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Monday, 4 November, 2024
होमदेशवेयरहाउस में फसलों को स्टोर करने और उसे बेकार होने से बचाने के लिए जल्द ही किसानों को मिलेगी एप की सुविधा

वेयरहाउस में फसलों को स्टोर करने और उसे बेकार होने से बचाने के लिए जल्द ही किसानों को मिलेगी एप की सुविधा

वेयरहाउसेज़ और कोल्ड स्टोरेज यूनिट्स की जियो-टैगिंग पर काम नबार्ड कर रहा है. मवेशी पालकों और चरवाहों को आसानी से कर्ज़ मिल जाए, इसके लिए एक ऋण गारंटी फंड भी बनाया जा रहा है.

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नई दिल्ली: किसान जल्द ही एक एप इस्तेमाल कर पाएंगे, जिसकी मदद से वो नज़दीकी वेयरहाउस में अपने खराब होने वाले और नहीं खराब होने वाले दोनों तरह के कृषि उत्पाद रख सकते हैं.

सरकारी स्वामित्व का नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नबार्ड), जो ऐसे तमाम वेयरहाउसेज़ और कोल्ड स्टोरेज यूनिट्स की जियो-टैगिंग की प्रक्रिया में लगा हुआ है, इस डेटा को एप पर अपलोड करने जा रहा है ताकि किसान उस तक आसानी से पहुंच सकें.

एक इंटरव्यू में नबार्ड के अध्यक्ष जीआर चिंताला ने दिप्रिंट से कहा, ‘विचार ये है कि किसान को दस किलोमीटर के दायरे में, अपने उत्पाद को स्टोर करने के लिए, वेयरहाउस या कोल्ड स्टोरेज यूनिट मिल जानी चाहिए. वहां वो अपना उत्पाद स्टोर करके, वेयरहाउस की रसीद पर कर्ज़ ले सकते हैं. इससे किसानों को मजबूरन बिक्री नहीं करनी पड़ेगी और उनके उत्पाद के सही दाम मिल पाएंगे’.

नबार्ड को यूनियन बजट में वेयरहाउसिंग सुविधाओं और कोल्ड चेन स्टोरेजेज़ को जियो-टैग करने का काम दिया गया था. इस साल के अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, ‘भारत में कृषि-वेयरहाउसिंग, कोल्ड स्टोरेज, और रीफर वैन सुविधाओं वगैरह की कुल अनुमानित क्षमता 162 मीट्रिक टन है. नबार्ड उन्हें मैप करके जियो-टैग करने का काम करेगा’.

चिंताला ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक देश में 5 लाख स्टोरेज सुविधाएं हैं जिनमें से एक से डेढ़ लाख के करीब, गोदाम विकास और विनियामक प्राधिकरण (वाडरा) के नियमों के अनुसार हैं.

नबार्ड ने तमिलनाडु और हरियाणा के तीन तीन ज़िलों में, वेयरहाउसेज़ को जियो-टैग करने का एक पायलट प्रोग्राम शुरू किया है. इसमें वेयरहाउसेज़ की लोकेशन और उसकी तस्वीरों का डेटा लिया जा रहा है.

चिंताला ने कहा कि नबार्ड की ये भी योजना है कि साल के अंत तक सभी मौजूदा वेयरहाउसेज़ की जियो-टैगिंग पूरी करके डेटा को एप पर अपलोड कर दिया जाए.


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भारत की स्टोरेज सुविधाओं का विस्तार

चिंताला ने बताया कि योजना ये भी है कि वाडरा-सम्मत और अधिक वेयरहाउसेज़ स्थापित किए जाएं जिससे जल्द खराब होने वाले और गैर-विनाशशील कृषि उत्पादों को स्टोर करने में सहायता मिलेगी.

नवम्बर 2019 की एक केयर रेटिंग्स रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय खाद्य निगम, केंद्रीय भंडारण निगम और प्रांतीय एजेंसियों जैसी आधिकारिक सरकारी सुविधाओं में मई 2019 तक कुल उपलब्ध स्टोरेज क्षमता, 862.45 लाख मीट्रिक टन थी. लेकिन ये मुख्यत: ढके हुए गोदामों की शक्ल में थी. रिपोर्ट के मुताबिक अधिकांश कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं निजी क्षेत्र में थीं. एक अनुमान के मुताबिक कुल कोल्ड स्टोरेज क्षमता करीब 3.2 करोड़ टन थी जबकि कुल ज़रूरत का अनुमान उपलब्धता से लगभग दोगुना ज़्यादा था.

वेयरहाउसेज़ की सूची बनाने और उनकी संख्या बढ़ाने का फैसला ऐसे समय आया है जब भारत में खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है लेकिन उसे स्टोर की करने की पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं जिससे उसे सड़ने से बचाया जा सके. अनुमान के मुताबिक 2019-2020 में भारत में 29.56 करोड़ टन का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन हुआ है.


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चरवाहों और बकरी पालकों के लिए आसान कर्ज़

चिंताला ने कहा कि नबार्ड जल्द ही छोटे चरवाहों और मवेशी पालकों को दिए गए कर्ज की गारंटी भी देने जा रहा है. एक क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट इन छोटे कर्ज लेने वालों को सस्ती दरों पर कर्ज़ दिलाने में सहायता करेगा और सुनिश्चित करेगा कि बैंक उन्हें कर्ज़ देने में आनाकानी न करें.

ये फंड 15,000 करोड़ रुपए की मौजूदा पशुपालन इंफ्रास्ट्रक्चर निधि से लिए जाएंगे जिसे इस साल जून में कैबिनेट की मंज़ूरी मिल गई है. ये निधि डेयरी और मीट प्रोसेसिंग उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई है. 750 करोड़ रुपए का ऋण गारंटी फंड, इन छोटे कर्ज लेने वालों को दिए गए 25 प्रतिशत लोन की गारंटी देगा. बैंकों के जोखिम को कम करने के लिए लोन के एक हिस्से के लिए कोलेटरल भी दिया जाएगा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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