मुंबई, दो जून (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने सोमवार को कहा कि मई में भारी बारिश के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है लेकिन महाराष्ट्र सरकार कोई राहत नहीं दे रही है।
थोराट ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पंचनामा (मौके पर क्षति/नुकसान का आकलन) का इंतजार करने के बजाय राज्य सरकार को प्रभावित किसानों को प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘किसान बहुत बुरे हालात में हैं। अगर वे परेशानी में हैं तो आम नागरिकों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। किसानों में असंतोष है और सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। एक किसान सब्जी की खेती पर प्रति एकड़ 50,000 रुपये और बागवानी पर प्रति एकड़ करीब 60,000 रुपये खर्च करता है। बारिश के कारण चारा भी नष्ट हो गया है।’’
उन्होंने कहा कि कृषि कोई लाभदायक व्यवसाय नहीं है और यहां तक कि उनके लिए एक रुपये की फसल बीमा योजना भी बंद कर दी गई है तथा राज्य सरकार ऋण माफी की अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हट गई है।
थोराट ने कहा, ‘‘हालांकि, प्रशासन जमीन पर कहीं नजर नहीं आ रहा है। स्थिति का जायजा लेने के लिए प्रभारी मंत्रियों को जिलों का दौरा करना चाहिए, लेकिन कई जिलों में प्रभारी मंत्री नहीं हैं। अगर मुख्यमंत्री कहते हैं कि प्रभारी मंत्री की अनुपस्थिति में काम नहीं रुकता है, तो फिर जिलों के लिए यह पद क्यों है।’’
रविवार को नासिक में एक बैठक की अध्यक्षता करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा था कि ‘प्रभारी मंत्री आते-जाते रहते हैं।’’
फडणवीस से पूछा गया था कि अगले वर्ष सिंहस्थ कुंभ मेले की मेजबानी करने वाले जिले में कोई संरक्षक मंत्री नहीं है।
थोराट ने कहा कि राज्य सरकार को कृषि और किसानों की उपेक्षा की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
जब थोराट से उनके रिश्तेदार एवं निर्दलीय एमएलसी सत्यजीत तांबे की हाल की टिप्पणियों के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्होंने एक स्थानीय डिजिटल चैनल पर राज्य के नेताओं को एक घंटे के भीतर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मिलने का समय लेने की चुनौती दी थी, थोराट ने कहा कि टिप्पणियां ‘बचकानी’ थीं।
थोराट ने कहा, ‘‘अगर किसी ने जीवन में मदद की है तो उसका आभार मानना चाहिए। किसी को भी उसका उपकार कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्हें राजनीति में बहुत कुछ सीखने की जरूरत है और आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। अगर आपके पास कोई समस्या है तो उसे दिल में रखना सीखना चाहिए।’’
भाषा अमित माधव
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