अनंतनाग, तीन मई (भाषा) नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के लोगों से प्रगति और समृद्धि के लिए पहलगाम जैसे हमलों के अपराधियों के खिलाफ खड़े होने का शनिवार को आग्रह किया और कहा कि 22 अप्रैल के नरसंहार के पीछे जो लोग हैं, उन्हें ‘‘जहन्नुम में सड़ना होगा।’’
पूर्ववर्ती राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने दक्षिण कश्मीर जिले के हपतनार में आदिल हुसैन शाह के घर पहुंचे, जो एक टट्टू चालक था और आतंकवादी हमले में जान गंवाने वाले 26 व्यक्तियों में से एक था।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘वह (शाह) शहीद हैं। उन्होंने अपनी जान कुर्बान कर दी, वह दरिंदों की बंदूकों से नहीं डरे। यह ‘इंसानियत’ है, यह कश्मीरियत है। जो डर गया वह मर गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उनसे (आतंकवादियों से) लड़ना है और हिम्मत के साथ उनसे लड़ना है। जब तक हम उनसे नहीं लड़ेंगे, हम कभी खुश और समृद्ध नहीं हो सकते और हम कभी आगे नहीं बढ़ सकते। इसलिए, हमें हिम्मत रखनी चाहिए।’’
हालांकि, अब्दुल्ला ने हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री ऐसा कोई फैसला लेंगे।’
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो-जरदारी की धमकी भरी टिप्पणी पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘वह (भुट्टो) बयान जारी करते रहेंगे… अगर हम उनके बयानों की परवाह करेंगे, तो हम आगे नहीं बढ़ सकते।’’
पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित करने के बाद, भुट्टो-जरदारी को ‘द न्यूज’ द्वारा यह कहते हुए उद्धृत किया गया था, ‘‘सिंधु हमारी है और हमारी ही रहेगी – या तो इसमें हमारा पानी बहेगा या उनका खून।’’ अब्दुल्ला ने संधि की समीक्षा करने का आह्वान भी किया।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हम लंबे समय से कह रहे हैं कि हमें सिंधु जल संधि की समीक्षा करने की जरूरत है। इसके कारण हमें नुकसान हो रहा है। नदियां हमारी हैं, लेकिन हम पीड़ित हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि पानी रोका जाए, लेकिन इस पर हमारा भी अधिकार है।’’
अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू में पानी की कमी है और संधि के कारण चिनाब नदी का पानी क्षेत्र के निवासियों के लिए नहीं मोड़ा जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने चिनाब नदी का पानी उनकी ओर मोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन विश्व बैंक ने यह कहते हुए हमारी मदद नहीं की कि यह सिंधु जल संधि के अंतर्गत आता है। आज हमारे पास वहां (चिनाब नदी) से जम्मू तक पानी पहुंचाने का अवसर है। नदियों पर हमारा भी अधिकार है, सिर्फ उनका (पाकिस्तान का) नहीं।’’
विश्व बैंक की मध्यस्थता में सिंधु जल संधि ने 1960 से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के वितरण और उपयोग को नियंत्रित किया।
अब्दुल्ला ने कहा कि संधि के कारण पाकिस्तान की अनुमति के बिना भारत अपनी नदियों पर कोई परियोजना नहीं बना सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘क्या आप बिजली से वंचित नहीं हैं? हमारे पास नदियां हैं जहां से हम हजारों मेगावाट बिजली पैदा कर सकते हैं और हमें कभी भी बिजली से वंचित नहीं हो सकते। लेकिन हम कोई परियोजना नहीं बना सकते क्योंकि वे (पाकिस्तान) हमें इसकी अनुमति नहीं देते। इसलिए, हमें इस पर फिर से विचार करना होगा और ईश्वर की इच्छा से हम ऐसा करेंगे।’’
हमले के बाद दोनों परमाणु शक्तियों के बीच युद्ध जैसी स्थिति पैदा होने के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मेरे पास ऐसे सवालों का कोई जवाब नहीं है।’’ नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारुक अब्दुल्ला ने पहलगाम नरसंहार पर बोलते हुए लोगों से ऐसे हमलों से नहीं डरने का आग्रह किया और कहा कि इसके पीछे जो लोग हैं, वे जहन्नुम में सड़ेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘जिन्होंने ऐसा किया और इसके पीछे जो लोग हैं, उन्होंने मानवता की हत्या की है। उनके लिए नरक के दरवाजे खुले हैं। वे स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर सकते।’’
अब्दुल्ला बाद में पहलगाम गए और कई पर्यटकों से बातचीत की। उन्होंने पर्यटकों के साथ सेल्फी भी ली।
भाषा अमित माधव
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