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. उसने दावा किया था कि दहेज न मिलने और लड़कियों को जन्म देने के लिए उसका पति रंजोधबीर सिंह संधू उसे बार-बार पीटता है.
बाद में यह वीडियो वायरल हो गया और इसने न्यूयॉर्क में रहने वाले पंजाबी समुदाय के सदस्यों द्वारा संधू के खिलाफ कानूनी कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शनों को प्रेरित किया.
मनदीप की मृत्यु के बाद उसके परिवार ने कहा था कि वे भारत सरकार और न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास के साथ उसके पार्थिव शरीर को वापस लाने के लिए काम कर रहे हैं और उन्होंने इसके लिए एक ऑनलाइन याचिका भी शुरू की थी, लेकिन, एक हफ्ते बाद, मनदीप का शव उसके पति को सौंप दिया गया, जिसने उसका दाह संस्कार भी कर दिया.
संदीप सिंह ने आरोप लगाया, ‘उसके शरीर का अंतिम संस्कार करके, रंजोधबीर ने सबूत नष्ट कर दिए. सोशल मीडिया पर कुछ साल पहले का एक वीडियो भी है जिसमें आप उसे मनदीप को बिस्तर पर धकेलते और उसे पीटते हुए देख सकते थे, इस सब के दौरान उनकी बेटियां बैकग्राउंड में रो रहीं थीं. लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने अभी तक उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है.‘
उन्होंने कहा कि मनदीप ने अपने परिवार द्वारा उसका हौसला बढ़ाये जाने के बाद पिछले साल अप्रैल में अपने पति के खिलाफ पुलिस में एक शिकायत भी दर्ज करवाई थी, लेकिन बाद में उसने इसे वापस ले लिया था.
न्यूयॉर्क स्थित सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि इस मामले में स्थानीय जांच चल रही है, लेकिन अभी तक मनदीप के पति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. सूत्रों ने यह भी बताया कि दोनों बेटियों में एक भारतीय पासपोर्ट धारक है, जबकि दूसरी अमेरिकी नागरिक है.
मनदीप कौर के परिवार ने कहा कि वे उत्तर प्रदेश में रहने वाले उसके पति के परिवार के खिलाफ कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं. इससे पहले 5 अगस्त को, उन्होंने मनदीप के ससुराल वालों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने, उत्पीड़न, गलत तरीके से बंद कर के रखने, जान बूझकर चोट पहुंचाने, दहेज लेने तथा और दहेज की मांग करने जैसे छह आरोपों के साथ एक प्राथमिकी दर्ज की थी.
दिप्रिंट ने संधू के पिता मुख्तायार सिंह संधू से उनके मोबाइल फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनका नंबर स्विच ऑफ (बंद) मिला.
मनदीप के परिवार के अनुसार, उसकी और संधू की शादी साल 2015 में भारत में हुई थी. उसकी मृत्यु के कुछ ही दिनों बाद, संधू ने स्थानीय मीडिया को बताया था कि जिस तरह से उसकी आत्महत्या को सोशल मीडिया पर प्रस्तुत किया जा रहा है वह ‘भ्रामक’ है.
इस बीच कौर की मौत के मामले ने विदेशों में भारतीय महिलाओं द्वारा झेले जाने वाले कथित घरेलू दुर्व्यवहार पर चर्चाओं की शुरुआत कर दी है.
शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने पिछले महीने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को एक पत्र लिखकर विदेशों में (भारतीय महिलाओं के) घरेलू शोषण से निपटने के लिए एक संस्थागत तंत्र खड़ा करने की मांग की थी.
विदेश मंत्रालय के अपने आंकड़ों के अनुसार, साल 2017 से 2019 के बीच उसे भारतीय नागरिकता वाली विवाहित महिलाओं से जुड़े वैवाहिक विवादों से संबंधित 3,955 शिकायतें प्राप्त हुई थीं.
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बच्चियों की कस्टडी से जुड़े क़ानूनी मसले
इस बीच, कानून के विशेषज्ञों ने दिप्रिंट को बताया कि इस दंपति के नाबालिग बच्चों की कस्टडी हासिल करने के लिए, कौर के परिवार को या तो संधू के खिलाफ अमेरिका में मामला दर्ज करवाना होगा या फिर उन्हें क्वींस, न्यूयॉर्क सिटी के डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी (डीए) की और से किसी कार्रवाई की प्रतीक्षा करनी होगी.
दिल्ली के विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के सीनियर रेजिडेंट फेलो आलोक प्रसन्ना कुमार ने कहा कि भारत में यह एक ‘सब्स्टेनटिव लॉ’ – कानूनों का सेट जो इस बात को नियंत्रित करता है कि किसी समाज के सदस्यों को कैसे व्यवहार करना है – के लिए एक मामला होता, लेकिन अभी मुद्दा यह है कि इस मामले में शामिल पक्ष भारत से बाहर हैं.’
कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘यदि ये पक्ष भारत में होते, तो उन भारतीय कानूनों के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है जो विवाह और संरक्षकता के मुद्द्दों को नियंत्रित करते हैं. लेकिन चूंकि वे इस अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं और उनका पिता (अमेरिका का) स्थायी निवासी है, इसलिए पीड़ित महिला के परिवार के किसी व्यक्ति को यह तर्क देते हुए अमेरिका में एक केस दर्ज कराने की जरूरत है कि वे एक बेहतर अभिभावक हैं.’
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के लिए बच्चों के प्रत्यर्पण हेतु अमेरिका पर दबाव बनाना संभव नहीं होगा, क्योंकि प्रत्यर्पण आमतौर पर भगोड़ों के मामले में लागू होता है. इसके अलावा प्रत्यर्पण के लिए पति के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज किया जाना बाकी है.
सुप्रीम कोर्ट की वकील पल्लवी प्रताप जैसे अन्य विशेषज्ञों ने कहा कि परिवार के लिए ‘सबसे अच्छी बात’ यह होगी कि अगर डीए इस मामले में मुकदमा चलाना शुरू कर दे.
प्रताप ने दिप्रिंट को बताया, ‘अगर (पीड़ित) महिला का परिवार किसी अन्य अधिकार क्षेत्र में अपने अधिकार प्राप्त करने की लड़ाई लड़ना चाहता है, तो उन्हें वहां जाकर मामला दर्ज करना होगा. लेकिन फिर भी, यह कठिन काम होगा क्योंकि पिता ही स्वभाविक अभिभावक होता है. परिवार के लिए सबसे अच्छी बात यही होगी कि जिला अटॉर्नी (मनदीप) के पति के खिलाफ मुकदमा शुरू करे. फिर, संरक्षकता के बारे में सवाल अधिक व्यावहारिक हो जाता है.‘
हालांकि, उनका यह भी कहना था कि अगर डीए ने कार्रवाई की, तब भी बच्चों को सीधे कौर के परिवार को सौंपे जाने के बजाय उनके अमेरिका में स्थित बाल संरक्षण सेवाओं (चाइल्ड प्रोटेक्शन सर्विसेज) के पास जाने की संभावना अधिक है.
इधर, महिला अधिकार कार्यकर्ता योगिता भयाना, जो गैर-लाभकारी संस्था पीपल अगेंस्ट रेप्स इन इंडिया (पारी) की प्रमुख है, का कहना है कि इस सब के बीच,कौर की कहानी उन कई आंकड़ों के बीच एक और आंकड़ा बन कर रह जाएगी जिनके तहत एनआरआई पति या पत्नी ‘उचित कानूनी सहायता’ के आभाव में कथित दुर्व्यवहार या शोषण का सामना करते हैं.
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