नई दिल्ली: किसान नेताओं और सरकार के बीच विज्ञान भवन में शुक्रवार को 8वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही. बातचीत अगली तारीख अब 15 जनवरी को तय हुई है.
आज बातचीत के लिए सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल विज्ञान भवन पहुंचे थे.
किसान नेता, सरकार के साथ मुलाकात के बाद बोले कि 15 जनवरी को सरकार द्वारा फिर से बैठक बुलाई गई है. सरकार क़ानूनों में संशोधन की बात कर रही है, परन्तु हम क़ानून वापस लेने के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे.
महासचिव, अखिल भारतीय किसान सभा ने सरकार के साथ मुलाकात के बाद कहा कि सरकार ने हमें कहा कि कोर्ट में चलो. हम ये नहीं कह रहे कि ये नए कृषि क़ानून गैर-क़ानूनी है. हम इसके खिलाफ हैं. इन्हें सरकार वापिस ले. हम कोर्ट में नहीं जाएंगे. हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं से मुलाकात के बाद कहा कि आज किसान यूनियन के साथ तीनों कृषि क़ानूनों पर चर्चा होती रही परन्तु कोई समाधान नहीं निकला. सरकार की तरफ से कहा गया कि क़ानूनों को वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, परन्तु कोई विकल्प नहीं मिला.
तोमर ने कहा कि सरकार ने बार-बार कहा है कि किसान यूनियन अगर क़ानून वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प देंगी तो हम बात करने को तैयार हैं. आंदोलन कर रहे लोगों का मानना है कि इन क़ानूनों को वापिस लिया जाए. परन्तु देश में बहुत से लोग इन क़ानूनों के पक्ष में हैं.
उन्होंने कहा कि किसान यूनियन और सरकार दोनों ने 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे बैठक का निर्णय लिया है. मुझे आशा है कि 15 जनवरी को कोई समाधान निकलेगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि क़ानूनों का समर्थन कर रहे किसान संगठनों को बैठक में शामिल करने पर कहा कि अभी इस प्रकार का कोई विचार नहीं है, अभी हम आंदोलन कर रहे पक्ष से बात कर रहे हैं, परन्तु अगर आवश्यकता पड़ी तो आने वाले समय में सरकार इस पर विचार कर सकती है.
तोमर ने ककहा मुझे पूरी आशा है कि किसान यूनियन के लोग सकारात्मक माहौल में चर्चा करेंगे और संभाव्यता हम लोग समाधान तक पहुंच पाएंगे.
राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि तारीख पर तारीख चल रही है. बैठक में सभी किसान नेताओं ने एक आवाज़ में बिल रद्द करने की मांग की. हम चाहते हैं बिल वापस हो, सरकार चाहती है संशोधन हो. सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो हमने भी सरकार की बात नहीं मानी.