scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशकृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तेज करेंगे किसान, 18 फरवरी को 4 घंटे रेल को करेंगे जाम

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तेज करेंगे किसान, 18 फरवरी को 4 घंटे रेल को करेंगे जाम

किसानों ने 2019 में पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद हुए जवानों की याद में 14 फरवरी को एक मोमबत्ती मार्च निकालने का भी फैसला किया है.

Text Size:

नई दिल्ली: तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करते हुए प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों ने 18 फरवरी को चार घंटे के राष्ट्रव्यापी ‘रेल रोको’ अभियान की बुधवार को घोषणा की.

किसानों ने 2019 में पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद हुए जवानों की याद में 14 फरवरी को एक मोमबत्ती मार्च निकालने का भी फैसला किया है.

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बयान में यह भी घोषणा की कि अपनी एक सप्ताह लंबी विरोध रणनीति के तहत राजस्थान में 12 फरवरी से टोल संग्रह नहीं करने दिया जायेगा.

बयान में कहा गया है, ‘पूरे देश में 18 फरवरी को दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक ‘रेल रोको’ अभियान चलाया जायेगा.’

तीन कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर इस महीने के शुरू में उन्होंने तीन घंटे के लिए सड़कों को अवरुद्ध किया था.

गौरतलब है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले कई महीनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

एसकेएम के नेता दर्शन पाल ने कहा कि 14 फरवरी को शहीद जवानों की याद में पूरे देश में मोमबत्ती मार्च, ‘मशाल जुलूस’ और अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जायेगे.

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी, 2019 को एक आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे.

उन्होंने कहा कि किसान सर छोटू राम की जयंती पर एकजुटता दिखाते हुए कार्यक्रम आयोजित करेंगे.

इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि आंदोलनकारी किसान केंद्र में कोई सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि किसान नेता आंदोलन के प्रसार के लिए देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा करेंगे.

टिकैत ने सिंघू बॉर्डर पर किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि केंद्र कृषकों के मुद्दों का समाधान नहीं कर देता.

उन्होंने कहा, ‘सत्ता परिवर्तन (केंद्र में) का हमारा कोई उद्देश्य नहीं है. सरकार को अपना काम करना चाहिए. हम कृषि कानूनों को निरस्त कराना और एमएसपी पर कानून चाहते हैं.’

टिकैत ने यह भी कहा कि संयुक्त किसान मोर्चे की एकता अक्षुण्ण है और सरकार को किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए.

share & View comments