नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा कि किसान आंदोलन के दौरान यूनियन के साथ छह दौर की बातचीत हुई. सरकार का लगातार आग्रह था कि कानून के वो कौन से प्रावधान हैं जिन पर किसान को आपत्ति है, कई दौर की बातचीत में ये संभव नहीं हो सका.
तोमर ने कहा, ‘भारत सरकार ने कानून बहुत सोच-समझकर बनाए हैं, किसानों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए बनाए हैं. सरकार बात करके उसमें (कानून) सुधार करने के लिए तैयार है.’
उन्होंने कहा कि प्रस्ताव उनके (किसानों) पास है, उन लोगों की टिप्पणी हमारे पास नहीं आई. मीडिया के माध्यम से पता चलता है कि उन्होंने प्रस्ताव को खारिज कर दिया. अभी उनकी तरफ से बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया है, जैसे ही प्रस्ताव आएगा हम बातचीत के लिए तैयार हैं.
तोमर ने कहा, ‘मैं किसान यूनियन के लोगों को कहना चाहता हूं कि उन्हें गतिरोध तोड़ना चाहिए. सरकार ने आगे बढ़कर प्रस्ताव दिया है, सरकार ने उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रस्ताव भेजा है.’
कृषि मंत्री ने ट्वीट कर एमएसपी के लिए किसानों को आश्वासन दिया. उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी और मैंने बार-बार ये कहा है कि एमएसपी चलती रहेगी, इस पर कोई खतरा नहीं है. इस वर्ष भी एमएसपी पर फसलों की खरीद बहुत अच्छे से हुई है. एमएसपी को हमनें ही डेढ़ गुना किया है. अगर एमएसपी को लेकर उनके मन में कोई शंका है तो हम लिखित आश्वासन देने को भी तैयार हैं.’
प्रधानमंत्री जी और मैंने बार-बार ये कहा है कि MSP चलती रहेगी, इस पर कोई खतरा नहीं है।
इस वर्ष भी MSP पर फसलों की खरीद बहुत अच्छे से हुई है।
MSP को हमनें ही डेढ़ गुना किया है।
अगर MSP को लेकर उनके मन में कोई शंका है तो हम लिखित आश्वासन देने को भी तैयार हैं।#MSPhaiAurRahega pic.twitter.com/kLR66arhoR
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 11, 2020
कृषि मंत्री ने कहा कि किसी भी कानून में प्रावधान पर आपत्ति होती है, प्रावधान पर ही चर्चा होती है. प्रस्ताव में हमने उनकी आपत्तियों का निराकरण करने की कोशिश की है. उन्हें आंदोलन समाप्त करके वार्ता का रास्ता अपनाना चाहिए.
कृषि मंत्री ने कहा कि आंदोलन से आम आदमी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा, ‘दिल्ली के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. इसलिए किसानों को आम आदमी को ध्यान में रखते हुए आंदोलन खत्म करना चाहिए और बातचीत के जरिए हल निकालना चाहिए.’
बता दें कि केंद्र सरकार ने कुछ संशोधनों के साथ किसानों को प्रस्ताव भेजा था जिसके किसान संगठनों के नेताओं ने खारिज कर दिया. उनकी मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करे. किसान संगठनों ने 12 तारीख के बाद से आंदोलन तेज करने के लिए भी कह दिया है.
किसानों और सरकार के बीच अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल सका है.
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