नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बृहस्पतिवार को एक साल 14 दिन बाद आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा कर दी है. किसानों ने यह आंदोलन 15 जनवरी तक के लिए टाला है और मांगें न माने जाने पर फिर से आंदोलन के लिए चेताया है. किसान नेताओं का कहना है कि सरकार हमारे मुद्दों को मानने का वादा किया है.
किसान नेताओं ने कहा कि वे 15 जनवरी को यह देखने के लिए फिर बैठक करेंगे कि क्या सरकार ने उनकी मांगों को पूरा किया है. आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को केंद्र सरकार द्वारा हस्ताक्षरित पत्र मिलने के बाद यह घोषणा हुई है. पत्र में किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर एक समिति बनाने सहित उनकी लंबित मांगों पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की गई.
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि, ‘किसानों ने आंदोलन को स्थगित किया है. संयुक्त किसान मोर्चा 15 जनवरी को मीटिंग करेगा. किसान 11 दिसंबर को अपने घर जाते हुए विजय मार्च निकालेंगे’
वहीं किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ‘अगर 15 जनवरी तक किसानों की मांगें पूरी नहीं की गई तो हम प्रदर्शन0 फिर से शुरू कर सकते हैं.’00
गौरतलब है कि संसद में 29 नवंबर को विधेयक पारित कर तीनों विवादास्पद कृषि कानून वापस ले लिया गया, जो प्रदर्शनकारी किसानों की मुख्य मांग थी, लेकिन गतिरोध बना रहा क्योंकि प्रदर्शनकारी एमएसपी पर कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों को पूरा करने पर अड़े रहे.
किसान नेता शिव कुमार काक्का ने कहा, ‘यह किसानों के लिए ऐतिहासिक जीत है, हम उन लोगों से माफी मांगते हैं जिन्हें विरोध-प्रदर्शनों से समस्या उठानी पड़ी.’
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि अगर किसानों को मांगों को 15 जनवरी तक पूरा नहीं किया गया, तो हम प्रदर्शन का फिर से आह्वान करेंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि किसान आंदोलन स्थगित कर रहे हैं. 13 दिसंबर को स्वर्ण मंदिर में विशेष अरदास होगी.
गाजीपुर बॉर्डर आंदोलन कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान 11 दिसंबर से दिल्ली सीमा पर प्रदर्शन स्थल को खाली करना शुरू करेंगे, इसमें कुछ समय लग सकता है.
राहुल गांधी और बीजेपी नेता ने दी प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया है, ‘अपना देश महान है, यहां सत्याग्रही किसान है! सत्य की इस जीत में हम शहीद अन्नदाताओं को भी याद करते हैं.’
वहीं केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता संजीव बालियान ने कहा, ‘हम खुश है कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उठाए कदमों से संतुष्ट किसान घर लौट रहे हैं.’
सरकार के प्रस्ताव पर किसानों ने जताई थी असहमति
वहीं इससे एक दिन पहले किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव पर असहमति जताते हुए आज सिंघू बॉर्डर पर बैठक कर प्रस्ताव पर विचार करने की बात कही थी जिसके बाद यह फैसला लिया गया.
संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार को कहा था कि उनकी लंबित मांगों को लेकर केन्द्र के संशोधित मसौदा प्रस्ताव पर आम सहमति बन गई है और आंदोलन के लिए भविष्य की रणनीति तय करने को लेकर बृहस्पतिवार को बैठक होगी.
हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं ने सरकार से ‘लेटरहेड’ पर औपचारिक संवाद की मांग की थी.
एसकेएम के सूत्रों ने कहा था कि नए मसौदा प्रस्ताव पर सरकार की तरफ से औपचारिक संदेश प्राप्त होते ही किसानों का आंदोलन तुरंत समाप्त कर दिया जाएगा.
किसान नेता और एसकेएम कोर समिति के सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा था कि लंबित मांगों के संबंध में केन्द्र सरकार की ओर से पहले प्राप्त हुआ प्रस्ताव का मसौदा स्वीकार करने योग्य नहीं था, जिसके बाद केन्द्र ने बुधवार को नये सिरे से प्रस्ताव का मसौदा भेजा है.
एसकेएम के सूत्रों के अनुसार भेजे गए नए प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बनी समिति में सरकार एसकेएम के सदस्यों को शामिल करेगी और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा की सरकारें किसानों के खिलाफ दर्ज मामले तुरंत प्रभाव से वापस लेने पर सहमत हो गई हैं. दिल्ली में किसानों के खिलाफ दर्ज मामले भी वापस लिए जाएंगे.
एसकेएम कोर समिति की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में चढूनी ने कहा था, ‘अपनी मांगों को लेकर हम सरकार से सहमत हैं. कल की बैठक के बाद हम आंदोलन को स्थगित करने पर फैसला लेंगे. आंदोलन वापस लेने के संबंध में अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. एसकेएम की कल (बृहस्पतिवार) दोपहर 12 बजे और एक बैठक होगी.’
गौरतलब है कि एमएसपी पर कानूनी गारंटी, आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों और इस दौरान जिन किसानों की मौत हुई उनके परिजन को मुआवजे की मांग सहित अपनी लंबित मांगों पर केंद्र के साथ वार्ता के लिए एसकेएम ने पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था.
एसकेएम की पांच सदस्यीय समिति में शामिल युधवीर सिंह ने कहा था, ‘अब गेंद सरकार के पाले में है और कल (बृहस्पतिवार) को अंतिम निर्णय किया जाएगा.’
एसकेएम ने मंगलवार को सरकार के प्रस्ताव वाले कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा था.
एसकेएम के सूत्रों ने कहा था कि केंद्र द्वारा भेजे गए नए प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि राज्यों से एमएसपी पर फसलों की खरीद में कमी नहीं की जाएगी.
एसकेएम के सूत्रों के अनुसार यह भी स्पष्ट किया गया था कि बिजली संशोधन विधेयक तब तक संसद में पेश नहीं किया जाएगा, जब तक कि किसानों को प्रभावित करने वाले प्रावधान पर सरकार एसकेएम के साथ चर्चा नहीं करती है. केंद्र ने किसानों को सूचित किया है कि पराली जलाने को पहले ही अपराधमुक्त कर दिया गया है.
लखीमपुर खीरी घटना को लेकर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को पद से हटाने की मांग के बारे में पूछे जाने पर युधवीर सिंह ने कहा था, ‘केंद्र से पत्र मिलने तक हम कुछ नहीं कह सकते.’
एसकेएम की बैठक से पहले किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा था कि केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में एक वर्ष से चल रहा किसान आंदोलन ‘निर्णायक मोड़’ पर पहुंच गया है. यादव ने संवाददाताओं से कहा था, ‘उम्मीद की किरण जगी है.’
तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान पिछले वर्ष 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
(भाषा और एएनआई कए इनपुट्स के साथ)