नई दिल्ली: चुनाव आयोग द्वारा पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के लिए चुनाव की तारीखों की घोषणा किये जाने के बीच किसान नेताओं ने शनिवार को कहा कि यह भाजपा के लिए राह कठिन है क्योंकि केंद्र ने अभी तक फसलों के वास्ते न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और अजय मिश्रा को केंद्रीय कैबिनेट से हटाने की उनकी मांगों को पूरा नहीं किया है.
किसान नेताओं ने कहा कि लंबित मांगों पर प्रगति की समीक्षा करने और भविष्य के कदम के बारे में निर्णय लेने के लिए 44 किसान यूनियनों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) 15 जनवरी को बैठक करेगी.
किसान नेता और एसकेएम सदस्य अभिमन्यु सिंह कोहर ने कहा कि किसानों के आंदोलन के दौरान लोगों ने भाजपा के लिए अपना प्यार खो दिया और इसलिए पार्टी के लिए कृषि प्रधान पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करना मुश्किल होगा.
उन्होंने कहा कि चूंकि चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है, इसलिए कोई नया काम नहीं किया जा सकता है और किसानों की कुछ प्रमुख मांगें अभी भी लंबित हैं. कोहर ने कहा, ‘हमें एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को कैबिनेट से हटाने की हमारी मुख्य मांग अभी भी पूरी नहीं हुई है. लोग भाजपा से नाखुश हैं और ये मुद्दे पंजाब और उत्तर प्रदेश में निर्णायक भूमिका निभाएंगे. एसकेएम इन मुद्दों पर चर्चा के लिए 15 जनवरी को बैठक करेगा और भविष्य की कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करेगा.’
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार पहले ही आंदोलन के दौरान दर्ज किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने की घोषणा कर चुकी है. उन्होंने कहा कि हरियाणा में भी, राज्य सरकार ने 23 दिसंबर, 2021 को इस संबंध में एक आदेश जारी किया.
चुनाव आयोग ने शनिवार को घोषणा की कि पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच सात चरणों में चुनाव होंगे. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतदान सात चरणों में होगा जिसकी शुरुआत 10 फरवरी को होगी.
एसकेएम में शामिल भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने भी महसूस किया कि किसानों के आंदोलन ने प्रभाव डाला है और उनके मुद्दे चुनाव के दौरान निर्णायक रहेंगे, खासकर पंजाब और उत्तर प्रदेश में.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक प्रभावशाली किसान यूनियन, बीकेयू ने कहा कि एमएसपी और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के मुद्दे चुनाव में भाजपा की संभावनाओं को प्रभावित करेंगे. मिश्रा के बेटे लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी हैं.
बीकेयू के प्रवक्ता सौरभ उपाध्याय ने आरोप लगाया कि केंद्र ने उस तरह से काम नहीं किया जैसा उसे करना चाहिए था, जैसा कि लखीमपुर खीरी मामले में हुआ है. उपाध्याय ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘केंद्र को केंद्रीय मंत्री को हटाना चाहिए था. पूर्वाग्रह स्पष्ट है. एमएसपी एक और बड़ा मुद्दा है जिसका राज्यों में प्रभाव है. इसका निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनावों के दौरान प्रभाव पड़ेगा.’
उन्होंने कहा कि एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने से सरकार को फायदा होगा, यदि उसने किसानों की मांग मान ली. उपाध्याय ने कहा, ‘किसान, जिन्हें भुला दिया गया, वे वर्तमान में केंद्र के लिए सबसे बड़ा मुद्दा हैं. यह केवल दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण हुआ है.’
मुख्य रूप से पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के हजारों किसानों ने 26 नवंबर, 2020 को दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध शुरू किया था. यह प्रदर्शन एक साल से अधिक समय तक जारी रहा और किसान 11 दिसंबर, 2021 को कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद घर वापस चले गए थे. केंद्र ने उन्हें उनकी अन्य मांगों पर भी विचार करने का आश्वासन दिया था, जिसमें एमएसपी पर एक समिति का गठन और किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेना आदि शामिल है.