(अनिल भट्ट)
अब्दुलियान (आरएस पुरा), 22 मई (भाषा) ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान द्वारा ड्रोन और तोपखाने के हमलों के बाद बासमती की बुवाई के मौसम के लिए श्रमिकों की भारी कमी का सामना कर रहे किसान कृषि कार्य फिर से शुरू करने के वास्ते उनकी तत्काल वापसी की अपील कर रहे हैं।
किसान 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति के बाद सामान्य स्थिति की वापसी पर प्रकाश डाल रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के आरएस पुरा सीमावर्ती क्षेत्र में भारत के बासमती से समृद्ध कृषि क्षेत्र वीरान हो गए हैं, जिससे स्थानीय लोगों को घरेलू सहायकों के साथ धान की कटाई का काम शुरू करना पड़ रहा है।
आठ मई से पाकिस्तानी गोलीबारी और गोलाबारी शुरू होने के बाद विभिन्न राज्यों से लगभग 1,000 से 1,500 मजदूर अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे इलाकों से पलायन कर गए हैं।
अब्दुलियान गांव के किसान गरमीत सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम 10 दिन बाद घर लौटे हैं। गोलीबारी और गोलाबारी के कारण युद्ध जैसे हालात थे। हमने घरेलू सहायकों के साथ खेती शुरू कर दी है। श्रमिकों की कमी है।’’
उन्होंने कहा कि चूंकि ‘जीरो लाइन’ से 400 मीटर दूर स्थित इस गांव में बासमती धान की खेती का मौसम शुरू हो गया है, इसलिए वे बुवाई में देरी नहीं करना चाहते।
अरनिया और आरएस पुरा सेक्टरों में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे विभिन्न गांवों में सैकड़ों परिवार कृषि कार्य में लगे हुए देखे गए।
सिंह की तरह, अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट गुलाबगढ़ बस्ती के स्किंदर कुमार ने बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड और राजस्थान के मजदूरों से आह्वान किया है कि वे वापस लौटकर कृषि कार्य में शामिल हो जाएं, ताकि धान के मौसम में देरी न हो।
कुमार ने कहा, ‘‘गोलीबारी बंद हो गई है। संघर्ष रोकने की घोषणा कर दी गई है। शांति लौट आई है। हम सभी श्रमिकों से आग्रह करते हैं कि वे वापस लौट आएं और कृषि कार्य में हमारा साथ दें।’’
सेना के अभियंताओं और बम निरोधक दस्तों ने एक अभियान के तहत पिछले सप्ताह खेतों और गांवों से 100 से अधिक बिना फटे गोलों का पता लगाया और इन्हें निष्क्रिय किया।
अब्दुलियान गांव के अवतार सिंह इस बात से खुश हैं कि खेती-किसानी फिर से शुरू हो गई है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि श्रमिक वापस आ जाएंगे क्योंकि शांति बहाल होने के बाद ज्यादातर ग्रामीण वापस आ गए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘श्रमिकों की कमी और उच्च तापमान के कारण स्थानीय लोग सुबह और शाम को कृषि कार्य कर रहे हैं।’’
आरएस पुरा और अरनिया सेक्टर में किसानों ने 17,742 हेक्टेयर में बासमती की कई किस्में बोईं।
भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ढांचे को निशाना बनाने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू करने के बाद 8 से 10 मई के बीच जम्मू क्षेत्र में पाकिस्तान द्वारा की गई गोलाबारी, मिसाइल और ड्रोन हमलों में 27 लोग मारे गये थे और 70 से अधिक लोग घायल हो गये थे।
बड़ी संख्या में लोग नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों से पलायन कर सरकारी राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं।
चार दिन तक सीमा पार से ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव समाप्त करने के लिए 10 मई को सहमति बनी थी।
भाषा
देवेंद्र पवनेश
पवनेश
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